The Power Of Habit - Book Review in Hindi

The Power Of Habit - Book Review in Hindi

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में, हम सभी को कभी न कभी अपनी आदतों को सुधारने की जरूरत महसूस होती है। चाहे वो सुबह जल्दी उठने की आदत हो, रेगुलर एक्सरसाइज करने की या फिर हेल्दी खाने की। ऐसे में, चार्ल्स डुहिग की किताब 'The Power of Habit' एक बेहतरीन गाइड साबित हो सकती है। इस किताब में बताया गया है कि कैसे हमारी आदतें हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं और हम उन्हें कैसे बदल सकते हैं। डुहिग ने साइंस और स्टोरीटेलिंग का बेहतरीन मिश्रण कर इस किताब को बहुत ही रोचक और समझने में आसान बना दिया है। इस ब्लॉग में हम इस किताब के मुख्य चैप्टर्स का रिव्यू करेंगे और जानेंगे कि कैसे ये किताब हमारी जिंदगी में पॉजिटिव चेंज ला सकती है।


प्रमुख अध्यायों का सारांश (Summary of Key Chapters):

अध्याय 1: आदत का लूप (The Habit Loop)
चार्ल्स डुहिग ने 'The Power of Habit' की शुरुआत आदत के लूप से की है। आदत का लूप तीन हिस्सों में बंटा होता है: क्यू (Cue), रूटीन (Routine), और रिवॉर्ड (Reward)। क्यू वह संकेत है जो हमारे दिमाग को बताता है कि किस आदत को शुरू करना है। रूटीन वह एक्शन है जिसे हम बार-बार दोहराते हैं, और रिवॉर्ड वह इनाम है जो हमें उस एक्शन के बाद मिलता है। उदाहरण के लिए, अगर आप रोज़ सुबह कॉफी पीते हैं, तो क्यू हो सकता है सुबह का अलार्म, रूटीन हो सकता है कॉफी बनाना, और रिवॉर्ड हो सकता है कॉफी की खुशबू और उसका स्वाद। 

अध्याय 2: बदलाव की शक्ति (The Craving Brain)
इस अध्याय में, डुहिग बताते हैं कि कैसे हमारी आदतें हमारे दिमाग में गहरी जड़ें जमा लेती हैं। जब हम किसी आदत को बार-बार दोहराते हैं, तो हमारा दिमाग उस आदत को लेकर एक 'क्रेविंग' (Craving) विकसित कर लेता है। यह क्रेविंग ही हमें बार-बार उस आदत को दोहराने के लिए प्रेरित करती है। उदाहरण के लिए, अगर आप रोज़ शाम को जिम जाते हैं, तो कुछ समय बाद आपका दिमाग उस एक्सरसाइज के बाद मिलने वाले 'एंडॉरफिन' (Endorphin) की क्रेविंग करने लगेगा।

अध्याय 3: सुनहरे नियम का पालन (The Golden Rule of Habit Change)
डुहिग ने इस अध्याय में 'सुनहरे नियम' (Golden Rule) का जिक्र किया है, जो आदत बदलने का सबसे महत्वपूर्ण नियम है। यह नियम कहता है कि अगर आप किसी आदत को बदलना चाहते हैं, तो आपको क्यू और रिवॉर्ड को वही रखना होगा, लेकिन रूटीन को बदलना होगा। उदाहरण के लिए, अगर आप स्मोकिंग छोड़ना चाहते हैं, तो आपको वही क्यू और रिवॉर्ड रखना होगा, लेकिन स्मोकिंग की जगह कोई और हेल्दी रूटीन अपनाना होगा, जैसे कि च्यूइंग गम खाना या वॉक पर जाना।

अध्याय 4: आदतें और कंपनियां (Keystone Habits, or The Ballad of Paul O’Neill)
इस अध्याय में, डुहिग ने 'कीस्टोन हैबिट्स' (Keystone Habits) के बारे में बताया है। ये वे आदतें होती हैं जो हमारी बाकी आदतों को भी प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप रेगुलर एक्सरसाइज करने की आदत डालते हैं, तो इससे आपकी खाने की आदतें, नींद की आदतें और यहां तक कि आपका मूड भी बेहतर हो सकता है। डुहिग ने इस कॉन्सेप्ट को समझाने के लिए अल्कोआ कंपनी के सीईओ पॉल ओ'नील की कहानी बताई है, जिन्होंने सेफ्टी को अपनी कंपनी की कीस्टोन हैबिट बनाया और इससे पूरी कंपनी की परफॉर्मेंस में सुधार हुआ।

अध्याय 5: समाज और आदतें (Starbucks and the Habit of Success)
इस अध्याय में, डुहिग ने बताया है कि कैसे समाज और हमारे आस-पास के लोग हमारी आदतों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपके दोस्त रेगुलर एक्सरसाइज करते हैं, तो आपके लिए भी एक्सरसाइज करना आसान हो जाता है। डुहिग ने स्टारबक्स की कहानी भी बताई है, जहां कर्मचारियों को स्ट्रेसफुल सिचुएशंस में कैसे बिहेव करना है, इसकी ट्रेनिंग दी जाती है। इससे कर्मचारियों की परफॉर्मेंस में सुधार होता है और वे बेहतर कस्टमर सर्विस दे पाते हैं।

अध्याय 6: आदतों का विज्ञान (The Power of a Crisis)
इस अध्याय में, डुहिग ने बताया है कि कैसे क्राइसिस के समय में आदतों को बदलना आसान हो जाता है। जब हम किसी क्राइसिस का सामना कर रहे होते हैं, तो हमारा दिमाग नई आदतों को अपनाने के लिए ज्यादा तैयार होता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी कंपनी में कोई बड़ा क्राइसिस आ जाता है, तो उस समय कंपनी के कर्मचारी नई वर्किंग प्रैक्टिसेस को आसानी से अपना सकते हैं।

अध्याय 7: समाज और आदतें (How Target Knows What You Want Before You Do)
इस अध्याय में, डुहिग ने बताया है कि कैसे बड़ी कंपनियां हमारी आदतों को समझकर अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेस को डिजाइन करती हैं। उदाहरण के लिए, टारगेट कंपनी ने अपने कस्टमर्स की शॉपिंग हैबिट्स को एनालाइज करके यह पता लगाया कि कौन से कस्टमर्स प्रेग्नेंट हैं और उन्हें उनके हिसाब से प्रोडक्ट्स ऑफर किए। इससे कंपनी की सेल्स में इजाफा हुआ और कस्टमर्स को भी उनकी जरूरत के प्रोडक्ट्स आसानी से मिल गए।

अध्याय 8: आदतों का समाज पर प्रभाव (Saddleback Church and the Montgomery Bus Boycott)
इस अध्याय में, डुहिग ने बताया है कि कैसे आदतें समाज पर भी गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। उन्होंने सैडलबैक चर्च और मोंटगोमरी बस बॉयकॉट की कहानियों का जिक्र किया है, जहां लोगों ने अपनी आदतों को बदलकर समाज में बड़ा बदलाव लाया। सैडलबैक चर्च ने अपने मेंबर्स को छोटे-छोटे ग्रुप्स में बांटा और उन्हें रेगुलर मीटिंग्स करने की आदत डलवाई। इससे मेंबर्स के बीच एक स्ट्रॉन्ग बॉन्ड बना और चर्च की ग्रोथ में मदद मिली। वहीं, मोंटगोमरी बस बॉयकॉट में लोगों ने बसों का बहिष्कार किया और पैदल चलने की आदत डाली, जिससे सिविल राइट्स मूवमेंट को मजबूती मिली।

अध्याय 9: आदतों को बदलने की कला (The Neurology of Free Will)
इस आखिरी अध्याय में, डुहिग ने बताया है कि कैसे हम अपनी आदतों को बदल सकते हैं और इसके लिए हमारे दिमाग में क्या प्रोसेस होता है। उन्होंने बताया कि आदतें बदलने के लिए हमें अपने दिमाग को रीप्रोग्राम करना होता है। इसके लिए हमें अपनी आदतों के क्यू और रिवॉर्ड को पहचानना होता है और फिर रूटीन को बदलना होता है। यह प्रोसेस आसान नहीं है, लेकिन अगर हम लगातार कोशिश करते रहें, तो हम अपनी आदतों को बदल सकते हैं और अपनी जिंदगी में पॉजिटिव चेंज ला सकते हैं।


विश्लेषण (Analysis):

'द पावर ऑफ हैबिट' एक ऐसी किताब है जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को गहराई से प्रभावित करने वाली चीज - हमारी आदतों - पर फोकस करती है। चार्ल्स डुहिग ने इस कॉम्प्लेक्स टॉपिक को बहुत ही सिंपल और एंगेजिंग तरीके से प्रेजेंट किया है। किताब की सबसे बड़ी स्ट्रेंथ है इसका बैलेंस - साइंटिफिक रिसर्च और रियल-लाइफ स्टोरीज का परफेक्ट मिक्स।

डुहिग ने आदतों के फॉर्मेशन, उनके इम्पैक्ट और उन्हें चेंज करने के तरीकों को बहुत ही डिटेल में समझाया है। खास तौर पर 'हैबिट लूप' और 'गोल्डन रूल ऑफ हैबिट चेंज' के कॉन्सेप्ट्स रीडर्स को अपनी लाइफ में पॉजिटिव चेंज लाने के लिए मोटिवेट करते हैं।

कुछ रीडर्स को लग सकता है कि किताब कुछ जगहों पर रिपीटिटिव हो जाती है। फिर भी, ओवरऑल यह एक वैल्युएबल रीड है जो न सिर्फ इंडिविजुअल्स बल्कि ऑर्गनाइजेशंस के लिए भी उपयोगी इनसाइट्स प्रोवाइड करती है। यह किताब हमें सिखाती है कि कैसे छोटे-छोटे चेंजेस से हम अपनी लाइफ में बड़े बदलाव ला सकते हैं।


निष्कर्ष (Conclusion):

'द पावर ऑफ हैबिट' एक ऐसी किताब है जो हमें अपनी जिंदगी के हर पहलू को नए नजरिए से देखने के लिए मजबूर करती है। चार्ल्स डुहिग ने हमें दिखाया है कि हमारी आदतें कितनी पावरफुल होती हैं और कैसे हम उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप अपनी लाइफ में रियल चेंज लाना चाहते हैं, तो यह किताब आपके लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। याद रखिए, छोटी-छोटी आदतों से ही बड़े बदलाव की शुरुआत होती है!




इस बुक रिव्यु को पढ़ने के लिए समय निकालने के लिए धन्यवाद! हमें आशा है कि आपको यह जानकारीपूर्ण और विचारोत्तेजक लगा होगा। हमारे नवीनतम बुक रिव्यु पर अपडेट रहने के लिए सोशल मीडिया पर DY Books को फॉलो करना न भूलें।

यदि आप यह बुक खरीदना चाहते हैं, तो बुक को खरीदने के लिए यहां क्लिक करें

यदि आपने हमारी बुक रिव्यु का आनंद लिया और हमारा समर्थन करना चाहते हैं, तो कृपया डोनेट करने पर विचार करें। हम आपके समर्थन की सराहना करते हैं और भविष्य में आपके लिए और अधिक उच्च गुणवत्ता वाली बुक रिव्यु लाने के लिए तत्पर हैं! - डोनेट करने के लिए यहां क्लिक करें



_

Post a Comment

Previous Post Next Post