आज हम बात करेंगे एक ऐसी किताब की जिसने सदियों से लीडर्स, जनरल्स और बिज़नेसमैन को इंस्पायर किया है – 'द आर्ट ऑफ़ वॉर'। सुन त्ज़ु द्वारा लिखी गयी ये किताब सिर्फ युद्ध की नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की कुंजी है। इस वीडियो में हम इस क्लासिक किताब के 10 सबसे महत्वपूर्ण लेसन्स को आसान भाषा में समझेंगे, जिससे आप इन्हें अपनी डेली लाइफ में अप्लाई कर सकें। तो अगर आप स्ट्रेटेजी, लीडरशिप और सक्सेस के बारे में जानने के लिए एक्साइटेड हैं, तो इस वीडियो को अंत तक जरूर देखें! चलिए शुरू करते हैं!
लेसन 1 : इम्पोर्टेंस ऑफ़ प्लानिंग यानी योजना का महत्व।
'द आर्ट ऑफ़ वॉर' का सबसे पहला और सबसे ज़रूरी लेसन है प्लानिंग। सुन त्ज़ु कहते हैं कि कोई भी लड़ाई शुरू करने से पहले, उसकी पूरी प्लानिंग करना बेहद ज़रूरी है। एक अच्छी प्लानिंग में कई चीज़ें शामिल होती हैं, जैसे कि अपने दुश्मन को जानना, अपनी ताकतों और कमजोरियों को पहचानना, और लड़ाई के लिए सही समय और जगह का चुनाव करना। सोचो, अगर आप बिना तैयारी के किसी एग्जाम में बैठ जाओ, तो क्या होगा? ज़ाहिर है, फेल होने के चांसेस बहुत ज़्यादा होंगे। उसी तरह, बिना प्लानिंग के कोई भी काम शुरू करना, हार को न्योता देना है। एक सफल स्ट्रेटेजी बनाने के लिए, आपको हर पहलू पर ध्यान देना होगा। आपको ये सोचना होगा कि आपके पास रिसोर्सेज कितने हैं, आपके दुश्मन की स्ट्रेंग्थ और वीकनेसेस क्या हैं, और किस सिचुएशन में आपको क्या करना चाहिए। एक रियल लाइफ एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिये, आप एक बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं। अगर आप बिना मार्केट रिसर्च किये, बिना फाइनेंसियल प्लानिंग किये, और बिना कॉम्पिटिशन को समझे बिज़नेस शुरू कर देंगे, तो उसके फेल होने के चांसेस बहुत ज़्यादा होंगे। लेकिन, अगर आप पहले से ही एक अच्छी बिज़नेस प्लान बना लेंगे, जिसमें आप ये सब चीज़ें एनालाइज करेंगे, तो आपके सक्सेसफुल होने के चांसेस कई गुना बढ़ जाएंगे। प्लानिंग सिर्फ युद्ध या बिज़नेस में ही नहीं, बल्कि हमारी डेली लाइफ में भी बहुत इम्पोर्टेन्ट है। अगर हम अपनी दिनचर्या को प्लान करके चलेंगे, तो हम कम समय में ज़्यादा काम कर पाएंगे और स्ट्रेस भी कम होगा। इसलिए, हमेशा याद रखें – प्लानिंग इज़ की! किसी भी काम को शुरू करने से पहले, उसकी पूरी प्लानिंग करें, ताकि आप सक्सेस की ओर एक कदम और बढ़ा सकें। प्लानिंग आपको अनिश्चितता के माहौल में स्थिरता प्रदान करती है, और आपको सही दिशा में ले जाती है। इसलिए, अपनी लाइफ के हर एस्पेक्ट में प्लानिंग को इम्पोर्टेंस दें और सफलता की ओर अग्रसर रहें।
लेसन 2 : वेजिंग वॉर यानी युद्ध का संचालन।
सुन त्ज़ु कहते हैं कि युद्ध एक महंगा और टाइम-कंज्यूमिंग अफेयर है। इसलिए, इसे जल्दी और कुशलता से खत्म करना चाहिए। उनका मानना था कि लंबे समय तक चलने वाले युद्ध से रिसोर्सेज की बर्बादी होती है और सैनिकों का मनोबल भी गिरता है। इस लेसन में सुन त्ज़ु हमें बताते हैं कि हमें अपनी रिसोर्सेज का सही इस्तेमाल कैसे करना चाहिए और कम से कम नुकसान के साथ कैसे जीत हासिल करनी चाहिए। एक इफेक्टिव वॉरफेयर में स्पीड और एफिशिएंसी बहुत मैटर करती है। आपको अपने दुश्मनों पर तेज़ी से अटैक करना चाहिए और उन्हें संभलने का मौका नहीं देना चाहिए। साथ ही, आपको अपनी सप्लाई लाइन्स को भी सिक्योर रखना चाहिए ताकि आपके सैनिकों को खाने-पीने और हथियारों की कमी ना हो। एक प्रैक्टिकल एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, दो कंपनियाँ एक ही मार्केट में कॉम्पिट कर रही हैं। अगर एक कंपनी अपनी मार्केटिंग कैंपेन को जल्दी और इफेक्टिवली लॉन्च करती है, तो वो दूसरी कंपनी से ज़्यादा कस्टमर्स को अट्रैक्ट कर पाएगी। वहीं, अगर वो कंपनी धीरे-धीरे काम करती है, तो उसके कॉम्पिटिटर को एडवांटेज मिल जाएगा। इसी तरह, बिज़नेस में भी आपको क्विक डिसीजन्स लेने होते हैं और अपनी रिसोर्सेज का सही इस्तेमाल करना होता है ताकि आप कॉम्पिटिशन में आगे रह सकें। सुन त्ज़ु ये भी कहते हैं कि हमें अननेसेसरी कॉन्फ़्लिक्ट से बचना चाहिए। अगर किसी सिचुएशन को बिना लड़े सुलझाया जा सकता है, तो हमें वही रास्ता अपनाना चाहिए। क्योंकि, हर लड़ाई में कुछ न कुछ नुकसान तो होता ही है। इसलिए, समझदारी इसी में है कि कम से कम नुकसान के साथ ज़्यादा से ज़्यादा फायदा उठाया जाए। इस लेसन का सार ये है कि हमें अपनी रिसोर्सेज का सोच-समझकर इस्तेमाल करना चाहिए, तेज़ी से एक्शन लेना चाहिए, और जहाँ तक हो सके, कॉन्फ़्लिक्ट से बचना चाहिए। यही एक सफल रणनीति का मूल मंत्र है। कम समय और कम रिसोर्सेज में ज़्यादा अचीव करने की कला ही असली कुशलता है।
लेसन 3 : अटैक बाय पोजिशन यानी स्थिति के अनुसार आक्रमण।
सुन त्ज़ु का मानना था कि लड़ाई में पोजीशनिंग बहुत इम्पोर्टेंट रोल प्ले करती है। उनका कहना था कि हमें हमेशा ऐसी पोजीशन चुननी चाहिए जो हमें एडवांटेज दे। ये एडवांटेज टेरेन का हो सकता है, रिसोर्सेज का हो सकता है, या फिर टाइमिंग का भी हो सकता है। इस लेसन में सुन त्ज़ु हमें सिखाते हैं कि कैसे अपनी पोजीशन का इस्तेमाल करके दुश्मन पर इफेक्टिवली अटैक किया जाए। एक अच्छी पोजीशन आपको डिफेंसिव और ऑफेंसिव दोनों ही मामलों में एडवांटेज देती है। अगर आप एक ऊँची जगह पर हैं, तो आप आसानी से नीचे वाले दुश्मनों पर अटैक कर सकते हैं। वहीं, अगर आप किसी तंग जगह पर हैं, तो आपके दुश्मन के लिए आप पर अटैक करना मुश्किल होगा। एक रियल लाइफ एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक सेल्स पर्सन हैं। अगर आप किसी ऐसे इवेंट में जाते हैं जहाँ आपके पोटेंशियल कस्टमर्स मौजूद हैं, तो ये आपके लिए एक अच्छी पोजीशन होगी। क्योंकि, वहाँ आपको अपने प्रोडक्ट या सर्विस को प्रमोट करने का मौका मिलेगा और आप नए क्लाइंट्स बना सकेंगे। वहीं, अगर आप घर पर बैठे रहेंगे, तो आपके लिए नए क्लाइंट्स ढूंढना मुश्किल होगा। इसी तरह, बिज़नेस में भी आपको सही मार्केट सेगमेंट और सही टाइम पर एंट्री करनी चाहिए ताकि आपको कॉम्पिटिटिव एडवांटेज मिल सके। सुन त्ज़ु ये भी कहते हैं कि हमें अपनी पोजीशन को फ्लेक्सिबल रखना चाहिए। अगर सिचुएशन बदलती है, तो हमें अपनी पोजीशन को भी बदलना चाहिए। क्योंकि, एक स्टैटिक पोजीशन हमें वल्नरेबल बना सकती है। इसलिए, हमें हमेशा अडैप्टेबल रहना चाहिए और सिचुएशन के हिसाब से अपनी स्ट्रेटेजी बदलनी चाहिए। इस लेसन का सार ये है कि हमें हमेशा ऐसी पोजीशन चुननी चाहिए जो हमें एडवांटेज दे, और हमें अपनी पोजीशन को फ्लेक्सिबल रखना चाहिए ताकि हम बदलते हुए हालातों का सामना कर सकें। सही पोजीशनिंग से हम कम एफर्ट में ज़्यादा रिजल्ट्स अचीव कर सकते हैं। ये सिर्फ युद्ध में ही नहीं, बल्कि बिज़नेस, करियर और लाइफ के हर एस्पेक्ट में लागू होता है। सही समय पर सही जगह पर होना ही सफलता की कुंजी है।
लेसन 4 : टैक्टिकल डिस्पोजिशंस यानी सामरिक व्यवस्था।
सुन त्ज़ु इस लेसन में हमें सिखाते हैं कि कैसे अपनी फोर्सेस को इफेक्टिवली ऑर्गेनाइज़ और डिप्लॉय करना चाहिए। उनका मानना था कि एक वेल-ऑर्गेनाइज़्ड आर्मी एक अनऑर्गेनाइज़्ड आर्मी से कहीं ज़्यादा इफेक्टिव होती है। इस लेसन में हमें पता चलता है कि कैसे अपनी स्ट्रेंग्थ और वीकनेसेस को ध्यान में रखते हुए, दुश्मन की मूवमेंट्स को एनालाइज करते हुए, अपनी फोर्सेस को डिप्लॉय करना चाहिए। टैक्टिकल डिस्पोजिशंस का मतलब है कि अपनी फोर्सेस को इस तरह से अरेंज करना कि आप हर सिचुएशन के लिए तैयार रहें। आपको पता होना चाहिए कि कब अटैक करना है, कब डिफेंस करना है, कब रिट्रीट करना है, और कब अपनी फोर्सेस को रीग्रुप करना है। एक रियल लाइफ एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। आपके पास एक टीम है जो एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। अगर आप अपनी टीम को सही तरीके से ऑर्गेनाइज़ नहीं करेंगे, हर मेंबर को उसकी रिस्पांसिबिलिटी नहीं देंगे, और कम्युनिकेशन चैनल्स क्लियर नहीं रखेंगे, तो प्रोजेक्ट में कंफ्यूजन और डिले होगा। वहीं, अगर आप पहले से ही एक वेल-डिफाइन्ड स्ट्रक्चर बना लेंगे, हर मेंबर को उसकी ड्यूटी बता देंगे, और रेगुलर मीटिंग्स करेंगे, तो प्रोजेक्ट स्मूथली चलेगा और टाइम पर पूरा होगा। इसी तरह, बिज़नेस में भी आपको अपनी टीम को, अपने रिसोर्सेज को, और अपनी प्रोसेसेज को इफेक्टिवली मैनेज करना होता है ताकि आप अपने गोल्स को अचीव कर सकें। सुन त्ज़ु ये भी कहते हैं कि हमें अपनी टैक्टिक्स को सिचुएशन के हिसाब से बदलना चाहिए। एक ही टैक्टिक हर सिचुएशन में काम नहीं करती। इसलिए, हमें फ्लेक्सिबल रहना चाहिए और अपनी स्ट्रेटेजी को अडैप्ट करते रहना चाहिए। इस लेसन का सार ये है कि हमें अपनी फोर्सेस को, चाहे वो आर्मी हो, टीम हो, या रिसोर्सेज हों, इफेक्टिवली ऑर्गेनाइज़ और डिप्लॉय करना चाहिए। हमें सिचुएशन के हिसाब से अपनी टैक्टिक्स बदलनी चाहिए और हमेशा प्रिपेयर्ड रहना चाहिए। सही टैक्टिकल डिस्पोजिशंस से हम कम एफर्ट में ज़्यादा रिजल्ट्स अचीव कर सकते हैं और अनएक्सपेक्टेड सिचुएशंस को भी हैंडल कर सकते हैं। ये सिर्फ वॉरफेयर में ही नहीं, बल्कि हर फील्ड में इम्पोर्टेंट है जहाँ हमें टीमवर्क और स्ट्रेटेजी की ज़रूरत होती है।
लेसन 5 : एनर्जी यानी ऊर्जा का उपयोग।
सुन त्ज़ु इस लेसन में 'एनर्जी' या 'मोमेंटम' के कॉन्सेप्ट पर फोकस करते हैं। वो कहते हैं कि एक सफल लीडर को ये समझना चाहिए कि कब अटैक करना है और कब डिफेंस करना है, और कब अपनी एनर्जी को कंसर्व करना है। उनका मानना था कि हमें अपनी एनर्जी को वेस्ट नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे इफेक्टिवली यूज़ करना चाहिए ताकि हम कम एफर्ट में ज़्यादा रिजल्ट्स अचीव कर सकें। इस लेसन में सुन त्ज़ु हमें सिखाते हैं कि कैसे राइट टाइम पर राइट अमाउंट ऑफ़ फोर्स का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर हम बहुत जल्दी अटैक कर देते हैं, तो हम अपनी एनर्जी वेस्ट कर सकते हैं। वहीं, अगर हम बहुत देर से अटैक करते हैं, तो हम ऑपर्च्युनिटी मिस कर सकते हैं। एक रियल लाइफ एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक एथलीट हैं जो एक रेस में पार्टिसिपेट कर रहा है। अगर आप शुरुआत में ही अपनी पूरी एनर्जी लगा देते हैं, तो आप एंड तक थक जाएंगे और रेस हार सकते हैं। वहीं, अगर आप शुरुआत में धीरे चलते हैं और एंड में अपनी पूरी एनर्जी लगाते हैं, तो आपके जीतने के चांसेस ज़्यादा होते हैं। इसी तरह, बिज़नेस में भी आपको ये समझना होता है कि कब मार्केटिंग कैंपेन लॉन्च करना है, कब नए प्रोडक्ट्स लॉन्च करने हैं, और कब इन्वेस्टमेंट करना है। अगर आप गलत टाइम पर ये सब करते हैं, तो आप अपने रिसोर्सेज वेस्ट कर सकते हैं। सुन त्ज़ु ये भी कहते हैं कि हमें अपनी एनर्जी को फ्लेक्सिबली यूज़ करना चाहिए। अगर सिचुएशन बदलती है, तो हमें अपनी स्ट्रेटेजी को भी बदलना चाहिए। कभी हमें तेज़ी से एक्शन लेना होता है, तो कभी हमें पेशेंस रखना होता है। इस लेसन का सार ये है कि हमें अपनी एनर्जी को सोच-समझकर और इफेक्टिवली यूज़ करना चाहिए। हमें राइट टाइम पर राइट अमाउंट ऑफ़ फोर्स का इस्तेमाल करना चाहिए और सिचुएशन के हिसाब से अपनी स्ट्रेटेजी बदलनी चाहिए। एनर्जी मैनेजमेंट सिर्फ वॉरफेयर में ही नहीं, बल्कि हर फील्ड में इम्पोर्टेंट है जहाँ हमें रिसोर्सेज और टाइम को मैनेज करना होता है। कम एफर्ट में ज़्यादा रिजल्ट्स अचीव करने के लिए एनर्जी का सही इस्तेमाल करना बहुत ज़रूरी है। जैसे एक स्प्रिंग को सही समय पर दबाने से ज्यादा ऊर्जा मिलती है, वैसे ही सही समय पर सही कदम उठाने से सफलता मिलती है।
लेसन 6: वीक पॉइंट्स एंड स्ट्रांग पॉइंट्स यानी कमजोर और मजबूत पहलू।
सुन त्ज़ु इस लेसन में दुश्मन और अपनी खुद की स्ट्रेंग्थ और वीकनेसेस को पहचानने पर ज़ोर देते हैं। उनका मानना था कि एक सफल लीडर को ये पता होना चाहिए कि उसके दुश्मन के कमजोर पहलू क्या हैं और उसके अपने मजबूत पहलू क्या हैं। इस नॉलेज का इस्तेमाल करके वो इफेक्टिव स्ट्रेटेजी बना सकता है और जीत हासिल कर सकता है। सुन त्ज़ु कहते हैं कि हमें दुश्मन के वीक पॉइंट्स पर अटैक करना चाहिए और अपने स्ट्रांग पॉइंट्स को डिफेंड करना चाहिए। ये एक सिंपल लेकिन पावरफुल प्रिंसिपल है जो वॉरफेयर से लेकर बिज़नेस और डेली लाइफ तक हर जगह लागू होता है। एक रियल लाइफ एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक डिबेट में पार्टिसिपेट कर रहे हैं। अगर आपको पता है कि आपके अपोनेंट के आर्गुमेंट्स में क्या कमज़ोरियाँ हैं, तो आप उन्हें आसानी से काउंटर कर सकते हैं। वहीं, अगर आपको अपनी खुद की स्ट्रेंग्थ पता है, तो आप अपने पॉइंट्स को कॉन्फिडेंटली प्रेजेंट कर सकते हैं। इसी तरह, बिज़नेस में भी आपको ये पता होना चाहिए कि आपके कॉम्पिटिटर्स के वीक पॉइंट्स क्या हैं और आपके प्रोडक्ट या सर्विस के यूनिक सेलिंग पॉइंट्स क्या हैं। इस नॉलेज का इस्तेमाल करके आप एक इफेक्टिव मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बना सकते हैं और कॉम्पिटिशन में आगे रह सकते हैं। सुन त्ज़ु ये भी कहते हैं कि हमें अपनी वीकनेसेस को सुधारने पर भी ध्यान देना चाहिए। सिर्फ दुश्मन की कमज़ोरियाँ जानने से ही काम नहीं चलेगा, हमें अपनी कमज़ोरियों को भी दूर करना होगा ताकि हम वल्नरेबल न रहें। इस लेसन का सार ये है कि हमें दुश्मन और अपनी खुद की स्ट्रेंग्थ और वीकनेसेस को एनालाइज करना चाहिए। हमें दुश्मन के वीक पॉइंट्स पर अटैक करना चाहिए और अपने स्ट्रांग पॉइंट्स को डिफेंड करना चाहिए। साथ ही, हमें अपनी वीकनेसेस को इम्प्रूव करने पर भी फोकस करना चाहिए। SWOT एनालिसिस, यानी स्ट्रेंग्थ, वीकनेस, ऑपर्च्युनिटी और थ्रेट एनालिसिस, इसी प्रिंसिपल पर बेस्ड है। ये एक पावरफुल टूल है जिसका इस्तेमाल बिज़नेस और पर्सनल डेवलपमेंट में किया जाता है। अपनी और दूसरों की कमियों और खूबियों को समझना सफलता का एक महत्वपूर्ण कदम है। जैसे एक कुशल योद्धा अपने ढाल और तलवार दोनों का सही उपयोग जानता है, वैसे ही एक सफल व्यक्ति अपनी और दूसरों की शक्तियों और कमजोरियों का सही आकलन करता है।
लेसन 7 : मैन्युवरिंग यानी युद्धाभ्यास।
सुन त्ज़ु इस लेसन में मूवमेंट और फ्लेक्सिबिलिटी के इम्पोर्टेंस पर ज़ोर देते हैं। उनका मानना था कि एक सफल आर्मी को तेज़ी से मूव करने और अपनी स्ट्रेटेजी को सिचुएशन के हिसाब से बदलने में सक्षम होना चाहिए। इस लेसन में हमें सिखाया जाता है कि कैसे दुश्मन को कंफ्यूज करें, उसे मिसडायरेक्ट करें, और उसे अनएक्सपेक्टेड जगहों पर अटैक करें। मैन्युवरिंग का मतलब है कि अपनी फोर्सेस को इस तरह से मूव करना कि आप दुश्मन को आउटमैन्युवर कर सकें। आपको उसे गेस करने का मौका नहीं देना चाहिए कि आप क्या करने वाले हैं। आपको अनप्रेडिक्टेबल होना चाहिए और अपनी स्ट्रेटेजी को लगातार बदलते रहना चाहिए। एक रियल लाइफ एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक फुटबॉलर हैं। अगर आप हमेशा एक ही तरह से खेलते हैं, तो आपके अपोनेंट्स को पता चल जाएगा कि आप क्या करने वाले हैं और वो आपको आसानी से डिफेंड कर लेंगे। लेकिन, अगर आप अपनी प्लेइंग स्टाइल को बदलते रहते हैं, कभी तेज़ी से दौड़ते हैं, कभी पास देते हैं, कभी ड्रिबल करते हैं, तो आपके अपोनेंट्स को आपको डिफेंड करने में मुश्किल होगी। इसी तरह, बिज़नेस में भी आपको अपनी स्ट्रेटेजी को मार्केट कंडीशंस के हिसाब से बदलना होता है। अगर मार्केट बदल रहा है, तो आपको भी अपनी स्ट्रेटेजी को अडैप्ट करना होगा ताकि आप कॉम्पिटिशन में बने रह सकें। सुन त्ज़ु ये भी कहते हैं कि हमें अननेसेसरी मूवमेंट से बचना चाहिए। सिर्फ मूवमेंट के लिए मूवमेंट करना वेस्ट ऑफ़ एनर्जी है। हमें तभी मूव करना चाहिए जब उससे हमें कोई एडवांटेज मिले। इस लेसन का सार ये है कि हमें फ्लेक्सिबल होना चाहिए, तेज़ी से मूव करने में सक्षम होना चाहिए, और अपनी स्ट्रेटेजी को सिचुएशन के हिसाब से बदलते रहना चाहिए। हमें अननेसेसरी मूवमेंट से बचना चाहिए और तभी मूव करना चाहिए जब उससे हमें कोई एडवांटेज मिले। मैन्युवरिंग एक पावरफुल टैक्टिक है जिसका इस्तेमाल वॉरफेयर से लेकर बिज़नेस और डेली लाइफ तक हर जगह किया जा सकता है। सही समय पर सही मूवमेंट से हम कम एफर्ट में ज़्यादा रिजल्ट्स अचीव कर सकते हैं। जैसे शतरंज के खेल में एक सही चाल पूरे खेल का रुख बदल सकती है, वैसे ही सही समय पर सही कदम उठाने से सफलता मिलती है। तेज़ी और चतुराई का सही मिश्रण ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।
लेसन 8 : वेरिएशन इन टैक्टिक्स यानी रणनीति में विविधता।
सुन त्ज़ु इस लेसन में एक ही टैक्टिक पर रिलाय न करने की इम्पोर्टेंस पर ज़ोर देते हैं। उनका मानना था कि एक सफल लीडर को अलग-अलग सिचुएशंस के लिए अलग-अलग टैक्टिक्स यूज़ करनी चाहिए। इस लेसन में हमें सिखाया जाता है कि कैसे सिचुएशन के हिसाब से अपनी स्ट्रेटेजी को अडैप्ट करें और कैसे अनएक्सपेक्टेड सिचुएशंस के लिए प्रिपेयर्ड रहें। वेरिएशन इन टैक्टिक्स का मतलब है कि हमें फ्लेक्सिबल होना चाहिए और अपनी स्ट्रेटेजी को बदलते रहना चाहिए। हमें एक ही टैक्टिक पर स्टिक नहीं रहना चाहिए, क्योंकि दुश्मन उसे आसानी से काउंटर कर सकता है। हमें अनप्रेडिक्टेबल होना चाहिए और उसे गेस करने का मौका नहीं देना चाहिए कि हम क्या करने वाले हैं। एक रियल लाइफ एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक सेल्स पर्सन हैं। अगर आप हर कस्टमर को एक ही पिच देते हैं, तो कुछ कस्टमर्स को वो पिच पसंद नहीं आएगी और आप सेल्स मिस कर देंगे। लेकिन, अगर आप हर कस्टमर की नीड्स और प्रेफरेंसेस के हिसाब से अपनी पिच को कस्टमाइज़ करते हैं, तो आपके सेल्स क्लोज करने के चांसेस ज़्यादा होते हैं। इसी तरह, बिज़नेस में भी आपको अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी, प्रोडक्ट डेवलपमेंट स्ट्रेटेजी, और कस्टमर सर्विस स्ट्रेटेजी को मार्केट कंडीशंस और कस्टमर नीड्स के हिसाब से बदलना होता है। सुन त्ज़ु ये भी कहते हैं कि हमें अपनी टैक्टिक्स को सीक्रेट रखना चाहिए। अगर दुश्मन को पता चल जाएगा कि हम क्या करने वाले हैं, तो वो उसके लिए प्रिपेयर कर लेगा और हमारी टैक्टिक फेल हो जाएगी। इस लेसन का सार ये है कि हमें फ्लेक्सिबल होना चाहिए, अलग-अलग सिचुएशंस के लिए अलग-अलग टैक्टिक्स यूज़ करनी चाहिए, और अपनी टैक्टिक्स को सीक्रेट रखना चाहिए। हमें अनएक्सपेक्टेड सिचुएशंस के लिए हमेशा प्रिपेयर्ड रहना चाहिए। वेरिएशन इन टैक्टिक्स एक पावरफुल प्रिंसिपल है जिसका इस्तेमाल वॉरफेयर से लेकर बिज़नेस, स्पोर्ट्स, और डेली लाइफ तक हर जगह किया जा सकता है। एक ही चाल पर निर्भर रहने की बजाय, परिस्थिति के अनुसार अपनी रणनीति बदलने में ही बुद्धिमानी है। जैसे एक बहती हुई नदी अपनी दिशा बदलती रहती है, वैसे ही एक सफल व्यक्ति परिस्थिति के अनुसार अपनी रणनीति बदलता है। अनुकूलनशीलता ही सफलता की कुंजी है।
लेसन 9 : द आर्मी ऑन द मार्च यानी सेना का कूच।
सुन त्ज़ु इस लेसन में आर्मी के मूवमेंट और डिसिप्लिन पर फोकस करते हैं। उनका मानना था कि एक वेल-ऑर्गेनाइज़्ड और डिसिप्लिन्ड आर्मी ही इफेक्टिवली मूव कर सकती है और लड़ाई जीत सकती है। इस लेसन में हमें सिखाया जाता है कि कैसे अपनी फोर्सेस को ऑर्डर में मूव करें, कैसे सप्लाई लाइन्स को सिक्योर रखें, और कैसे अपने सैनिकों का मनोबल बनाए रखें। 'द आर्मी ऑन द मार्च' का मतलब है कि हमें अपनी फोर्सेस को इस तरह से मूव करना चाहिए कि वो कम से कम टाइम में ज़्यादा से ज़्यादा डिस्टेंस कवर कर सकें और साथ ही अपनी स्ट्रेंथ और मोरल को भी बनाए रखें। एक वेल-ऑर्गेनाइज़्ड मूवमेंट में लॉजिस्टिक्स, कम्युनिकेशन, और डिसिप्लिन बहुत इम्पोर्टेंट रोल प्ले करते हैं। एक रियल लाइफ एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक ग्रुप ट्रिप पर जा रहे हैं। अगर ग्रुप में कोई प्लानिंग नहीं है, हर कोई अपनी मर्जी से चल रहा है, तो कंफ्यूजन और डिले होगा। वहीं, अगर पहले से ही रूट प्लान बना हुआ है, ट्रांसपोर्टेशन अरेंज्ड है, और हर किसी को अपनी रिस्पांसिबिलिटी पता है, तो ट्रिप स्मूथली चलेगी और सब एन्जॉय करेंगे। इसी तरह, बिज़नेस में भी आपको अपनी ऑपरेशंस, सप्लाई चेन, और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को एफिशिएंटली मैनेज करना होता है ताकि आप अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को टाइम पर कस्टमर्स तक पहुंचा सकें। सुन त्ज़ु ये भी कहते हैं कि हमें अपनी फोर्सेस को रेस्ट और रिकवरी का टाइम भी देना चाहिए। लगातार मूवमेंट से सैनिक थक जाते हैं और उनका मनोबल गिर जाता है। इसलिए, उन्हें प्रॉपर रेस्ट और रिकवरी का टाइम देना बहुत ज़रूरी है। इस लेसन का सार ये है कि हमें अपनी फोर्सेस को वेल-ऑर्गेनाइज़्ड और डिसिप्लिन्ड तरीके से मूव करना चाहिए, सप्लाई लाइन्स को सिक्योर रखना चाहिए, और अपने सैनिकों का मनोबल बनाए रखना चाहिए। हमें उन्हें प्रॉपर रेस्ट और रिकवरी का टाइम भी देना चाहिए। 'द आर्मी ऑन द मार्च' एक पावरफुल प्रिंसिपल है जिसका इस्तेमाल वॉरफेयर से लेकर बिज़नेस, टीम मैनेजमेंट, और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट तक हर जगह किया जा सकता है। सुव्यवस्थित गति और अनुशासन ही सफलता की नींव है। जैसे एक कुशल नाविक तूफानी समुद्र में भी अपनी नाव को सही दिशा में ले जाता है, वैसे ही एक कुशल नेता विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी टीम को सही दिशा में ले जाता है। नियंत्रण और संगठन ही प्रगति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
लेसन 10 : टेरेन यानी भूभाग।
सुन त्ज़ु इस लेसन में लड़ाई के मैदान, यानी टेरेन के इम्पोर्टेंस पर ज़ोर देते हैं। उनका मानना था कि एक सफल लीडर को टेरेन की जियोग्राफी, कंडीशन, और इम्प्लिकेशंस को समझना चाहिए। इस लेसन में हमें सिखाया जाता है कि कैसे अलग-अलग तरह के टेरेन में अलग-अलग स्ट्रेटेजीज़ यूज़ करनी चाहिए और कैसे टेरेन का एडवांटेज लेना चाहिए। 'टेरेन' का मतलब है लड़ाई का मैदान, जिसमें पहाड़, नदियाँ, जंगल, और मैदान शामिल हो सकते हैं। हर तरह के टेरेन की अपनी खासियतें होती हैं और उनके हिसाब से लड़ाई की स्ट्रेटेजी बदल जाती है। एक रियल लाइफ एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक रियल एस्टेट डेवलपर हैं। अगर आप पहाड़ी इलाके में एक प्रोजेक्ट डेवलप कर रहे हैं, तो आपको वहाँ की जियोग्राफी, क्लाइमेट, और इंफ्रास्ट्रक्चर को ध्यान में रखना होगा। आपको ऐसी बिल्डिंग्स बनानी होंगी जो पहाड़ी इलाके के लिए सूटेबल हों और वहाँ के क्लाइमेट को विथस्टैंड कर सकें। वहीं, अगर आप मैदानी इलाके में प्रोजेक्ट डेवलप कर रहे हैं, तो आपकी स्ट्रेटेजी अलग होगी। इसी तरह, बिज़नेस में भी आपको मार्केट कंडीशंस, कॉम्पिटिशन, और रेगुलेटरी एनवायरनमेंट को समझना होता है ताकि आप इफेक्टिव स्ट्रेटेजी बना सकें। सुन त्ज़ु ये भी कहते हैं कि हमें टेरेन का एडवांटेज लेना चाहिए। अगर हम ऊँची जगह पर हैं, तो हम आसानी से नीचे वाले दुश्मनों पर अटैक कर सकते हैं। वहीं, अगर हम किसी तंग जगह पर हैं, तो हमारे दुश्मन के लिए हम पर अटैक करना मुश्किल होगा। इस लेसन का सार ये है कि हमें टेरेन की जियोग्राफी, कंडीशन, और इम्प्लिकेशंस को समझना चाहिए और उसके हिसाब से अपनी स्ट्रेटेजी बनानी चाहिए। हमें टेरेन का एडवांटेज लेने की कोशिश करनी चाहिए। 'टेरेन' एक पावरफुल कॉन्सेप्ट है जिसका इस्तेमाल वॉरफेयर से लेकर बिज़नेस, अर्बन प्लानिंग, और एनवायरनमेंटल मैनेजमेंट तक हर जगह किया जा सकता है। जगह और परिस्थिति का सही आकलन सफलता का एक महत्वपूर्ण कारक है। जैसे एक किसान अपनी फसल बोने से पहले मिट्टी और मौसम का ध्यान रखता है, वैसे ही एक सफल व्यक्ति किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले परिस्थिति और संसाधनों का ध्यान रखता है। उचित स्थान और समय का ज्ञान ही सफलता की दिशा निर्धारित करता है।
तो दोस्तों, ये थे 'द आर्ट ऑफ़ वॉर' के 10 सबसे इम्पोर्टेन्ट लेसन्स। हमने देखा कि कैसे प्लानिंग, स्ट्रेटेजी, और फ्लेक्सिबिलिटी सफलता के लिए ज़रूरी हैं। ये लेसन्स सिर्फ युद्ध के लिए ही नहीं, बल्कि बिज़नेस, करियर, और डेली लाइफ में भी उतने ही रेलेवेंट हैं। उम्मीद है कि आपको ये समरी पसंद आयी होगी और आपको कुछ नया सीखने को मिला होगा। अगर आपको ये समरी अच्छी लगी तो इसे लाइक और शेयर करें। मिलते हैं अगले समरी में, तब तक के लिए धन्यवाद!
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