Serious Creativity (Hindi)


✨ ये कहानी आपकी भी हो सकती है! ✨

क्या कभी आपने सोचा है कि क्यों कुछ लोगों के पास बाल्टी भर-भरकर ज़बरदस्त Ideas आते हैं, और आप बस सोचते रह जाते हैं कि "ये Idea मेरे दिमाग में क्यों नहीं आया?" 🤔 ये कोई जादू नहीं है, और न ही किसी खास जीन का कमाल है। ये एक हुनर है, जिसे Edward De Bono ने अपनी किताब 'Serious Creativity' में एक साइंटिफिक तरीका बताया है।

ज़रा सोचिए, एक छोटे से गाँव का लड़का, संजय। संजय की अपनी एक छोटी सी किराने की दुकान थी। मेहनत बहुत करता था, सुबह 6 बजे दुकान खोलता और रात 10 बजे बंद करता। लेकिन मुनाफा? बस गुज़ारा लायक़। संजय की दुकान के ठीक सामने शहर के एक बड़े व्यापारी ने एक सुपरमार्केट खोल दी। संजय को लगा, अब तो उसका खेल ख़त्म। उसे साफ़ दिखने लगा कि उसकी दुकान पर ताला लगने वाला है। 😔

संजय ने अपने पिता से कहा, "बाबूजी, अब क्या करें? उनका माल सस्ता है, उनकी दुकान बड़ी है, AC लगा है। हम मुक़ाबला नहीं कर सकते।" पिता, जो खुद एक साधारण सोच वाले इंसान थे, बोले, "बेटा, बस दुकान खोले रख। किस्मत में जो होगा, वो होगा।" लेकिन संजय का मन नहीं माना। उसे लगा, किस्मत के भरोसे बैठना उस सुपरमार्केट को अपनी दुकान की चाबियाँ सौंपने जैसा है। 🔑

यहीं पर संजय ने वो काम किया जो हम में से ज़्यादातर लोग नहीं करते—उसने अपनी सोच को चुनौती दी। Edward De Bono कहते हैं, "Creativity कोई रहस्यमय टैलेंट नहीं है; यह एक प्रक्रिया है।" संजय ने De Bono की इसी सोच को अनजाने में अपना लिया। उसने खुद से पूछा, "मैं सुपरमार्केट जैसा तो नहीं बन सकता, तो मैं उनसे अलग क्या कर सकता हूँ?" 🤔

संजय ने देखा कि सुपरमार्केट में सब कुछ है, सिवाय रिश्ते के। वहाँ लोग जल्दी में आते हैं, सामान उठाते हैं और निकल जाते हैं। संजय ने सोचा, क्यों न अपनी दुकान को 'सिर्फ़ सामान खरीदने की जगह' से बदलकर 'थोड़ी देर बैठने और बात करने की जगह' बना दिया जाए? उसने पहला Creative Jump लिया। 💡

पहला कदम: उसने अपनी दुकान के बाहर एक छोटी सी बेंच लगा दी और गाँव के सबसे दूर की चाय की दुकान से फ़्री में एक केतली चाय मंगवा ली। जो भी ग्राहक आता, वह चाय के लिए पूछता। ग्राहक हैरान! सुपरमार्केट से सामान लेने के बाद कोई चाय नहीं पूछता। संजय ने 'Value' बेचना शुरू कर दिया, न कि सिर्फ़ सामान।

दूसरा कदम: De Bono कहते हैं, "Lateral Thinking" का इस्तेमाल करो। यानि समस्या को सीधा देखने के बजाय, बाएँ-दाएँ से देखो। संजय की सबसे बड़ी दिक्कत थी: सुपरमार्केट के सस्ते दाम। संजय जानता था कि वो उनके दामों को मैच नहीं कर सकता। तो उसने मुकाबला ही बदल दिया। उसने घोषणा की, "अगर आप मेरी दुकान से 1000 रुपये का सामान लेते हैं, तो मैं आपके घर तक वो सारा सामान आपकी पत्नी से भी बेहतर तरीक़े से पहुँचाऊँगा—और आपको एक ताज़ा हरी सब्ज़ी मुफ़्त दूँगा।" 🥕

देखिए, यहाँ संजय ने क्या किया! उसने 'दाम' की लड़ाई को 'सुविधा और पर्सनल टच' की लड़ाई में बदल दिया। सुपरमार्केट वाले डिलीवरी देते थे, लेकिन उनका Delivery Boy बेपरवाह होता था। संजय खुद डिलीवरी करने जाता था, और वह भी गाँव के पुराने तरीके से, घर के दरवाज़े तक। उसने "Serious Creativity" के एक और टूल का इस्तेमाल किया: 'Provocation'। 🤯

Provocation यानि ऐसी अटपटी बात सोचना जो शुरुआत में बेवकूफी लगे, लेकिन आपको एक नए Idea तक ले जाए। De Bono कहते हैं, 'P.O.' (Provocative Operation) का इस्तेमाल करो। जैसे संजय ने सोचा: P.O. – 'मेरी दुकान का सामान बिकेगा ही नहीं।' यह सोच निराशाजनक लगती है, लेकिन इससे रास्ता निकला: 'अगर सामान बिकेगा नहीं, तो मुझे ग्राहक को दुकान तक लाना बंद करके, ग्राहक के पास सामान ले जाना चाहिए।' 🚀

यह Provocation ही था जिसने उसे Personalised Home Delivery का Idea दिया। और क्या आप जानते हैं? लोग संजय की दुकान पर आने लगे! क्यों? क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि संजय की दुकान पर सिर्फ़ दाल-चावल नहीं, बल्कि उनका खयाल भी मिलता है। सुपरमार्केट केवल 'Transaction' करता था, संजय 'Relation' बनाता था। ❤️

Edward De Bono की किताब 'Serious Creativity' हमें यही सिखाती है कि Creativity कोई तुक्का नहीं है। यह एक सिस्टमैटिक प्रोसेस है। वह कहते हैं कि हमारा दिमाग Pattern-Recognition System पर काम करता है। यानि जैसे ही हमें कोई समस्या दिखती है, हमारा दिमाग तुरंत सबसे familiar (परिचित) और सबसे आसान जवाब ढूंढ लेता है। इसे 'Vertical Thinking' कहते हैं। (जैसे संजय ने पहले सोचा था: "दुकान बंद कर दो, या सस्ता बेचो।") यह ज़रूरी है, पर ये आपको Innovation तक नहीं ले जाएगा।

Innovation तक पहुँचने के लिए हमें 'Lateral Thinking' यानि पार्श्व सोच का इस्तेमाल करना होगा। इसका मतलब है, जानबूझकर अपने दिमाग के पैटर्न को तोड़ना। 🔨

De Bono तीन बड़े Lateral Thinking Tools बताते हैं, जो संजय ने अनजाने में इस्तेमाल किए:

1. Random Input (रैंडम इनपुट): अगर आप किसी समस्या का समाधान ढूंढ रहे हैं, तो जानबूझकर उस समस्या से असंबंधित कोई शब्द या वस्तु (जैसे: छाता, कुत्ता, घड़ी) चुनें और उसे अपनी समस्या से जोड़ने की कोशिश करें। संजय के मामले में, चाय की केतली एक Random Input थी जो उसके बिज़नेस से जुड़ी नहीं थी, लेकिन ग्राहक को 'थोड़ा रुकने और बैठने' का बहाना बन गई। ☕

2. Provocation (उत्तेजना): जैसे मैंने बताया, एक ऐसी बात कहें जो अजीब लगे। 'दुकान बंद कर दो' वाली सोच ने उसे डिलीवरी का आइडिया दिया। एक और उदाहरण: अगर आप एक नया टूथब्रश बना रहे हैं, तो Provocation हो सकता है: "P.O.: टूथब्रश का हैंडल बहुत लंबा होना चाहिए।" इससे शायद आपको ऐसा टूथब्रश बनाने का आईडिया मिले, जिसमें आप कोई पेस्ट या फ़्लॉस छुपा सकें!

3. Focus (फोकस): अपनी Creativity को सही जगह पर लगाना। संजय ने अपने Focus को 'दाम कम करने' से हटाकर 'ग्राहक को बेहतर महसूस कराने' पर लगा दिया। उसने सिर्फ एक छोटा सा बदलाव किया—पर्सनल डिलीवरी और फ़्री चाय—लेकिन उसका असर बहुत बड़ा हुआ।

संजय ने एक साल में अपनी दुकान का मुनाफा तीन गुना कर लिया। सुपरमार्केट वाले हैरान थे। उन्होंने दाम और कम किए, पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। क्योंकि ग्राहक को अब संजय का साथ पसंद था। संजय ने अपनी दुकान का नाम भी बदल दिया—उसने रखा, "संजय की चाय और सामान की दुकान"। 😄

दोस्तों, Edward De Bono कहते हैं कि अगर आप नियमित रूप से अपनी सोच पर काम नहीं करते, तो आपकी Creativity का मसल कमज़ोर हो जाता है। हमें हर दिन जानबूझकर नए तरीके से सोचना चाहिए। हमें नए पैटर्न बनाने चाहिए।

अगर आप एक एंटरप्रेन्योर हैं, तो अपनी समस्या को कम से कम 5 नए, अजीबोगरीब तरीकों से हल करने की कोशिश कीजिए। अगर आप एक स्टूडेंट हैं, तो अपने नोट्स को 5 अलग-अलग रंगों से लिखिए, भले ही कोई कनेक्शन न हो। ये छोटे-छोटे Lateral Jumps आपकी सोच को आज़ाद करते हैं। 🤸

'Serious Creativity' का असली सार यही है कि Creativity कोई 'Wait-and-Hope' की चीज़ नहीं है। यह एक 'Do-and-Get' की प्रक्रिया है। अगर आप आज अपनी समस्या पर सिर्फ 15 मिनट De Bono के टूल्स से सोचते हैं, तो हो सकता है कि कल आप अपने बिज़नेस या अपनी ज़िंदगी में संजय जैसा कमाल कर दें।

आपकी सोच, आपकी सबसे बड़ी दौलत है। इसे पुराने पैटर्न की धूल में मत दबने दीजिए। इसे चमकाइए, इसे तोड़िए, और इसे वायरल होने दीजिए। 💥

तो अब आपकी बारी है। आज आप अपने दिन की सबसे छोटी समस्या (जैसे कि सुबह उठना, या खाना बनाना) को Edward De Bono के Lateral Thinking से हल करने की कोशिश कैसे करेंगे? 🤔 क्या आप कोई Random Input यूज़ करेंगे, या कोई Provocative Idea सोचेंगे?

कमेंट करके बताइये कि आपका पहला 'P.O.' (Provocative Operation) क्या है? और इस आर्टिकल को उन सभी दोस्तों के साथ शेयर करें, जो बस मेहनत कर रहे हैं, पर कमाल नहीं कर पा रहे हैं! उन्हें ये नया तरीक़ा दिखाओ। 👇


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