Iacocca (Hindi)


🤯 जब आपको आपकी सबसे बड़ी कंपनी से निकाल दिया जाए, तो क्या आप हार मान लेंगे? क्या आप घर बैठकर दुनिया को कोसेंगे? या क्या आप अपनी राख से उठकर एक और डूबती हुई कंपनी को बचाने निकल पड़ेंगे, यह जानते हुए कि इस बार आपका दाँव पर लगा सब कुछ है? 🤔

आजकल हर कोई 'सक्सेस' की बात करता है। सोशल मीडिया पर हर तीसरा शख्स आपको CEO बनने के 5 'इज़ी स्टेप्स' बता रहा होता है। लेकिन क्या कोई आपको यह बताता है कि जब आप CEO बनने के बाद, सफलता के शिखर पर पहुँचने के बाद, ज़मीन पर धड़ाम से गिरते हैं, तो कैसा महसूस होता है? ली इयाकोका की कहानी 'सफलता' की नहीं, बल्कि 'हार के बाद लड़ने' की कहानी है। यह उन लोगों की कहानी है जिन्हें दुनिया ने 0 मान लिया था, लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि असली खेल तो वहाँ से शुरू होता है जहाँ सब आपको छूकर निकल जाते हैं।

आप 1970 के दशक की कल्पना कीजिए। ली इयाकोका अमेरिकी कार उद्योग के बेताज बादशाह थे। फोर्ड (Ford) कंपनी के प्रेसिडेंट! वही कंपनी जिसने मॉडर्न ऑटोमोबाइल की नींव रखी थी। इयाकोका के दिमाग की उपज थी वह कार जिसने लाखों अमेरिकियों को 'स्पोर्ट्स कार' का सपना दिखाया—मस्टंग (Mustang)! सोचिए, एक प्रोडक्ट जिसे लॉन्च होते ही करोड़ों लोगों ने सिर आँखों पर बिठा लिया, वह प्रोडक्ट जिसने $\text{20}$वीं सदी की पॉप कल्चर को बदल दिया। इयाकोका मतलब दूरदर्शिता, इयाकोका मतलब मार्केटिंग की जीनियस, इयाकोका मतलब सेल्स का जादूगर। वह दुनिया के शीर्ष पर बैठे थे। उनकी सैलरी, उनकी पहचान, उनकी ताकत — सब कुछ बेजोड़ था।

और फिर एक दिन, सब कुछ खत्म। 💔 हेनरी फोर्ड II (Henry Ford II), कंपनी के मालिक, ने एक पल में सब कुछ खत्म कर दिया। 13 जुलाई, 1978 को, इयाकोका को नौकरी से निकाल दिया गया। कारण? कोई स्पष्ट कारण नहीं। बस मालिक को यह लगा कि इयाकोका शायद 'बहुत ज्यादा' सफल हो रहे हैं। यह एक ऐसा पल था जब एक आदमी की पूरी 32 साल की मेहनत, उसका रुतबा, उसकी पहचान... सब मिट्टी में मिल गया। किसी ने सही कहा है, दुनिया में सबसे मुश्किल होता है आपके अहंकार पर लगी चोट को बर्दाश्त करना। इयाकोका ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उन्हें ऐसा लगा जैसे उनके पेट में घूंसा मार दिया गया हो। यह सिर्फ नौकरी छूटना नहीं था; यह 'कौन हैं ली इयाकोका' इस पहचान का टूट जाना था।

लेकिन, ध्यान से सुनिए, यहीं पर असली कहानी शुरू होती है। एक आम इंसान इस झटके के बाद टूट जाता, डिप्रेशन में चला जाता। लेकिन इयाकोका ने क्या किया? उन्होंने कुछ महीने आराम किया, अपनी ऊर्जा को समेटा, और फिर उन्हें एक कॉल आया। 1979 में, एक डूबती हुई कंपनी, क्रिसलर (Chrysler), ने उन्हें CEO का पद ऑफर किया।

ज़रा सोचिए, एक तरफ दुनिया की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित कंपनी से निकाला गया CEO, दूसरी तरफ, दिवालिया होने की कगार पर खड़ी क्रिसलर। क्रिसलर की हालत ऐसी थी कि वह अगले कुछ हफ्तों में ताला लगाने वाली थी। उनकी कारें बिक नहीं रही थीं। लाखों की संख्या में कर्मचारी सड़क पर आने वाले थे। यह नौकरी नहीं, बल्कि एक 99% हारने वाला युद्ध था।

इयाकोका ने यह युद्ध स्वीकार किया। "फोर्ड से निकाले जाने के बाद क्रिसलर को कैसे बचाया?"—यह सवाल सिर्फ एक बिज़नेस केस स्टडी नहीं है, यह एक 'इम्पॉसिबल मिशन' है। और यहीं से हमें लीडरशिप का पहला और सबसे बड़ा सबक मिलता है: हार आपको परिभाषित नहीं करती। आपकी वापसी परिभाषित करती है। 🔥

इयाकोका ने क्रिसलर में आकर सबसे पहले क्या किया? क्या उन्होंने कोई फैंसी मार्केटिंग प्लान बनाया? नहीं। उन्होंने सबसे पहले सच्चाई का सामना किया। उन्होंने क्रिसलर के हर एक कर्मचारी को, हर मैनेजमेंट के बंदे को एक बात साफ़ कर दी: हम डूब रहे हैं। 5 मिनट की कॉर्पोरेट मीटिंग्स बंद हुईं। 50 लोगों के बजाय 5 लोगों की टीमें बनीं। उन्होंने फ़ालतू के खर्चों में कटौती की। सबसे पहले, उन्होंने अपनी सैलरी सालाना 1 डॉलर कर दी। हाँ, आपने सही सुना! एक डॉलर। यह सिर्फ सैलरी में कटौती नहीं थी, यह एक संदेश था: 'अगर मैं कुर्बानी दे सकता हूँ, तो क्या आप नहीं दे सकते?' इस एक कदम ने हज़ारों कर्मचारियों के बीच एक भावना जगा दी: 'यह आदमी हममें से है। यह हमें बचाने आया है।' यह है असली सफल बिज़नेस लीडर बनने के लिए इयाकोका के सबक। सबसे पहले, खुद पर दाँव लगाओ।

लेकिन सिर्फ खर्च कम करने से कंपनी नहीं चलती। कंपनी चलाने के लिए पैसा चाहिए था। अमेरिका में सरकार किसी प्राइवेट कंपनी को पैसे नहीं देती। इयाकोका ने यह 'नियम' तोड़ने का फैसला किया। उन्होंने वॉशिंगटन D.C. में कांग्रेस के हर एक सदस्य, हर एक सीनेटर से व्यक्तिगत रूप से बात की। उन्होंने तर्क दिया कि क्रिसलर का डूबना सिर्फ एक कंपनी का फेल होना नहीं है। इसका मतलब है लाखों लोगों का रोज़गार जाना, सप्लायर्स का बर्बाद होना, और देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ना। "इयाकोका की असफलता और वापसी का मंत्र" यही है: जब आप खुद पर भरोसा करते हैं, तो आप नियम बदल सकते हैं।

और इतिहास गवाह है, उन्होंने यह कर दिखाया! अमेरिकी सरकार ने क्रिसलर को 1.5 बिलियन डॉलर का 'लोन गारंटी' दिया। यह अमेरिकी इतिहास में किसी कॉर्पोरेशन को दिया गया सबसे बड़ा बेलआउट पैकेज था।

अब इयाकोका के पास पैसा था, लेकिन पैसा तो सिर्फ ईंधन है। इंजन तो प्रोडक्ट होता है। ली इयाकोका ने Chrysler को कैसे बदला? उन्होंने प्रोडक्ट पर ध्यान दिया। उन्हें पता था कि अमेरिकियों को छोटी, फ्यूल-एफिशिएंट, और भरोसेमंद कारें चाहिए। उन्होंने क्रिसलर को 'मिनी-वैन (Minivan)' बनाने के लिए मजबूर किया। मिनी-वैन एक क्रांतिकारी प्रोडक्ट था। यह छोटी कार की माइलेज और बड़ी कार की स्पेस देता था। यह एक ऐसा कदम था जो बिज़नेस में रिस्क कैसे लें: इयाकोका की सीख का सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने वह किया जो किसी और ने नहीं सोचा था। उन्होंने लोगों की ज़रूरतों को समझा, न कि उस चलन को जो बाज़ार में चल रहा था।

इयाकोका खुद अपने टीवी एड में आने लगे। एक CEO जो खुद कैमरे के सामने आकर कह रहा है: "अगर आपको बेहतर कारें मिल सकती हैं, तो आप क्यों नहीं खरीदेंगे?" उनकी सादगी, उनकी ईमानदारी लोगों को पसंद आई। लोग इयाकोका से कनेक्ट हुए।

सिर्फ 4 साल के भीतर! जी हाँ, सिर्फ 4 साल के भीतर! 1983 में, क्रिसलर ने सरकार का सारा लोन $ 7 साल पहले ही चुका दिया। और इसके साथ, कंपनी ने 2.4 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड प्रॉफ़िट कमाया। एक कंपनी जो 4 साल पहले दिवालिया होने वाली थी, वह अमेरिकी उद्योग की आइकन बन गई। यह कहानी Chrysler को डूबने से बचाने वाले CEO की कहानी है—यह कहानी बताती है कि एक सच्चा लीडर सिर्फ ऑर्डर नहीं देता, बल्कि वह डर के माहौल को आत्मविश्वास और एक्शन की ऊर्जा में बदल देता है। 🚀

यह कहानी सिर्फ ऑटोमोबाइल की नहीं है। यह कहानी आपकी और मेरी ज़िंदगी की है। आपकी ज़िंदगी में फोर्ड कौन है? वह बॉस जिसने आपको नीचा दिखाया? वह प्रोजेक्ट जिसमें आप फेल हो गए? वह रिश्ता जो टूट गया? और आपकी ज़िंदगी का क्रिसलर क्या है? वह नया आईडिया जिसे शुरू करने से आप डर रहे हैं? वह दूसरी कोशिश जो आप नहीं कर पा रहे हैं?

इयाकोका की किताब, 'इयाकोका: एन ऑटोबायोग्राफी', हमें सिखाती है कि नेतृत्व (Leadership) का मतलब यह नहीं है कि आप हमेशा सही हों। नेतृत्व का मतलब है कि आप अपनी टीम को सच्चाई बताएं, आप खुद कुर्बानी दें, आप रिस्क लेने से न डरें, और सबसे ज़रूरी बात: आप हमेशा आगे बढ़ते रहें। आपकी सबसे बड़ी जीत आपके सबसे बड़े गिरने के बाद ही आती है। 1500 शब्दों में इस किताब की हर बारीकी को समझाना मुश्किल है, पर अगर आप इयाकोका ऑटोबायोग्राफी हिंदी में मुख्य बातें समझना चाहते हैं, तो बस इन 3 मंत्रों को याद रखें:

पहला मंत्र: "Decisiveness" (निर्णय लेने की क्षमता): इयाकोका कहते थे, "एक अच्छा निर्णय 10 बार में सही निर्णय लेने से बेहतर है।" बिज़नेस में सबसे बड़ी गलती होती है कोई निर्णय न लेना। तुरंत निर्णय लो, भले ही बाद में उसे बदलना पड़े।

दूसरा मंत्र: "Communication" (संचार): अपने विचार, अपनी योजना, और अपनी सच्चाई लोगों को स्पष्ट रूप से बताओ। लोगों को यह मत बताओ कि उन्हें क्या करना है, उन्हें बताओ कि आपको क्या करना है और आप क्यों कर रहे हैं।

तीसरा मंत्र: "The Will to Fight" (लड़ने की इच्छाशक्ति): हार तो होनी ही है। हर किसी की ज़िंदगी में एक 'फोर्ड मोमेंट' आता है। असली चैंपियन वह है जो 'क्रिसलर मोमेंट' को स्वीकार करता है, कमर कसता है, और लड़ता है। ली इयाकोका की कहानी से लीडरशिप कैसे सीखें? बस यह याद रखो: दुनिया उन्हें याद नहीं रखती जो कभी गिरे नहीं, दुनिया उन्हें याद रखती है जो गिरने के बाद शानदार तरीके से वापस उठे।

तो अब जब आप सुबह उठेंगे और आपको लगेगा कि सब कुछ मुश्किल है, तो 1 डॉलर की सैलरी लेने वाले उस CEO को याद कीजिएगा जिसने एक डूबते जहाज़ को न सिर्फ़ बचाया, बल्कि उसे आसमान तक पहुँचा दिया। अगर वह कर सकते हैं, तो आप क्यों नहीं? 💪 अपनी हार को अपना सबसे बड़ा टूल बनाओ!

आज ही फैसला करें: आपकी ज़िंदगी के कौन से 'क्रिसलर' को आपको बचाने की ज़रूरत है? इस पोस्ट को अपने उस दोस्त के साथ शेयर करें जिसे आज सबसे ज़्यादा मोटिवेशन की ज़रूरत है! 👇


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