क्या आपको भी लगता है कि लीडर पैदा होते हैं, बनाए नहीं जाते? 🤔 क्या आप भी सोचते हैं कि बड़े-बड़े CEO या पॉलिटिशियन ही लीडर होते हैं? अगर हाँ, तो अपनी यह सोच आज अभी इसी पल बदल डालिए! 💡
देखिए, आज से कई साल पहले की बात है। मेरी अपनी कहानी है। मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था। काम अच्छा था, सैलरी अच्छी थी, पर अंदर से एक खालीपन था। मुझे लगता था कि मेरी टीम में हर कोई बस काम कर रहा है, पर कोई दिल से नहीं कर रहा। मेरे बॉस, जो कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट थे, वो एक बॉस थे, लीडर नहीं। उनकी मीटिंग्स में सन्नाटा पसरा रहता था। वह आदेश देते थे, सवाल नहीं पूछते थे। उनका मानना था कि अगर किसी को ज्यादा पावर दोगे, तो वो आपकी बात नहीं सुनेगा। उनका फंडा था—'लीडर' कुर्सी पर बैठते हैं, बाक़ी सब नीचे। और इसी सोच के कारण, उनकी टीम में हमेशा डर का माहौल रहता था। कोई नया आईडिया शेयर नहीं करता था, और सब बस घड़ी देखकर घर भागने का इंतज़ार करते थे।
यह सब देखकर मुझे हमेशा लगता था कि क्या नेतृत्व (Leadership) सिर्फ़ हुक्म चलाने का नाम है? क्या सिर्फ़ बॉस बनकर ही आप सफल हो सकते हैं? यह सवाल मेरे दिमाग़ में एक कीड़े की तरह कुलबुलाता रहता था। इसी खालीपन और जिज्ञासा ने मुझे किताबों की दुनिया में धकेल दिया। और वहीं, मुझे Dayle M. Smith की यह शानदार किताब 'The Eleven Keys to Leadership' मिली। इस किताब को पढ़ने के बाद मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं। इसने बताया कि क्या लीडर जन्म लेते हैं या बनाए जाते हैं?—इसका जवाब है कि लीडर बनाए जाते हैं! 🏗️ और यह कोई जन्मजात हुनर नहीं है, बल्कि यह तो सीखे जा सकने वाले स्किल्स (Leadership skills kaise sikhen Hindi mein) का एक सेट है, जिसे कोई भी, हाँ, कोई भी सीख सकता है।
किताब की सबसे पहली बात, जिसने मुझे हिलाकर रख दिया, वो थी 'विजन' (Vision) की ताकत। सोचिए, एक बड़ा जहाज़ बिना किसी नक्शे या मंज़िल के समंदर में तैर रहा है। क्या वह कभी सही जगह पहुँचेगा? नहीं! Dayle M. Smith समझाती हैं कि एक सफल लीडर बनने के लिए सबसे पहला 'की' (Key) है: क्लियर विजन बनाना। (Vision kaise banaye aur lakshyon ko set karen)। यह सिर्फ़ कंपनी के लिए नहीं, आपकी अपनी ज़िंदगी के लिए भी सच है। मेरा बॉस सिर्फ़ तिमाही (quarterly) टारगेट देखता था, पर वह यह कभी नहीं समझा पाया कि हम यह काम क्यों कर रहे हैं, या 5 साल बाद हम कहाँ होंगे। इसके उलट, किताब ने सिखाया कि विजन वह चुम्बक है जो आपकी टीम को एक साथ खींचता है। जब आप अपने विजन को इस तरह से कम्युनिकेट करते हैं कि हर कर्मचारी को लगता है कि वह एक बड़े, नेक काम का हिस्सा है, तब जादू होता है।
विजन के बाद, दूसरा सबसे ज़रूरी की, जो मैंने सीखा, वह था प्रेरणादायक लक्ष्यों को निर्धारित करना (Set Goals That Motivate)। लक्ष्य दो तरह के होते हैं। एक वो, जो बस कागज़ पर होते हैं ('इस महीने $X मिलियन कमाओ'), और दूसरे वो, जो लोगों को उत्साहित करते हैं, उन्हें सोने नहीं देते। Smith कहती हैं कि आपके लक्ष्य ऐसे होने चाहिए कि वे टीम की आत्मा से कनेक्ट हों। जब मैंने अपनी टीम के साथ बैठकर सिर्फ़ नंबरों की जगह, इस बात पर फोकस किया कि हमारा काम लोगों की ज़िंदगी में क्या बदलाव लाएगा, तो माहौल बदल गया। अचानक, वही लोग जो पहले बस 9 से 5 काम करते थे, अब रात को 8 बजे तक रुकने लगे, क्योंकि उन्हें अपने काम में परपस दिखने लगा था। यह है अच्छी लीडरशिप के लिए ज़रूरी बातें! 🌟
फिर किताब आगे बढ़ती है और तीसरे और चौथे की पर ज़ोर देती है—एक डायनामिक बिलीफ सिस्टम बनाना और सही टीम को इकट्ठा करना। टीम बनाना सिर्फ़ CV पढ़ने का काम नहीं है। यह लोगों की ताकत और कमज़ोरी को जानने का काम है। एक लीडर वह होता है, जो किसी व्यक्ति की कमज़ोरी को नज़रअंदाज़ करके, उसकी ताकत को सही जगह इस्तेमाल करना जानता है। जैसे, मान लीजिए आपके पास एक ऐसा व्यक्ति है जो बहुत शर्मीला है, पर डेटा एनालिसिस में कमाल का है। एक बॉस उसे फ्रंट-एंड का काम देगा और कहेगा, "तुम अच्छे नहीं हो।" पर एक लीडर उसे डेटा लैब का इंचार्ज बनाएगा, और कहेगा, "तुम्हारी खामोशी हमारी ताकत है। जाओ, और नंबर्स से सच निकालो।" यह बात मुझे समझ आई कि लीडरशिप की 5 कोर भूमिकाएं (Leadership ki 5 core bhumikayein) सिर्फ़ मैनेजमेंट नहीं हैं, वे संबंध, प्रेरणा, सूचना, नियंत्रण और विजन का मिश्रण हैं।
सबसे मुश्किल की, जो मुझे सबसे ज़्यादा काम आया, वह था एम्पावरमेंट। ज़्यादातर बॉस सोचते हैं कि अगर मैंने किसी को काम करने की आज़ादी दी, तो वह गलती कर देगा, या मेरा काम छीन लेगा। Dayle M. Smith इस डर को तोड़ती हैं। वह कहती हैं कि समस्या समाधान (Problem Solving) के लिए एम्पावरमेंट ही वह चीज़ है जो किसी टीम को अच्छा बनाती है। लीडरशिप का मतलब यह नहीं कि आप हर समस्या का समाधान खुद करें। बल्कि, इसका मतलब यह है कि आप अपनी टीम को उस लायक बनाएँ कि वे समस्या को पहचानें, उसका समाधान खोजें, और उसे लागू करें। मैंने यह करना शुरू किया। जब कोई मुश्किल आती थी, तो मैं तुरंत जवाब देने के बजाय पूछता था, "तुम्हें क्या लगता है, इसका बेस्ट सलूशन क्या है?" पहले तो सब घबराए, पर धीरे-धीरे उनके अंदर आत्मविश्वास आया। उन्हें लगा कि यह उनका प्रोजेक्ट है, मेरा नहीं। और जब लोग किसी चीज़ के मालिक बन जाते हैं, तो उसका नतीजा हमेशा शानदार होता है। 🚀
किताब का छठा और सातवाँ की, डेलिगेशन (Delegation) और नेटवर्किंग (Networking) पर ज़ोर देता है। डेलिगेशन का मतलब सिर्फ़ काम सौंपना नहीं है, इसका मतलब है ज़रूरी ज़िम्मेदारियाँ सौंपना। ज़िम्मेदारी वह चाबी है, जो एक व्यक्ति के हुनर के ताले को खोलती है। और नेटवर्किंग? यह सिर्फ़ कॉरपोरेट इवेंट्स में कार्ड बाँटना नहीं है। यह उच्च-गुणवत्ता वाले संबंध (High-Quality Networks) बनाना है—ऐसे संबंध जो आपकी टीम को नई जानकारी, नए मौके और नए दृष्टिकोण दें।
आठवां और नौवां की, इंसेंटिव और सपोर्ट की बात करता है। सोचिए, क्या सिर्फ़ सैलरी बढ़ाना ही इंसेंटिव है? नहीं! Dayle M. Smith कहती हैं कि उपलब्धियों को सार्थक प्रोत्साहन के साथ पहचानना (Recognise Achievement With Worthwhile Incentives) चाहिए। किसी के छोटे से प्रयास की सार्वजनिक तारीफ़ करना, उसे एक खास ट्रेनिंग के लिए भेजना, या उसे एक 'लंच विथ लीडर' देना—ये सब इंसेंटिव हैं। और हाँ, ठोस रूप में समर्थन प्रदान करना (Provide Support in Tangible Forms) सबसे ज़रूरी है। इसका मतलब है—सही उपकरण, सही माहौल, और जब वह डगमगाए तो उसके पीछे मज़बूती से खड़े रहना। अगर आप चाहते हैं कि आपकी टीम को प्रेरित कैसे करें बुक समरी का फल मिले, तो आपको उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि उनका लीडर हमेशा उनकी ढाल बनकर खड़ा है।
दसवाँ की है सूचना के प्रभावी चैनल बनाना (Nurture Effective Channels of Information)। एक लीडर सूचना को फिल्टर नहीं करता, वह उसे फ्लो (Flow) कराता है। जब टीम को लगता है कि लीडर उनसे कुछ नहीं छुपा रहा, तो उनके अंदर भरोसा पैदा होता है। और यह भरोसा ही है जो किसी भी संगठन की नींव होती है।
और आख़िरी, ग्यारहवाँ की—ट्रेन, कंसल्ट और मेंटर करना (Train, Consult and Mentor)। Dayle M. Smith बहुत खूबसूरती से कहती हैं कि लीडरशिप एक सीखने और सिखाने का सफ़र है। यह सफ़र कभी ख़त्म नहीं होता। एक महान लीडर हमेशा एक महान शिक्षक (Mentor) भी होता है। उसका काम सिर्फ़ रास्ता दिखाना नहीं है, बल्कि नए रास्ते बनाने वालों को तैयार करना भी है।
आज, मैं एक लीडर की तरह काम करता हूँ, बॉस की तरह नहीं। मैंने Dayle M. Smith की इस किताब 'The Eleven Keys to Leadership' (डेयल एम स्मिथ द इलेवन कीज़ टू लीडरशिप सारांश) से सीखा कि असली ताकत 'मैं' में नहीं, बल्कि 'हम' में होती है। मेरा बॉस अब भी वहीं, उसी कुर्सी पर बैठा है, पर उसकी टीम अब भी उतनी ही खामोश और डरी हुई है। वहीं, मेरी टीम, एक छोटे से प्रोजेक्ट से शुरू करके, आज खुद के लिए सफल लीडर बनने के रास्ते पर चल रही है।
अगर आप अपनी नौकरी, बिज़नेस, या अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में एक बदलाव लाना चाहते हैं, तो यह मत सोचिए कि आपमें लीडरशिप क्वालिटी नहीं है। याद रखिए, क्या लीडर जन्म लेते हैं या बनाए जाते हैं हिंदी में इसका एक ही जवाब है: आप बनाए जाते हैं! यह किताब उस भट्टी की तरह है जो आपको तपाकर सोना बना देगी।
सोचिए, आख़िरी बार कब आपने किसी को सिर्फ़ इसलिए काम सौंपा क्योंकि आप खुद व्यस्त थे? 🤔 क्या आपने कभी किसी को सिर्फ़ इसलिए क्रेडिट दिया क्योंकि उसने सच में कुछ अद्भुत किया था? अगर नहीं, तो यह किताब सिर्फ़ ग्यारह चाबियाँ नहीं देती, बल्कि आपके अंदर छिपे उस नेतृत्व के दरवाज़े को खोलने का मौका देती है! 🔑
अपने आप से एक सवाल पूछिए: मैं कैसा लीडर बनना चाहता हूँ? वो, जिसके जाने पर सब राहत की साँस लें, या वो, जिसके जाने पर सब कहें, "यार, आज कुछ कमी है"? 💔
अगर आप दूसरा वाला जवाब चाहते हैं, तो इस समरी को सिर्फ़ पढ़कर भूल मत जाइए! एक 'की' आज ही अपनी ज़िंदगी में लागू कीजिए। आज ही किसी को उसकी छोटी सी सफलता के लिए सबके सामने क्रेडिट दीजिए, या किसी से उसकी सबसे बड़ी समस्या का समाधान पूछिए।
इस लेख को अपने उन दोस्तों और कलीग्स के साथ शेयर कीजिए, जिन्हें आप दिल से लीडर मानते हैं (या जिन्हें आप लीडर बनते हुए देखना चाहते हैं)! 👇 और हाँ, कमेंट्स में बताइए: इन 11 कीज़ में से, आप सबसे पहले किस की पर काम करना शुरू करेंगे? 👇
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