Positioning: the Battle for Your Mind (Hindi)


🔥 रुको! क्या आपकी ज़िंदगी में भी ये "Noise" है? क्या आपका काम दुनिया के शोर में कहीं खो रहा है? 😱

हम सब दिन-रात भाग रहे हैं। एक अच्छी नौकरी पाने के लिए, अपना खुद का बिज़नेस चलाने के लिए, या बस सोशल मीडिया पर थोड़ी-सी पहचान बनाने के लिए। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इतनी मेहनत के बाद भी आप अक्सर क्यों पीछे रह जाते हैं? क्यों दुनिया सिर्फ़ कुछ गिने-चुने ब्रांड्स को ही याद रखती है? जवाब न आपके प्रोडक्ट में है, न आपकी मार्केटिंग टीम में, बल्कि जवाब है आपके दिमाग में। हाँ, सही सुना आपने—हमारी ज़िंदगी की सबसे बड़ी जंग अब मार्केटप्लेस में नहीं, बल्कि लोगों के दिमाग में लड़ी जा रही है! 🤔 और इसी युद्ध के मैदान का सबसे बड़ा नियम हमें सिखाती है अल रीस और जैक ट्राउट की क्लासिक किताब: 'पोजीशनिंग: द बैटल फ़ॉर योर माइंड'।

एक बार की बात है, मेरे पड़ोस में दो लड़के थे—अमन और राहुल। दोनों ने एक ही कॉलेज से बी.टेक. किया, दोनों बहुत स्मार्ट थे, और दोनों ने अपनी-अपनी टेक स्टार्टअप शुरू की। अमन का प्रोडक्ट टेक्निकल रूप से राहुल के प्रोडक्ट से १० गुना बेहतर था। अमन दिन-रात नए फीचर्स डालता रहा, अपनी वेबसाइट को परफेक्ट बनाता रहा। उसे लगता था कि बेहतरीन प्रोडक्ट अपने आप बिक जाएगा। दूसरी तरफ़ था राहुल। उसका प्रोडक्ट सिर्फ़ अच्छा था, पर राहुल ने एक बहुत बड़ी चाल चली—उसने पोजीशनिंग की। उसने कभी ख़ुद को 'बेस्ट' नहीं कहा, उसने सिर्फ़ एक चीज़ पर फ़ोकस किया: "सबसे भरोसेमंद डेटा सिक्योरिटी।" जबकि अमन २० चीज़ें बेचने की कोशिश कर रहा था, राहुल ने लोगों के दिमाग में एक ही बात डाली कि "सिक्योरिटी मतलब राहुल का प्रोडक्ट।" छह महीने बाद, अमन का बिज़नेस लगभग बंद हो गया, जबकि राहुल का छोटा, सीमित प्रोडक्ट मार्केट लीडर बन गया। जानते हैं क्यों? क्योंकि पोजीशनिंग ने उसे एक खाली सीट दे दी, जो अमन को कभी नहीं मिली।

आप भी रोज़ाना इसी ओवरकम्युनिकेटेड सोसाइटी का हिस्सा हैं। सुबह उठकर मोबाइल ऑन करते ही सैकड़ों मैसेज, ईमेल, एडवर्टाइजमेंट... हमारा दिमाग इस शोर से बचने के लिए एक फ़िल्टर लगा लेता है। ये फ़िल्टर हर उस जानकारी को रिजेक्ट कर देता है जो सरल नहीं है, जो किसी खास जगह पर फिट नहीं बैठती। अल रीस और जैक ट्राउट हमें यही समझाते हैं—आजकल कम्युनिकेशन इतना ज़्यादा हो गया है कि प्रोडक्ट की क्वालिटी से ज़्यादा ज़रूरी है कि आप लोगों के दिमाग में अपनी जगह कैसे बनाते हैं। पोजीशनिंग किसी प्रोडक्ट को बेहतर बनाने के बारे में नहीं है, बल्कि यह इस बारे में है कि आप ग्राहक के दिमाग में अपने प्रोडक्ट को कहाँ रखते हैं।

इस किताब का सबसे बड़ा सूत्र क्या है? सरल बनो और पहले बनो। 🥇

राइटर कहते हैं, "अगर आप किसी कैटेगरी में पहले आ सकते हैं, तो बाक़ी सब भूल जाओ।" पहला होना ही सबसे बड़ी पोजीशनिंग है। ज़रा सोचिए, पहला आदमी जो चाँद पर गया, उसका नाम सबको याद है (नील आर्मस्ट्रांग), लेकिन दूसरा आदमी कौन था? शायद ही किसी को याद हो! आपके दिमाग में हर प्रोडक्ट के लिए एक सीढ़ी बनी है—जैसे 'सॉफ्ट ड्रिंक' की सीढ़ी पर सबसे ऊपर कोका-कोला है, 'ज़ेरॉक्स' की सीढ़ी पर वो ख़ुद, और 'कंप्यूटर' की सीढ़ी पर आई.बी.एम.। अगर आप पहले पायदान पर हैं, तो आप दिमाग़ के राजा हैं।

अब सवाल यह आता है कि अगर आप पहले नहीं हैं, तो क्या करें? क्या बिज़नेस बंद कर दें? बिल्कुल नहीं! यह किताब हमें 'नंबर टू' या 'नंबर थ्री' होने के बावजूद जीतने के आक्रामक तरीक़े भी बताती है। यहाँ दो शक्तिशाली रणनीतियाँ काम करती हैं:

१. अपनी सीढ़ी बनाओ (Create Your Own Ladder): अगर आप कोलगेट की सीढ़ी पर नहीं चढ़ सकते, तो एक नई सीढ़ी बनाओ। मान लो, आप सिर्फ़ 'आयुर्वेदिक टूथपेस्ट' की बात करते हो, या सिर्फ़ 'बच्चों के लिए मीठा टूथपेस्ट'। आपने एक नया होल ढूंढ लिया जहाँ कोई और नंबर वन नहीं है। इसे 'अकेलापन' (The Unoccupied Position) कहते हैं। जैसे ७-अप (7-Up) ने ख़ुद को "द अनकोला" कहकर एक पूरी नई कैटेगरी बना ली—वो कोला नहीं है, और यही उसकी ताक़त है!

२. विरोधी को रीपोज़ीशन करो (Reposition the Competition): यह मार्केटिंग की दुनिया का सबसे खतरनाक और शक्तिशाली दाँव है। इसका मतलब है आप सीधे विरोधी पर हमला करते हैं, पर अपने प्रोडक्ट की तारीफ़ करके नहीं। आप विरोधी की कमज़ोरी को दिमाग़ में जगह देते हैं। जैसे टाइलनॉल (Tylenol) ने दर्द निवारक बाज़ार में अपनी जगह तब बनाई जब उसने कहा, "एस्पिरिन से पेट में तकलीफ़ हो सकती है, लेकिन टाइलनॉल नहीं।" उसने एस्पिरिन को 'साइड इफ़ेक्ट' वाले प्रोडक्ट के रूप में रीपोज़ीशन कर दिया और ख़ुद को 'सेफ़' के रूप में स्थापित कर लिया। यह विरोधी के दिमाग में अपनी जगह बनाना है, और यह बहुत स्मार्ट मूव है।

लेकिन दोस्त, पोजीशनिंग सिर्फ़ बड़े ब्रांड्स के लिए नहीं है! यह आपके और मेरे लिए भी है। इसे कहते हैं 'पर्सनल पोजीशनिंग'। आज के ज़माने में हर इंसान एक ब्रांड है। आपका रिज़्यूमे, आपकी सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल, यहाँ तक कि आपके परिवार और दोस्तों के दिमाग में आपकी पहचान—ये सब आपकी पोजीशनिंग है।

अगर लोग आपको 'हर काम कर लेने वाला आदमी' समझते हैं, तो माफ़ करना, आपकी पोजीशनिंग कमज़ोर है। अगर आप ख़ुद को 'ऑल-राउंडर' कहते हैं, तो आप दरअसल कुछ भी विशेष नहीं हैं। आपके दिमाग की सीढ़ी पर, 'ऑल-राउंडर' का कोई खास पायदान नहीं है।

ताक़तवर पोजीशनिंग कहती है कि आपको सिर्फ़ एक चीज़ के लिए याद किया जाना चाहिए। क्या आप 'सबसे तेज़ प्रॉब्लम सॉल्वर' हैं? क्या आप 'ईमेल को सबसे साफ़ तरीक़े से लिखने वाले' हैं? क्या आप 'सिर्फ़ साउथ इंडियन खाना बनाने वाले' शेफ़ हैं? जिस दिन आप ख़ुद को एक खास शब्द या वाक्य के साथ लॉक कर देते हैं, आप लोगों के दिमाग में पहला पायदान हासिल कर लेते हैं। यही वो लम्बी पूंछ वाला कीवर्ड है जिसकी बात हमने पहले चरण में की थी।

सोचिए, अगर आप अपनी पहचान को एक शब्द में नहीं बता सकते, तो ग्राहक का दिमाग आपके लिए स्पेस क्यों बनाएगा? हमारा दिमाग तो ओवरकम्युनिकेटेड है, उसे तो सरल मैसेज चाहिए!

पोजीशनिंग एक बार का एड कैंपेन नहीं है, यह एक लाइफ़टाइम कमिटमेंट है। किताब के लेखक हमें छह ज़रूरी सवाल पूछते हैं जो हर बिज़नेस या इंसान को ख़ुद से पूछने चाहिए:

1. आप आज कौन-सी पोजीशन रखते हैं? (लोग आपके बारे में सच में क्या सोचते हैं?)
2. आप कौन-सी पोजीशन हासिल करना चाहते हैं? (आपकी महत्वाकांक्षा क्या है?)
3. आपको किसे पीछे छोड़ना है? (आपका सीधा कॉम्पिटीटर कौन है?)
4. क्या आपके पास इतना पैसा (या समय/ताक़त) है कि आप उसे छोड़ पाएँ? (पोजीशन बनाने में बहुत मेहनत लगती है।)
5. क्या आप इस पर टिके रह सकते हैं? (कंसिस्टेंसी ही सफलता की चाबी है।)
6. क्या आपका हर एक्शन आपकी पोजीशन से मैच करता है? (अगर आप 'सुरक्षित' हैं, तो आपका लोगो, आपकी भाषा, सब 'सुरक्षित' दिखना चाहिए।)

याद रखें: पोजीशनिंग के लिए त्याग (Sacrifice) ज़रूरी है। आप सब कुछ नहीं हो सकते। अगर आप 'सस्ते' भी हैं और 'सबसे अच्छी क्वालिटी' वाले भी, तो आपका दिमाग़ इसे झूठ मानेगा। आपको चुनना होगा: या तो कम क़ीमत (Price) या बेहतरीन सुविधा (Feature)। आप एक ही चीज़ में नंबर वन हो सकते हैं।

तो मेरे दोस्त, अगली बार जब आप अपनी नई योजना बनाएँ या कोई नया काम शुरू करें, तो अपने आप से पूछें: "मैं लोगों के दिमाग में कौन-सी सीढ़ी पर बैठना चाहता हूँ? और क्या मैं वहाँ पहला हूँ?" अगर नहीं, तो एक नई सीढ़ी बनाओ, या विरोधी को रीपोज़ीशन करो! यह मार्केटिंग की लड़ाई है, और इसे जीता सिर्फ़ वही है जो दिमाग के खेल को समझता है। यह मत सोचो कि आपका प्रोडक्ट कितना अच्छा है, यह सोचो कि लोगों के दिमाग़ में वह कहाँ है!

🔥 अब आपका समय है! अगर आप इस पोजीशनिंग के ज्ञान को अपनी ज़िंदगी या बिज़नेस में इस्तेमाल करने वाले हैं, तो कमेंट में लिखिए कि आप कौन-सा एक शब्द लोगों के दिमाग में स्थापित करना चाहते हैं? 💡 अपनी नई पहचान को दुनिया के सामने लाओ और इस आर्टिकल को उस हर 'ऑल-राउंडर' के साथ शेयर करो जिसे एक खास पहचान की ज़रूरत है! 👇



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