आज हम एक बहुत ही इंटरेस्टिंग और इंस्पायरिंग बुक के बारे में बात करेंगे जिसका नाम है "Who Moved My Cheese?" ये एक छोटी सी कहानी है पर इसमें छुपे लेसन्स हमारी लाइफ को पूरी तरह से बदल सकते हैं। ये बुक हमें सिखाती है कि कैसे बदलाव को एक्सेप्ट करें और कैसे बदलते हुए हालातों में भी खुश और सक्सेसफुल रहें। तो अगर आप भी अपनी लाइफ में बदलाव से डरते हैं या उसे हैंडल करने में प्रॉब्लम होती है, तो ये वीडियो आपके लिए है। चलिए शुरू करते हैं!
लेसन 1 : चेंज हैपेंस यानी बदलाव होता है
"Who Moved My Cheese?" का सबसे पहला और शायद सबसे इम्पोर्टेंट लेसन यही है कि बदलाव एक नेचुरल प्रोसेस है। ये हमेशा होता रहता है, चाहे हम चाहें या न चाहें। इस कहानी में, चूहों, स्निफ और स्करी, और लिटिलपीपल, हेम और हॉक, के लिए 'चीज़' उनकी खुशियों और सक्सेस का सिंबल है। जब उनका चीज़ स्टेशन खाली हो जाता है, तो उन्हें इस रियलिटी का सामना करना पड़ता है कि चीज़ मूव हो गया है, यानी उनकी सिचुएशन बदल गई है। हमारी रियल लाइफ में भी, चीज़ कई चीज़ें हो सकती हैं - हमारी जॉब, हमारा रिलेशनशिप, हमारी हेल्थ, या हमारी फाइनेंसियल सिचुएशन। जब ये चीज़ें बदलती हैं, तो हमें भी बदलना पड़ता है। बहुत से लोग बदलाव से डरते हैं क्योंकि उन्हें अनिश्चितता से डर लगता है। उन्हें लगता है कि अगर सब कुछ जैसा है वैसा ही रहे तो अच्छा है। पर सच तो ये है कि कुछ भी हमेशा एक जैसा नहीं रहता। बदलाव ही जीवन का नियम है। एक एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक कंपनी में काम करते हैं और अचानक से कंपनी का रीस्ट्रक्चरिंग होता है और आपकी जॉब चली जाती है। ये एक बड़ा बदलाव है और इससे आपको बहुत बुरा लग सकता है। पर अगर आप इस रियलिटी को एक्सेप्ट कर लेते हैं कि बदलाव हो गया है, तो आप आगे बढ़ सकते हैं और नई ऑपर्च्युनिटीज़ ढूंढ सकते हैं। अगर आप इस बात पर अटके रहते हैं कि "मेरी जॉब क्यों चली गई?" तो आप आगे नहीं बढ़ पाएंगे। इसलिए, पहला लेसन यही है कि बदलाव को एक्सेप्ट करें और उसे अपनी लाइफ का एक पार्ट मानें। यही नहीं, बदलाव को पहचानना भी ज़रूरी है, ये नहीं की जब चीज़ बिलकुल ख़त्म हो जाए तभी पता चले, बल्कि पहले से ही बदलाव के संकेतों को पहचानना चाहिए। जैसे कि बिज़नेस में मार्किट ट्रेंड्स को समझना ज़रूरी है ताकि समय रहते बदलाव किया जा सके। बदलाव को स्वीकार करना ही आगे बढ़ने का पहला कदम है।
लेसन 2 : एंटीसिपेट चेंज यानी बदलाव का पूर्वानुमान लगाओ
पहले लेसन में हमने देखा कि बदलाव होता है, पर इस लेसन में हम देखेंगे कि कैसे उस बदलाव को पहले से ही एंटीसिपेट किया जाए, यानी उसका पूर्वानुमान लगाया जाए। "Who Moved My Cheese?" में स्निफ और स्करी, जो चूहे हैं, वो लगातार चीज़ स्टेशन की निगरानी करते रहते हैं। वो देखते हैं कि चीज़ का स्टॉक कम हो रहा है, और उन्हें पता चल जाता है कि एक दिन चीज़ ख़त्म हो जाएगा। वहीं, हेम और हॉक, जो लिटिलपीपल हैं, वो चीज़ स्टेशन पर डिपेंडेंट हो जाते हैं और जब चीज़ ख़त्म हो जाता है तो उन्हें बहुत बड़ा झटका लगता है। हमारी लाइफ में भी, अगर हम अपने आस-पास के माहौल को ध्यान से देखें, तो हमें बदलाव के संकेत मिल सकते हैं। बिज़नेस में मार्केट ट्रेंड्स, टेक्नोलॉजी में नए डेवलपमेंट्स, और सोसाइटी में बदलते हुए वैल्यूज, ये सब बदलाव के इंडिकेटर्स हो सकते हैं। अगर हम इन इंडिकेटर्स को पहचान लेते हैं, तो हम बदलाव के लिए पहले से ही प्रिपेयर हो सकते हैं। एक और एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक ऐसे बिज़नेस में हैं जो टेक्नोलॉजी पर बहुत डिपेंडेंट है। अगर आप टेक्नोलॉजी में होने वाले नए डेवलपमेंट्स पर ध्यान नहीं देंगे, तो आप पीछे रह जाएंगे। वहीं, अगर आप पहले से ही नई टेक्नोलॉजी को अडॉप्ट कर लेते हैं, तो आप कॉम्पिटिशन में आगे रह सकते हैं। इसलिए, दूसरा लेसन यही है कि अपने आस-पास के माहौल को ध्यान से देखें और बदलाव के संकेतों को पहचानने की कोशिश करें। जितना जल्दी आप बदलाव को एंटीसिपेट करेंगे, उतना ही आसानी से आप उसे हैंडल कर पाएंगे। सिर्फ बदलाव का पूर्वानुमान लगाना ही नहीं, बल्कि उस पूर्वानुमान के हिसाब से एक्शन लेना भी ज़रूरी है। जैसे कि अगर आपको पता है कि आपकी जॉब में कुछ बदलाव होने वाले हैं, तो आप पहले से ही अपनी स्किल्स को अपग्रेड करना शुरू कर सकते हैं। बदलाव का पूर्वानुमान लगाना आधी लड़ाई जीत लेने जैसा है।
लेसन 3 : मॉनिटर चेंज यानी बदलाव पर नजर रखो
पिछले लेसन में हमने देखा कि बदलाव का पूर्वानुमान कैसे लगाया जाए, अब इस लेसन में हम देखेंगे कि एक बार जब बदलाव शुरू हो जाए तो उस पर नजर कैसे रखी जाए। "Who Moved My Cheese?" में स्निफ और स्करी लगातार चीज़ स्टेशन का इंस्पेक्शन करते रहते हैं। वो देखते हैं कि चीज़ कम हो रहा है और उन्हें पता होता है कि कब उन्हें नए चीज़ की तलाश में निकलना है। हेम और हॉक ऐसा नहीं करते और जब चीज़ पूरी तरह से गायब हो जाता है तब उन्हें पता चलता है। हमारी रियल लाइफ में भी, सिर्फ बदलाव का पूर्वानुमान लगाना ही काफी नहीं है, हमें उस पर लगातार नजर भी रखनी चाहिए। सिचुएशन कैसे बदल रही है, क्या नए डेवलपमेंट्स हो रहे हैं, इन सब बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है। एक एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आपने एक नया बिज़नेस शुरू किया है। आपने मार्केट रिसर्च किया, प्लानिंग की, सब कुछ किया, पर अगर आप मार्केट में होने वाले बदलावों पर नजर नहीं रखेंगे, तो आपका बिज़नेस फेल हो सकता है। आपको देखना होगा कि आपके कॉम्पिटिटर्स क्या कर रहे हैं, कस्टमर्स की नीड्स कैसे बदल रही हैं, और मार्केट में क्या नए ट्रेंड्स आ रहे हैं। इस सब पर नजर रखना ही "मॉनिटर चेंज" कहलाता है। सिर्फ बिज़नेस में ही नहीं, पर्सनल लाइफ में भी ये इम्पोर्टेंट है। मान लीजिए, आप एक नए रिलेशनशिप में हैं। शुरुआत में सब कुछ बहुत अच्छा लगता है, पर अगर आप अपने पार्टनर के बिहेवियर में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों पर ध्यान नहीं देंगे, तो आगे चलकर प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। इसलिए, तीसरा लेसन यही है कि बदलाव पर लगातार नजर रखें। ये न सोचें कि एक बार पूर्वानुमान लगा लिया तो सब हो गया। सिचुएशन लगातार बदलती रहती है, और हमें भी उसके साथ-साथ अपनी अप्रोच को एडजस्ट करना होता है। बदलाव पर नज़र रखने का मतलब है एक्टिव रहना, अलर्ट रहना, और सिचुएशन को एनालाइज करते रहना। जैसे एक डॉक्टर पेशेंट की कंडीशन को मॉनिटर करता है वैसे ही हमें भी अपने आस पास की परिस्थिति को मॉनिटर करते रहना चाहिए।
लेसन 4 : अडैप्ट टू चेंज क्विकली यानी बदलाव के लिए जल्दी से ढल जाओ
इस लेसन में हम बात करेंगे कि जब बदलाव हो जाए तो कितनी जल्दी हमें उसके हिसाब से खुद को ढाल लेना चाहिए। "Who Moved My Cheese?" में स्निफ और स्करी जब देखते हैं कि चीज़ स्टेशन खाली हो गया है, तो वो बिना टाइम वेस्ट किए तुरंत नए चीज़ की तलाश में निकल जाते हैं। वहीं, हेम और हॉक बहुत देर तक वहीं बैठे रहते हैं, ये सोचते हुए कि चीज़ वापस आ जाएगा। हमारी रियल लाइफ में भी, जो लोग जल्दी से बदलाव को एक्सेप्ट कर लेते हैं और उसके हिसाब से खुद को ढाल लेते हैं, वो ज़्यादा सक्सेसफुल होते हैं। जो लोग बदलाव का विरोध करते हैं या उसे डिनाई करते हैं, वो पीछे रह जाते हैं। एक एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, एक नई टेक्नोलॉजी आती है जो आपके काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल देती है। जो लोग इस नई टेक्नोलॉजी को सीखने में टाइम वेस्ट करते हैं, वो अपनी जॉब खो सकते हैं। वहीं, जो लोग जल्दी से इस नई टेक्नोलॉजी को सीख लेते हैं, वो न सिर्फ अपनी जॉब बचाते हैं, बल्कि नए ऑपर्च्युनिटीज़ भी क्रिएट करते हैं। इसी तरह, बिज़नेस में भी जो कंपनियाँ मार्केट में होने वाले बदलावों के हिसाब से अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को जल्दी से अडैप्ट कर लेती हैं, वो ज़्यादा सक्सेसफुल होती हैं। जो कंपनियाँ पुरानी सोच पर अटकी रहती हैं, वो मार्केट से बाहर हो जाती हैं। इसलिए, चौथा लेसन यही है कि बदलाव के लिए जल्दी से ढल जाओ। जितना जल्दी आप बदलती हुई सिचुएशन को एक्सेप्ट करेंगे और उसके हिसाब से खुद को एडजस्ट करेंगे, उतना ही ज़्यादा आपके सक्सेसफुल होने के चांसेस होंगे। जल्दी अडैप्ट करने का मतलब है फ्लेक्सिबल होना, ओपन-माइंडेड होना, और नई चीज़ें सीखने के लिए तैयार रहना। जैसे एक गिरगिट अपना रंग बदलता है वैसे ही हमें भी परिस्थिति के अनुसार खुद को बदलना सीखना चाहिए। जो जल्दी बदलता है वही टिकता है।
लेसन 5 : चेंज यानी बदलाव का आनंद लो
इस लेसन में हम सीखेंगे कि कैसे बदलाव को एक नेगेटिव चीज़ की तरह न देखकर एक पॉजिटिव ऑपर्च्युनिटी की तरह देखना चाहिए। "Who Moved My Cheese?" में हॉक शुरुआत में तो बदलाव से बहुत परेशान होता है, पर धीरे-धीरे वो ये समझने लगता है कि नए चीज़ की तलाश में निकलना एक एडवेंचर है। वो नए रास्ते एक्सप्लोर करता है, नई चीज़ें सीखता है, और उसे ये एहसास होता है कि बदलाव में भी मज़ा है। हमारी रियल लाइफ में भी, अगर हम अपना नजरिया बदलें तो हम बदलाव का आनंद ले सकते हैं। हर बदलाव अपने साथ नए ऑपर्च्युनिटीज़ लेकर आता है। नई स्किल्स सीखने का मौका, नए लोगों से मिलने का मौका, और नई चीज़ें एक्सप्लोर करने का मौका। एक एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आपको एक नई सिटी में शिफ्ट होना पड़ता है। शुरुआत में आपको बुरा लग सकता है क्योंकि आपको अपना पुराना घर, अपने दोस्त, और अपना कंफर्ट ज़ोन छोड़ना पड़ता है। पर अगर आप इस बदलाव को एक नए एडवेंचर की तरह देखते हैं, तो आप इस नई सिटी को एक्सप्लोर कर सकते हैं, नए लोगों से मिल सकते हैं, और नई चीज़ें सीख सकते हैं। इसी तरह, बिज़नेस में भी जब कोई नया कॉम्पिटिटर आता है या मार्केट में कोई नया ट्रेंड आता है, तो उसे एक थ्रेट की तरह न देखकर एक ऑपर्च्युनिटी की तरह देखना चाहिए। ये आपको इनोवेट करने, इम्प्रूव करने, और ग्रो करने का मौका देता है। इसलिए, पाँचवा लेसन यही है कि बदलाव का आनंद लो। उसे एक नेगेटिव चीज़ न समझकर एक पॉजिटिव ऑपर्च्युनिटी समझो। बदलाव को एन्जॉय करने का मतलब है ओपन-माइंडेड होना, क्यूरियस होना, और नई चीज़ें ट्राई करने के लिए तैयार रहना। जैसे एक बच्चा नई चीज़ें सीखने में एक्साइटेड होता है वैसे ही हमें भी बदलाव को एक्साइटमेंट के साथ एक्सेप्ट करना चाहिए। बदलाव डरने की नहीं, बल्कि सीखने और आगे बढ़ने की चीज़ है।
लेसन 6: हैव फन विथ चेंज यानी बदलाव के साथ मजे करो
ये लेसन पिछले लेसन का ही एक्सटेंशन है। इसमें हम और गहराई से समझेंगे कि कैसे बदलाव को सिर्फ एक्सेप्ट ही नहीं करना है, बल्कि उसे एन्जॉय भी करना है, उसके साथ मजे भी करने हैं। "Who Moved My Cheese?" में हॉक जब नए चीज़ की तलाश में निकलता है, तो वो शुरुआत में डरा हुआ होता है, पर जैसे-जैसे वो नए रास्ते एक्सप्लोर करता है, उसे मज़ा आने लगता है। वो अपनी जर्नी को एन्जॉय करता है और उसे ये एहसास होता है कि बदलाव में भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। हमारी रियल लाइफ में भी, अगर हम अपना एटीट्यूड बदलें तो हम बदलाव के साथ मजे कर सकते हैं। जब कोई नई सिचुएशन आती है, तो उसे एक चैलेंज की तरह लें, एक गेम की तरह लें। ये सोचें कि आप इस सिचुएशन से क्या सीख सकते हैं, कैसे ग्रो कर सकते हैं। एक एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आपकी कंपनी एक नया सॉफ्टवेयर इम्प्लीमेंट करती है जिससे आपके काम करने का तरीका बदल जाता है। शुरुआत में आपको ये मुश्किल लग सकता है, पर अगर आप इसे एक नए गेम की तरह लेते हैं, तो आप इस सॉफ्टवेयर को सीखने में एन्जॉय कर सकते हैं और अपनी स्किल्स को इम्प्रूव कर सकते हैं। इसी तरह, पर्सनल लाइफ में भी जब कोई बदलाव आता है, तो उसे एक अपॉर्चुनिटी की तरह देखें, एक नए एडवेंचर की तरह देखें। ये सोचें कि आप इस बदलाव से क्या नया एक्सपीरियंस कर सकते हैं। इसलिए, छठा लेसन यही है कि बदलाव के साथ मजे करो। उसे एक बोझ न समझकर एक एक्साइटिंग जर्नी समझो। बदलाव के साथ मजे करने का मतलब है पॉजिटिव एटीट्यूड रखना, ऑप्टिमिस्टिक रहना, और हर सिचुएशन में कुछ न कुछ अच्छा ढूंढना। जैसे बच्चे खेलते वक़्त हर पल को एन्जॉय करते हैं वैसे ही हमें भी बदलाव के हर पल को एन्जॉय करना चाहिए। डर और चिंता को छोड़कर उत्साह और उत्सुकता के साथ बदलाव का स्वागत करें। बदलाव एक अवसर है, एक उत्सव है, इसे खुलकर जिएँ।
लेसन 7 : बी रेडी टू चेंज क्विकली अगेन एंड अगेन यानी बार-बार जल्दी से बदलने के लिए तैयार रहो
इस लेसन में हम ये समझेंगे कि बदलाव सिर्फ एक बार नहीं होता, ये एक कंटीन्यूअस प्रोसेस है। "Who Moved My Cheese?" में हॉक जब नए चीज़ स्टेशन पर पहुँचता है, तो वो ये भी जानता है कि ये चीज़ भी हमेशा के लिए नहीं रहेगा। उसे पता है कि एक दिन ये चीज़ भी मूव हो जाएगा और उसे फिर से नए चीज़ की तलाश में निकलना पड़ेगा। हमारी रियल लाइफ में भी, हमें ये समझना चाहिए कि बदलाव एक बार होकर रुक नहीं जाता, ये बार-बार होता रहता है। टेक्नोलॉजी बदलती रहती है, मार्केट कंडीशंस बदलती रहती हैं, और हमारी लाइफ की सिचुएशंस भी बदलती रहती हैं। इसलिए, हमें हमेशा बदलने के लिए तैयार रहना चाहिए। एक एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक ऐसे इंडस्ट्री में काम करते हैं जो बहुत तेज़ी से बदल रही है। हर साल नई टेक्नोलॉजी आती है और पुराने तरीके आउटडेटेड हो जाते हैं। अगर आप सिर्फ एक बार नई टेक्नोलॉजी सीख लेते हैं और ये सोचते हैं कि अब सब ठीक है, तो आप गलत हैं। आपको लगातार नई चीज़ें सीखते रहना होगा और बदलते हुए हालातों के हिसाब से खुद को ढालते रहना होगा। इसी तरह, पर्सनल लाइफ में भी हमें ये समझना चाहिए कि लाइफ में अप्स एंड डाउन्स आते रहते हैं। हमें हर सिचुएशन के लिए तैयार रहना चाहिए और हर बार जल्दी से एडजस्ट करना सीखना चाहिए। इसलिए, सातवाँ लेसन यही है कि बार-बार जल्दी से बदलने के लिए तैयार रहो। ये न सोचें कि एक बार बदलाव को एक्सेप्ट कर लिया तो सब हो गया। बदलाव एक कंटीन्यूअस प्रोसेस है और हमें हमेशा उसके लिए तैयार रहना चाहिए। बार-बार बदलने के लिए तैयार रहने का मतलब है फ्लेक्सिबल रहना, अडैप्टेबल रहना, और हमेशा सीखते रहना। जैसे पानी की धारा हमेशा बहती रहती है वैसे ही हमें भी बदलाव के साथ बहते रहना चाहिए। स्थिर रहने की कोशिश न करें, बल्कि गतिशील बनें। बार-बार बदलने की तैयारी ही सफलता की गारंटी है।
लेसन 8 : नोटिस द स्मॉल चेंजेस अर्ली यानी छोटे बदलावों को जल्दी पहचानो
इस लेसन में हम ये सीखेंगे कि बड़े बदलाव का इंतज़ार करने की बजाय, छोटे-छोटे बदलावों पर ध्यान देना कितना ज़रूरी है। "Who Moved My Cheese?" में स्निफ और स्करी चीज़ के कम होने के छोटे-छोटे संकेतों को नोटिस करते हैं और इसीलिए वो जल्दी से एक्शन लेते हैं। हेम और हॉक ऐसा नहीं करते और जब चीज़ पूरी तरह से गायब हो जाता है तब उन्हें पता चलता है। हमारी रियल लाइफ में भी, अगर हम अपने आस-पास के माहौल में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों पर ध्यान दें, तो हम बड़े बदलावों के लिए पहले से ही प्रिपेयर हो सकते हैं। एक एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक बिज़नेस चलाते हैं। अगर आप कस्टमर फीडबैक, सेल्स ट्रेंड्स, और मार्केट में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों पर ध्यान नहीं देंगे, तो आप बड़े नुकसान का शिकार हो सकते हैं। वहीं, अगर आप इन छोटे-छोटे संकेतों को पहचान लेते हैं, तो आप समय रहते अपनी स्ट्रेटेजी में बदलाव कर सकते हैं और बिज़नेस को बचा सकते हैं। इसी तरह, पर्सनल लाइफ में भी हमें अपने रिलेशनशिप्स, हेल्थ, और फाइनेंस में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों पर ध्यान देना चाहिए। अगर हम इन बदलावों को इग्नोर करते हैं, तो आगे चलकर बड़ी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। इसलिए, आठवाँ लेसन यही है कि छोटे बदलावों को जल्दी पहचानो। ये न सोचें कि जब बड़ी प्रॉब्लम आएगी तभी एक्शन लेना है। छोटे-छोटे बदलाव बड़े बदलावों के इंडिकेटर्स होते हैं और उन्हें नोटिस करना बहुत ज़रूरी है। छोटे बदलावों को पहचानने का मतलब है ऑब्ज़र्वेंट होना, अटेंटिव होना, और अपने आस-पास के माहौल को एनालाइज करते रहना। जैसे एक शिकारी जानवरों के पगमार्क से उनका पीछा करता है, वैसे ही हमें भी छोटे-छोटे संकेतों से बड़े बदलावों का अंदाजा लगाना चाहिए। छोटी-छोटी चीज़ों पर ध्यान देना ही बड़ी सफलता की कुंजी है। समय रहते सुधारे गए छोटे बदलाव भविष्य में होने वाले बड़े नुकसान से बचा सकते हैं।
लेसन 9 : ओल्ड बिलीव्स डोंट लीड यू टू न्यू चीज़ यानी पुरानी सोच आपको नए चीज़ तक नहीं ले जाती
इस लेसन में हम ये समझेंगे कि जब सिचुएशन बदल जाती है, तो हमें अपनी पुरानी सोच और तरीकों को भी बदलना पड़ता है। "Who Moved My Cheese?" में हेम शुरुआत में ये सोचता रहता है कि चीज़ अपनी जगह पर वापस आ जाएगा, और इसीलिए वो नए चीज़ की तलाश में नहीं निकलता। उसकी ये पुरानी सोच उसे नए चीज़ तक नहीं पहुँचने देती। हमारी रियल लाइफ में भी, जब कोई बड़ा बदलाव होता है, तो हमें अपनी पुरानी सोच और कंफर्ट ज़ोन को छोड़ना पड़ता है। अगर हम पुरानी सोच पर अटके रहते हैं, तो हम नए ऑपर्च्युनिटीज़ मिस कर देते हैं। एक एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक ऐसे जॉब में हैं जहाँ आप सालों से एक ही तरीके से काम कर रहे हैं। अब कंपनी एक नई टेक्नोलॉजी इम्प्लीमेंट करती है जिससे आपके काम करने का तरीका पूरी तरह से बदल जाता है। अगर आप ये सोचते हैं कि "मैं तो सालों से ऐसे ही काम करता आया हूँ, मैं क्यों बदलूँ?" तो आप अपनी जॉब खो सकते हैं। वहीं, अगर आप नई टेक्नोलॉजी को सीखने के लिए तैयार हो जाते हैं, तो आप न सिर्फ अपनी जॉब बचाते हैं, बल्कि नए स्किल्स भी सीखते हैं। इसी तरह, पर्सनल लाइफ में भी हमें अपनी पुरानी सोच और बिलीव्स को चैलेंज करना चाहिए। अगर कोई चीज़ पहले काम करती थी, तो ये ज़रूरी नहीं है कि वो आज भी काम करे। हमें नई सिचुएशंस के हिसाब से अपनी सोच को अडैप्ट करना चाहिए। इसलिए, नौवाँ लेसन यही है कि पुरानी सोच आपको नए चीज़ तक नहीं ले जाती। जब सिचुएशन बदल जाती है, तो हमें अपनी सोच और तरीकों को भी बदलना पड़ता है। पुरानी सोच को छोड़ने का मतलब है ओपन-माइंडेड होना, फ्लेक्सिबल होना, और नई चीज़ें सीखने के लिए तैयार रहना। जैसे एक गाड़ी को नए रास्ते पर चलने के लिए नए नेविगेशन की ज़रूरत होती है, वैसे ही हमें भी नए बदलावों का सामना करने के लिए नई सोच की ज़रूरत होती है। पुरानी आदतों और विचारों को त्याग कर ही हम नए अवसरों की ओर बढ़ सकते हैं।
लेसन 10 : इमेजिन योरसेल्फ एन्जॉइंग द न्यू चीज़ यानी नए चीज़ का आनंद लेते हुए अपनी कल्पना करो
इस लेसन में हम ये सीखेंगे कि कैसे बदलाव को एक्सेप्ट करने और उसे एन्जॉय करने के लिए अपनी इमेजिनेशन का इस्तेमाल करना चाहिए। "Who Moved My Cheese?" में हॉक जब नए चीज़ की तलाश में निकलता है, तो वो अक्सर ये इमेजिन करता है कि वो नए चीज़ स्टेशन पर पहुँच गया है और वहाँ खूब सारा चीज़ है। ये इमेजिनेशन उसे मोटिवेट करती है और उसे आगे बढ़ने की हिम्मत देती है। हमारी रियल लाइफ में भी, जब हम किसी बड़े बदलाव का सामना करते हैं, तो ये बहुत ज़रूरी है कि हम उस बदलाव के पॉजिटिव साइड को इमेजिन करें। ये सोचें कि उस बदलाव से हमें क्या फायदे होंगे, हमारी लाइफ कैसे बेहतर होगी। ये इमेजिनेशन हमें मोटिवेट करती है और हमें बदलाव को एक्सेप्ट करने में हेल्प करती है। एक एग्जांपल लेते हैं। मान लीजिए, आप एक नया बिज़नेस शुरू कर रहे हैं। शुरुआत में आपको डर लग सकता है, अनिश्चितता हो सकती है। पर अगर आप ये इमेजिन करते हैं कि आपका बिज़नेस सक्सेसफुल हो गया है, आपके कस्टमर्स खुश हैं, और आप फाइनेंशियली सिक्योर हैं, तो ये इमेजिनेशन आपको मोटिवेट करेगी और आपको मेहनत करने की हिम्मत देगी। इसी तरह, पर्सनल लाइफ में भी जब कोई बड़ा बदलाव आता है, तो हमें उस बदलाव के पॉजिटिव आउटकम्स को इमेजिन करना चाहिए। ये इमेजिनेशन हमें स्ट्रेस और एंग्जायटी से निपटने में हेल्प करती है। इसलिए, दसवाँ लेसन यही है कि नए चीज़ का आनंद लेते हुए अपनी कल्पना करो। ये इमेजिनेशन आपको मोटिवेट करेगी और आपको बदलाव को एक्सेप्ट करने और उसे एन्जॉय करने में हेल्प करेगी। पॉजिटिव इमेजिनेशन एक पावरफुल टूल है जिसका इस्तेमाल हम अपनी लाइफ के हर एस्पेक्ट में कर सकते हैं। ये हमें अपने गोल्स को अचीव करने, स्ट्रेस से निपटने, और खुश रहने में हेल्प करती है। जैसे एक पेंटर पेंटिंग शुरू करने से पहले अपनी कल्पना में पूरी पेंटिंग देख लेता है, वैसे ही हमें भी किसी भी बदलाव का सामना करने से पहले उसके पॉजिटिव आउटकम्स को इमेजिन करना चाहिए। कल्पना ही वास्तविकता की जननी है। सकारात्मक कल्पना से ही हम सकारात्मक भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
तो दोस्तों, ये थे "Who Moved My Cheese?" के 10 इम्पोर्टेंट लेसन्स। हमने सीखा कि बदलाव एक नेचुरल प्रोसेस है, हमें उसे एक्सेप्ट करना चाहिए, उसके लिए प्रिपेयर रहना चाहिए, और उसे एन्जॉय भी करना चाहिए। ये लेसन्स हमें लाइफ के हर फील्ड में हेल्प कर सकते हैं, चाहे वो हमारा करियर हो, बिज़नेस हो, या पर्सनल लाइफ। उम्मीद है कि आपको ये समरी पसंद आयी होगी और आपको कुछ नया सीखने को मिला होगा। अगर आपको ये समरी अच्छी लगी तो इसे लाइक और शेयर करें। मिलते हैं अगले समरी में, तब तक के लिए धन्यवाद!
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