आज हम एक्सप्लोर करेंगे एक पावरफुल बुक जिसने अनगिनत लोगों की लाइफ चेंज कर दी है – “थिंक एंड ग्रो रिच,” बाय नेपोलियन हिल। ये सिर्फ़ एक बुक नहीं, एक ब्लूप्रिंट है सक्सेस का। इस समरी में, हम इसके दस की लेसन्स को समझेंगे, एकदम सिंपल लैंग्वेज में, ताकि आप भी अपनी लाइफ को ट्रांसफॉर्म कर सकें और बनें और भी ज़्यादा रिच! तो चलिए, शुरू करते हैं ये इंस्पायरिंग जर्नी!
लेसन 1 : डिज़ायर – द स्टार्टिंग पॉइंट ऑफ़ ऑल अचीवमेंट
दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि हर बड़ी चीज़ की शुरुआत कहाँ से होती है? एक छोटे से स्पार्क से, एक छोटी सी इच्छा से। जैसे एक छोटा सा सीड एक बड़े ट्री में ग्रो करता है, वैसे ही एक स्ट्रांग डिज़ायर एक शानदार फ्यूचर क्रिएट कर सकता है। नेपोलियन हिल अपनी मास्टरपीस “थिंक एंड ग्रो रिच” में इसी ‘डिज़ायर’ यानी इच्छा को सक्सेस का फर्स्ट स्टेप मानते हैं। वो कहते हैं कि सिर्फ़ ‘चाहना’ इनफ़ नहीं है, बल्कि एक ‘बर्निंग डिज़ायर’ होना चाहिए – एक ऐसी आग जो आपको चैन से बैठने न दे, जो हर वक़्त आपके माइंड में घूमती रहे। अब, ये ‘बर्निंग डिज़ायर’ एक्चुअली है क्या? इसे एक रियल-लाइफ एग्ज़ाम्पल से समझते हैं। इमेजिन करो, आप एक सक्सेसफुल एंटरप्रेन्योर बनना चाहते हो। सिर्फ़ ये सोचने से कि ‘मुझे एंटरप्रेन्योर बनना है’ कुछ नहीं होगा। आपको स्पेसिफिक होना पड़ेगा – ‘मुझे इस टाइप का बिज़नेस बिल्ड करना है, इतने टाइम में करना है, और ये मेरे लिए इतना इम्पोर्टेन्ट क्यों है’। आपको अपनी डिज़ायर को एक कंक्रीट प्लान में कन्वर्ट करना होगा। हिल कहते हैं कि एक जेन्युइन डिज़ायर में कुछ की एलिमेंट्स होने चाहिए। सबसे पहले, एक डेफिनिट पर्पस, यानी एक निश्चित लक्ष्य। आपको एकदम क्लियर होना चाहिए कि आपको एक्चुअली क्या चाहिए। ‘मुझे रिच बनना है’ कहने से काम नहीं चलेगा, आपको बोलना होगा ‘मुझे इतने टाइम में इतने रुपीज़ अर्न करने हैं’। एक नंबर, एक डेडलाइन, एक स्पेसिफिक गोल। दूसरा, फेथ, यानी विश्वास। आपको अपनी डिज़ायर पर रॉक-सॉलिड बिलीव होना चाहिए कि ये पॉसिबल है। सारे डाउट्स को साइड में रखो और पॉज़िटिव एटीट्यूड रखो। बिलीव करो कि तुम कर सकते हो। तीसरा, ऑटो-सजेशन, यानी स्वयं सुझाव। अपनी डिज़ायर को बार-बार रिपीट करो, इसे अपने सबकॉन्शियस माइंड में प्लांट करो। हर मॉर्निंग और इवनिंग अपनी डिज़ायर को लिखो और बोलो। विज़ुअलाइज़ करो कि वो ऑलरेडी अचीव हो चुकी है। चौथा, स्पेशलाइज़्ड नॉलेज, यानी विशेष ज्ञान। अपने गोल को अचीव करने के लिए जो भी इनफार्मेशन चाहिए, उसे गैदर करो। बुक्स रीड करो, कोर्सेस अटेंड करो, एक्सपोर्ट्स से कनेक्ट करो। लर्निंग कभी स्टॉप नहीं होनी चाहिए। पांचवा, प्लान, यानी योजना। अपनी डिज़ायर को रियलिटी में बदलने के लिए एक सॉलिड प्लान बनाओ। स्टेप्स डिफ़ाइन करो और उन पर एक्शन लेना स्टार्ट करो। प्लानिंग इज़ क्रूशियल। और आखिर में, पर्सिस्टेंस, यानी दृढ़ता। रास्ते में चैलेंजेस आएँगे, अप्स एंड डाउन्स होंगे, लेकिन आपको गिव अप नहीं करना है। अपने गोल पर फोकस रहो और कंसिस्टेंटली वर्क करते रहो। क्विट मत करो। याद रखो, दोस्तों, सिर्फ़ सोचने से कुछ नहीं होता, आपको एक्शन लेना पड़ेगा। अपनी डिज़ायर को एक ‘बर्निंग डिज़ायर’ में बदलो और फिर देखो कैसे आपकी लाइफ ट्रांसफॉर्म होती है। जैसे एक फायर बिना फ्यूल के नहीं जलती, वैसे ही एक डिज़ायर बिना एक्शन के फुलफिल नहीं होती। तो आज ही अपनी डिज़ायर को आइडेंटिफ़ाई करो, उसे लिखो, उस पर बिलीव करो और उस पर वर्क करना शुरू करो। यही है “थिंक एंड ग्रो रिच” का फर्स्ट और मोस्ट इम्पोर्टेन्ट लेसन।
लेसन 2 : फेथ – विज़ुअलाइज़ेशन ऑफ़ एंड बिलीफ़ इन अचीवमेंट ऑफ़ डिज़ायर
दोस्तों, पिछले लेसन में हमने बात की थी डिज़ायर की, इच्छा की, जो हर अचीवमेंट की शुरुआत है। लेकिन सिर्फ़ इच्छा रखने से कुछ नहीं होता, उस इच्छा पर अटूट विश्वास होना भी ज़रूरी है। और यही है लेसन 2 – फेथ, यानी विश्वास। नेपोलियन हिल कहते हैं कि फेथ एक ऐसा ‘केमिकल’ है जो आपकी डिज़ायर को रियलिटी में बदल सकता है। ये एक ऐसी पावर है जो आपको तब भी आगे बढ़ने की हिम्मत देती है जब सब कुछ नामुमकिन लग रहा होता है। अब ये फेथ एक्चुअली काम कैसे करता है? इसे समझने के लिए हमें विज़ुअलाइज़ेशन की पावर को समझना होगा। विज़ुअलाइज़ेशन का मतलब है अपनी डिज़ायर को अपने माइंड में क्लियरली देखना, जैसे कि वो ऑलरेडी पूरी हो चुकी है। मान लीजिए, आप एक बड़ी कार खरीदना चाहते हैं। सिर्फ़ ये सोचने से कि ‘मुझे कार चाहिए’ कुछ नहीं होगा। आपको ये विज़ुअलाइज़ करना होगा कि आप उस कार में बैठे हैं, उसे ड्राइव कर रहे हैं, उसकी खुशबू कैसी है, उसका इंटीरियर कैसा है। आपको उस एक्सपीरियंस को अपने माइंड में एकदम रियल बनाना होगा। जब आप इस तरह से विज़ुअलाइज़ करते हैं, तो आपका सबकॉन्शियस माइंड उस इमेज को रियलिटी मानने लगता है, और फिर वो आपको उस डिज़ायर को अचीव करने के रास्ते दिखाने लगता है। ये एक तरह का ‘सेल्फ-प्रोग्रामिंग’ है। आप अपने माइंड को प्रोग्राम कर रहे हैं कि आप उस चीज़ को डिज़र्व करते हैं और उसे अचीव कर सकते हैं। हिल कहते हैं कि फेथ को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए ऑटो-सजेशन बहुत इम्पोर्टेन्ट है। ऑटो-सजेशन का मतलब है अपनी डिज़ायर को बार-बार दोहराना, उसे लिखना, उसे बोलना, उसे सुनना। जब आप ऐसा करते हैं, तो वो डिज़ायर आपके सबकॉन्शियस माइंड में गहराई तक उतर जाती है, और फिर वो आपके एक्शन्स को गाइड करने लगती है। एक और इम्पोर्टेन्ट चीज़ है – एक्शन। सिर्फ़ विज़ुअलाइज़ करने और ऑटो-सजेशन करने से कुछ नहीं होगा, आपको एक्शन भी लेना पड़ेगा। फेथ और एक्शन साथ-साथ चलते हैं। जैसे एक गाड़ी के दो पहिये होते हैं, वैसे ही फेथ और एक्शन सक्सेस के दो पिलर्स हैं। याद रखिए, दोस्तों, डाउट और डर फेथ के दुश्मन हैं। आपको इन नेगेटिव इमोशन्स को दूर रखना होगा। पॉज़िटिव सोचिए, बिलीव कीजिए कि आप कर सकते हैं, और एक्शन लीजिए। यही है लेसन 2 – फेथ, जो आपको आपकी डिज़ायर को रियलिटी में बदलने में हेल्प करेगा। जैसे एक बीच पर लहरें आती रहती हैं, वैसे ही चैलेंजेस भी आते रहेंगे, लेकिन आपका फेथ आपको स्टेबल रखेगा और आपको आपके गोल तक पहुंचाएगा। तो आज से ही अपनी डिज़ायर पर फुल फेथ रखिए और उस पर काम करना शुरू कीजिए।
लेसन 3 : ऑटो-सजेशन – द मीडियम फॉर इन्फ्लुएंसिंग द सबकॉन्शियस माइंड
दोस्तों, पिछले दो लेसन्स में हमने डिज़ायर और फेथ की बात की। अब हम बात करेंगे एक ऐसे टूल की जो इन दोनों को और भी पावरफुल बना देता है – ऑटो-सजेशन, यानी स्वयं सुझाव। नेपोलियन हिल कहते हैं कि ऑटो-सजेशन एक ऐसा मीडियम है जिसके थ्रू आप अपने सबकॉन्शियस माइंड को इन्फ्लुएंस कर सकते हैं, उसे प्रोग्राम कर सकते हैं अपनी डिज़ायर्स को रियलिटी में बदलने के लिए। अब ये ऑटो-सजेशन एक्चुअली है क्या? सिंपल वर्ड्स में, ये है खुद को पॉज़िटिव सजेशन्स देना, बार-बार देना, तब तक देना जब तक वो आपके सबकॉन्शियस माइंड में इम्प्रिंट न हो जाएँ। जैसे एक गाना बार-बार सुनने से वो आपके दिमाग में बैठ जाता है, वैसे ही पॉज़िटिव अफर्मेशन्स को बार-बार रिपीट करने से वो आपके सबकॉन्शियस माइंड का पार्ट बन जाते हैं। हिल कहते हैं कि ऑटो-सजेशन को इफेक्टिव बनाने के लिए कुछ चीज़ें ज़रूरी हैं। सबसे पहले, आपको अपनी डिज़ायर को एक क्लियर और कंसाइज़ स्टेटमेंट में लिखना होगा। जैसे, ‘मैं हर महीने एक लाख रुपीज़ कमा रहा हूँ’, या ‘मैं एक सक्सेसफुल बिज़नेस ओनर हूँ’। ये स्टेटमेंट्स प्रेजेंट टेंस में होने चाहिए, जैसे कि वो ऑलरेडी सच हैं। फिर, आपको इन स्टेटमेंट्स को रोज़ सुबह और शाम, कम से कम एक बार, लाउडली बोलना होगा। बोलते वक़्त आपको अपनी डिज़ायर को विज़ुअलाइज़ भी करना होगा, उसे फील करना होगा, जैसे कि वो ऑलरेडी पूरी हो चुकी है। ये बहुत इम्पोर्टेन्ट है कि आप इमोशन के साथ बोलें, सिर्फ़ मैकेनिकल रिपिटेशन से कुछ नहीं होगा। एक और इम्पोर्टेन्ट चीज़ है – रेपिटेशन। आपको इन स्टेटमेंट्स को तब तक रिपीट करते रहना है जब तक वो आपके सबकॉन्शियस माइंड में पूरी तरह से इम्प्रिंट न हो जाएँ। ये एक प्रोसेस है, इसमें टाइम लगता है, लेकिन अगर आप कंसिस्टेंट रहेंगे तो रिजल्ट ज़रूर मिलेगा। ऑटो-सजेशन का एक और पावरफुल तरीका है – स्क्रिप्टिंग। आप अपनी डिज़ायर को एक स्टोरी के फॉर्म में लिख सकते हैं, जैसे कि वो ऑलरेडी पूरी हो चुकी है। इस स्टोरी को रोज़ पढ़िए और उसे फील कीजिए। ये आपके सबकॉन्शियस माइंड को और भी स्ट्रॉन्ग मेसेज भेजेगा। याद रखिए, दोस्तों, आपका सबकॉन्शियस माइंड एक फर्टाइल ग्राउंड की तरह है। आप उसमें जो भी सीड डालेंगे, वो ग्रो करेगा। अगर आप नेगेटिव थॉट्स डालेंगे, तो नेगेटिव रिजल्ट्स मिलेंगे। लेकिन अगर आप पॉज़िटिव अफर्मेशन्स और विज़ुअलाइज़ेशन्स के सीड्स डालेंगे, तो आपको सक्सेस और अचीवमेंट का हार्वेस्ट मिलेगा। तो आज से ही ऑटो-सजेशन का यूज़ करना शुरू कीजिए और देखिए कैसे आपकी लाइफ ट्रांसफॉर्म होती है। जैसे एक कुम्हार मिट्टी को शेप देता है, वैसे ही आप ऑटो-सजेशन से अपने माइंड को शेप दे सकते हैं और अपनी डिज़ायर्स को रियलिटी में बदल सकते हैं।
लेसन 4 : स्पेशलाइज़्ड नॉलेज – पर्सनल एक्सपीरियंसेस और ऑब्ज़र्वेशंस
दोस्तों, पिछले लेसन्स में हमने डिज़ायर, फेथ और ऑटो-सजेशन की बात की। अब हम बात करेंगे एक और इम्पोर्टेन्ट इंग्रीडिएंट की जो सक्सेस के लिए ज़रूरी है – स्पेशलाइज़्ड नॉलेज, यानी विशेष ज्ञान। नेपोलियन हिल कहते हैं कि सिर्फ़ जनरल नॉलेज से काम नहीं चलेगा, आपको अपने चुने हुए फील्ड में एक्सपर्ट बनने के लिए स्पेशलाइज़्ड नॉलेज गेन करनी होगी। अब ये स्पेशलाइज़्ड नॉलेज एक्चुअली क्या है? ये है किसी स्पेसिफिक सब्जेक्ट या फील्ड की डीप अंडरस्टैंडिंग। जैसे एक डॉक्टर को ह्यूमन बॉडी की डिटेल नॉलेज होती है, एक इंजीनियर को मशीनरी की, वैसे ही आपको अपने गोल को अचीव करने के लिए ज़रूरी नॉलेज होनी चाहिए। हिल कहते हैं कि नॉलेज दो तरह की होती है – जनरल और स्पेशलाइज़्ड। जनरल नॉलेज आपको एक ब्रॉड अंडरस्टैंडिंग देती है वर्ल्ड की, लेकिन स्पेशलाइज़्ड नॉलेज आपको एक्शन लेने के लिए टूल्स प्रोवाइड करती है। ये आपको बताती है कि ‘कैसे’ करना है। स्पेशलाइज़्ड नॉलेज गेन करने के कई तरीके हैं। सबसे पहले, बुक्स पढ़िए। अपने फील्ड की बेस्ट बुक्स को स्टडी कीजिए, उनसे नोट्स बनाइए और उन्हें बार-बार रिव्यु कीजिए। दूसरा, कोर्सेस कीजिए। ऑनलाइन और ऑफलाइन कोर्सेस अवेलेबल हैं जो आपको स्पेसिफिक स्किल्स सिखा सकते हैं। तीसरा, मेंटर्स और एक्सपर्ट्स से सीखिए। उनसे कनेक्ट कीजिए, उनके एक्सपीरियंसेस से सीखिए और उनसे गाइडेंस लीजिए। एक और इम्पोर्टेन्ट चीज़ है – एक्सपीरियंस। सिर्फ़ बुक्स पढ़ने या कोर्सेस करने से काम नहीं चलेगा, आपको प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस भी गेन करना होगा। फील्ड में उतरिए, काम कीजिए, गलतियाँ कीजिए और उनसे सीखिए। एक्सपीरियंस ही आपको असली एक्सपर्ट बनाता है। हिल एक और इम्पोर्टेन्ट पॉइंट पर ज़ोर देते हैं – ऑब्ज़र्वेशन। अपने आस-पास की दुनिया को ध्यान से ऑब्ज़र्व कीजिए। सक्सेसफुल लोगों को ऑब्ज़र्व कीजिए, उनकी हैबिट्स को, उनकी स्ट्रेटेजीज़ को ऑब्ज़र्व कीजिए। उनसे सीखिए कि वो क्या करते हैं जो उन्हें सक्सेसफुल बनाता है। याद रखिए, दोस्तों, नॉलेज पावर है, लेकिन सिर्फ़ तब जब उसे यूज़ किया जाए। स्पेशलाइज़्ड नॉलेज आपको कॉम्पिटिटिव एज देती है, आपको दूसरों से अलग बनाती है और आपको अपने गोल को अचीव करने में हेल्प करती है। जैसे एक शार्प नाइफ एक ब्लंट नाइफ से ज़्यादा इफेक्टिव होता है, वैसे ही स्पेशलाइज़्ड नॉलेज आपको ज़्यादा इफेक्टिव बनाती है। तो आज से ही अपने फील्ड में स्पेशलाइज़्ड नॉलेज गेन करना शुरू कीजिए और देखिए कैसे आपकी जर्नी टू सक्सेस फ़ास्ट होती है। जैसे एक आर्किटेक्ट ब्लूप्रिंट के बिना एक बिल्डिंग नहीं बना सकता, वैसे ही स्पेशलाइज़्ड नॉलेज के बिना आप अपने गोल्स को अचीव नहीं कर सकते।
लेसन 5 : इमेजिनेशन – द वर्कशॉप ऑफ़ द माइंड
दोस्तों, पिछले लेसन्स में हमने नॉलेज की इम्पोर्टेंस की बात की। अब हम बात करेंगे एक ऐसी पावर की जो नॉलेज को यूज़ करने का तरीका बताती है – इमेजिनेशन, यानी कल्पना। नेपोलियन हिल कहते हैं कि इमेजिनेशन ‘मन की कार्यशाला’ है, जहाँ नए आइडियाज़ और कॉन्सेप्ट्स जन्म लेते हैं। ये वो जगह है जहाँ आप अपनी डिज़ायर्स को रियलिटी में बदलने का ब्लूप्रिंट बनाते हैं। अब ये इमेजिनेशन एक्चुअली है क्या? ये है कुछ ऐसा क्रिएट करने की एबिलिटी जो अभी एक्ज़िस्ट नहीं करता। ये है नए पॉसिबिलिटीज को देखना, नए सॉल्यूशन्स को खोजना, नए आइडियाज़ को जनरेट करना। ये एक ऐसी पावर है जो हमें ऑर्डिनरी से एक्स्ट्राऑर्डिनरी बनाने में हेल्प करती है। हिल कहते हैं कि इमेजिनेशन दो तरह की होती है – सिंथेटिक और क्रिएटिव। सिंथेटिक इमेजिनेशन में आप एक्ज़िस्टिंग आइडियाज़ को कंबाइन करके कुछ नया बनाते हैं। जैसे एक पेंटर अलग-अलग कलर्स को मिक्स करके एक नई पेंटिंग बनाता है। क्रिएटिव इमेजिनेशन में आप बिलकुल नए आइडियाज़ जनरेट करते हैं, कुछ ऐसा जो पहले कभी नहीं था। जैसे एक इन्वेंटर एक नई मशीन इन्वेंट करता है। इमेजिनेशन को डेवलप करने के कई तरीके हैं। सबसे पहले, बुक्स पढ़िए। अलग-अलग सब्जेक्ट्स की बुक्स पढ़िए, ये आपके माइंड को नए आइडियाज़ से एक्सपोज करेगा। दूसरा, क्रिएटिव एक्टिविटीज में एंगेज कीजिए। पेंटिंग कीजिए, म्यूजिक सुनिए, राइटिंग कीजिए, ये आपके इमेजिनेशन को स्टिमुलेट करेगा। तीसरा, नेचर में टाइम स्पेंड कीजिए। नेचर आपको इंस्पायर करता है और आपको नए पर्सपेक्टिव्स देता है। हिल एक और इम्पोर्टेन्ट पॉइंट पर ज़ोर देते हैं – अपनी इमेजिनेशन को अपनी डिज़ायर पर फोकस कीजिए। अपनी डिज़ायर को विज़ुअलाइज़ कीजिए, उसे अलग-अलग एंगल्स से देखिए, उसे रियलिटी में बदलने के अलग-अलग तरीकों के बारे में सोचिए। जब आप ऐसा करते हैं, तो आपका सबकॉन्शियस माइंड काम करना शुरू कर देता है और आपको नए आइडियाज़ और सॉल्यूशन्स प्रोवाइड करता है। याद रखिए, दोस्तों, इमेजिनेशन लिमिटलेस है। इसकी कोई बाउंड्रीज़ नहीं हैं। आप जो भी इमेजिन कर सकते हैं, उसे अचीव कर सकते हैं। जैसे एक बर्ड बिना विंग्स के नहीं उड़ सकता, वैसे ही इमेजिनेशन के बिना आप अपने गोल्स को अचीव नहीं कर सकते। तो आज से ही अपनी इमेजिनेशन को यूज़ करना शुरू कीजिए, उसे नर्चर कीजिए और देखिए कैसे आपकी लाइफ में नए ऑपर्च्युनिटीज़ ओपन होते हैं। जैसे एक आर्टिस्ट कैनवास पर अपनी इमेजिनेशन को पेंट करता है, वैसे ही आप अपनी लाइफ को अपनी इमेजिनेशन से शेप दे सकते हैं।
लेसन 6: ऑर्गेनाइज़्ड प्लानिंग – द क्रिस्टलाइज़ेशन ऑफ़ डिज़ायर इंटू एक्शन
दोस्तों, पिछले लेसन्स में हमने डिज़ायर, फेथ, ऑटो-सजेशन, नॉलेज और इमेजिनेशन की बात की। ये सब इम्पोर्टेन्ट हैं, लेकिन इन्हें रियलिटी में बदलने के लिए एक चीज़ और ज़रूरी है – ऑर्गेनाइज़्ड प्लानिंग, यानी व्यवस्थित योजना। नेपोलियन हिल कहते हैं कि प्लानिंग डिज़ायर को एक्शन में बदलने का प्रोसेस है। ये वो ब्लूप्रिंट है जो आपको बताता है कि ‘क्या’ करना है, ‘कब’ करना है और ‘कैसे’ करना है। अब ये ऑर्गेनाइज़्ड प्लानिंग एक्चुअली है क्या? ये है अपने गोल को छोटे-छोटे, मैनेजेबल स्टेप्स में ब्रेक करना और फिर उन स्टेप्स को एक लॉजिकल सीक्वेंस में अरेंज करना। ये आपको एक रोडमैप देता है जो आपको बताता है कि आपको कहाँ जाना है और वहाँ कैसे पहुँचना है। हिल कहते हैं कि प्लानिंग दो तरह की होती है – प्राइमरी और सेकेंडरी। प्राइमरी प्लानिंग में आप अपने मेन गोल को डिफ़ाइन करते हैं और उसके लिए एक जनरल स्ट्रेटेजी बनाते हैं। सेकेंडरी प्लानिंग में आप उस स्ट्रेटेजी को छोटे-छोटे, स्पेसिफिक एक्शन्स में ब्रेक करते हैं। एक इफेक्टिव प्लान बनाने के लिए कुछ चीज़ें ज़रूरी हैं। सबसे पहले, अपने गोल को क्लियरली डिफ़ाइन कीजिए। आपको एक्चुअली क्या अचीव करना है, ये आपको बिलकुल साफ़ पता होना चाहिए। दूसरा, रिसोर्सेज आइडेंटिफ़ाई कीजिए। आपको अपने गोल को अचीव करने के लिए किन रिसोर्सेज की ज़रूरत होगी, ये पता लगाइए। तीसरा, डेडलाइन्स सेट कीजिए। हर स्टेप के लिए एक टाइमलाइन बनाइए ताकि आप ट्रैक पर रहें। चौथा, फ्लेक्सिबल रहिए। प्लांस चेंज हो सकते हैं, इसलिए एडजस्ट करने के लिए रेडी रहिए। हिल एक और इम्पोर्टेन्ट पॉइंट पर ज़ोर देते हैं – मास्टरमाइंड ग्रुप। एक मास्टरमाइंड ग्रुप उन लोगों का ग्रुप होता है जो एक कॉमन गोल शेयर करते हैं और एक-दूसरे को सपोर्ट करते हैं। ये ग्रुप आपको नए आइडियाज़, फीडबैक और मोटिवेशन प्रोवाइड कर सकता है। याद रखिए, दोस्तों, एक अच्छा प्लान आपको कॉन्फिडेंस देता है और आपको फोकस रहने में हेल्प करता है। ये आपको अनिश्चितता और कंफ्यूजन से बचाता है। जैसे एक कंस्ट्रक्टर ब्लूप्रिंट के बिना एक बिल्डिंग नहीं बना सकता, वैसे ही प्लानिंग के बिना आप अपने गोल्स को अचीव नहीं कर सकते। तो आज से ही अपने गोल्स के लिए एक ऑर्गेनाइज़्ड प्लान बनाना शुरू कीजिए और देखिए कैसे आपकी प्रोग्रेस फ़ास्ट होती है। जैसे एक मैप आपको आपकी डेस्टिनेशन तक गाइड करता है, वैसे ही एक प्लान आपको आपके गोल्स तक गाइड करता है। एक कहावत है, "If you fail to plan, you plan to fail." इसलिए प्लानिंग बहुत ज़रूरी है।
लेसन 7 : डिसीजन – द मास्टरी ऑफ़ प्रोक्रास्टिनेशन
दोस्तों, पिछले लेसन्स में हमने प्लानिंग तक की बात की। अब हम बात करेंगे एक ऐसी क्वालिटी की जो प्लान को एक्शन में बदलने के लिए बेहद ज़रूरी है – डिसीजन, यानी निर्णय। नेपोलियन हिल कहते हैं कि सक्सेसफुल लोग क्विक और डिफ़िनिट डिसीज़न्स लेने के लिए जाने जाते हैं, जबकि फ़ेल होने वाले लोग डिसीज़न्स लेने में बहुत टाइम लगाते हैं और अक्सर उन्हें बदलते रहते हैं। ये लेसन हमें सिखाता है कि कैसे प्रोक्रास्टिनेशन, यानी टालमटोल पर काबू पाया जाए। अब ये डिसीजन एक्चुअली है क्या? ये है दो या दो से ज़्यादा ऑप्शन्स में से एक को चूज़ करने की एबिलिटी। ये एक ऐसी पावर है जो आपको एक्शन लेने के लिए मोटिवेट करती है और आपको सही डायरेक्शन में ले जाती है। हिल कहते हैं कि डिसीजन लेने में हेज़िटेशन और डाउट नहीं होना चाहिए। आपको कॉन्फिडेंटली और क्विकली डिसाइड करना चाहिए कि आपको क्या करना है। प्रोक्रास्टिनेशन, यानी टालमटोल, डिसीजन का सबसे बड़ा दुश्मन है। ये आपको एक्शन लेने से रोकता है और आपको कंफ्यूज़्ड रखता है। हिल कहते हैं कि प्रोक्रास्टिनेशन को ओवरकम करने के लिए आपको कुछ चीज़ें करनी चाहिए। सबसे पहले, अपने गोल्स को क्लियरली डिफ़ाइन कीजिए। जब आपको पता होगा कि आपको क्या अचीव करना है, तो डिसीजन लेना आसान हो जाएगा। दूसरा, डेडलाइन्स सेट कीजिए। जब आपके पास एक डेडलाइन होगी, तो आप एक्शन लेने के लिए ज़्यादा मोटिवेटेड होंगे। तीसरा, परफेक्शनिज़्म से बचिए। ये सोचकर कि सब कुछ परफेक्ट होना चाहिए, आप कभी एक्शन नहीं ले पाएँगे। हिल एक और इम्पोर्टेन्ट पॉइंट पर ज़ोर देते हैं – अपनी ओपिनियंस को ज़्यादा शेयर न करें। जब आप अपने डिसीज़न्स को दूसरों के साथ शेयर करते हैं, तो वो आपको डाउट करने और अपने डिसीजन को बदलने के लिए इन्फ्लुएंस कर सकते हैं। इसलिए, जब तक आपका प्लान पूरी तरह से सॉलिड न हो, उसे अपने तक ही रखें। याद रखिए, दोस्तों, डिसीजन लेने में देरी करने से अपॉर्च्युनिटीज़ मिस हो सकती हैं। क्विक और डिफ़िनिट डिसीज़न्स आपको कॉम्पिटिटिव एज देते हैं और आपको सक्सेस के रास्ते पर आगे बढ़ाते हैं। जैसे एक सोल्जर को बैटल में क्विक डिसीज़न्स लेने होते हैं, वैसे ही बिज़नेस और लाइफ में भी क्विक डिसीज़न्स इम्पोर्टेन्ट होते हैं। तो आज से ही क्विक और कॉन्फिडेंट डिसीज़न्स लेना शुरू कीजिए और देखिए कैसे आपकी लाइफ में पॉज़िटिव चेंजेस आते हैं। जैसे एक शिप का कैप्टन डिसाइड करता है कि उसे किस डायरेक्शन में जाना है, वैसे ही आप अपने डिसीज़न्स से अपनी लाइफ की डायरेक्शन डिसाइड करते हैं। "No decision is also a decision." इसलिए डिसीजन लेना बहुत ज़रूरी है।
लेसन 8 : पर्सिस्टेंस – द सस्टेंड एफर्ट नेसेसरी टू इंड्यूस फेथ
दोस्तों, पिछले लेसन्स में हमने डिसीजन लेने की इम्पोर्टेंस की बात की। अब हम बात करेंगे एक ऐसी क्वालिटी की जो डिसीजन्स को एक्शन में कन्वर्ट करने और गोल्स को अचीव करने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है – पर्सिस्टेंस, यानी दृढ़ता। नेपोलियन हिल कहते हैं कि पर्सिस्टेंस वो पावर है जो आपको तब भी आगे बढ़ाती है जब सब कुछ मुश्किल लग रहा होता है, जब आपको लगता है कि अब कुछ नहीं हो सकता। ये वो अनस्टॉपेबल फ़ोर्स है जो आपको फ़ाइनल डेस्टिनेशन तक पहुँचाती है। अब ये पर्सिस्टेंस एक्चुअली है क्या? ये है अपने गोल पर टिके रहना, चाहे कितनी भी रुकावटें आएँ, कितनी भी मुश्किलें आएँ। ये है गिव अप न करना, हार न मानना, लगातार कोशिश करते रहना। हिल कहते हैं कि पर्सिस्टेंस एक हैबिट है, एक क्वालिटी है जिसे डेवलप किया जा सकता है। ये कोई इनबॉर्न टैलेंट नहीं है, बल्कि एक सीखा हुआ बिहेवियर है। पर्सिस्टेंस को डेवलप करने के लिए कुछ चीज़ें ज़रूरी हैं। सबसे पहले, एक डेफिनिट पर्पस रखिए। जब आपके पास एक क्लियर गोल होगा, तो आपको पर्सिस्टेंट रहने की वजह मिलेगी। दूसरा, डिज़ायर रखिए। एक बर्निंग डिज़ायर आपको मोटिवेटेड रखेगी और आपको गिव अप नहीं करने देगी। तीसरा, सेल्फ-कॉन्फिडेंस रखिए। अपने आप पर विश्वास रखिए कि आप अपने गोल को अचीव कर सकते हैं। चौथा, एक डेफिनिट प्लान बनाइए। एक प्लान आपको डायरेक्शन देगा और आपको ट्रैक पर रखेगा। पाँचवा, एक मास्टरमाइंड ग्रुप जॉइन कीजिए। एक सपोर्टिव ग्रुप आपको मोटिवेटेड रखेगा और आपको हेल्प करेगा जब आप डिस्करेज्ड फील करेंगे। हिल एक और इम्पोर्टेन्ट पॉइंट पर ज़ोर देते हैं – टेम्परेरी डिफीट को फ़ाइनल फेलियर न मानें। रास्ते में रुकावटें आएँगी, असफलताएँ मिलेंगी, लेकिन ये सिर्फ़ टेम्परेरी सेटबैक्स हैं, फ़ाइनल फेलियर नहीं। इन से सीखिए, इम्प्रूव कीजिए और आगे बढ़ते रहिए। याद रखिए, दोस्तों, पर्सिस्टेंस ही वो की है जो सक्सेस के डोर को खोलती है। बिना पर्सिस्टेंस के, कोई भी गोल अचीव नहीं किया जा सकता। जैसे एक पेड़ लगातार ग्रो करता रहता है, चाहे मौसम कैसा भी हो, वैसे ही आपको भी अपने गोल की तरफ लगातार बढ़ते रहना चाहिए। जैसे एक रिवर लगातार बहती रहती है, चाहे रास्ते में कितनी भी चट्टानें आएँ, वैसे ही आपको भी अपने रास्ते पर लगातार चलते रहना चाहिए। "Persistence is the key to success." इसलिए पर्सिस्टेंट रहना बहुत ज़रूरी है।
लेसन 9 : द पावर ऑफ़ द मास्टर माइंड – द ड्राइविंग फ़ोर्स
दोस्तों, पिछले लेसन्स में हमने पर्सिस्टेंस तक कई ज़रूरी प्रिंसिपल्स की बात की। अब हम बात करेंगे एक ऐसे कॉन्सेप्ट की जो आपकी सक्सेस जर्नी को बहुत ज़्यादा फ़ास्ट ट्रैक कर सकता है – द पावर ऑफ़ द मास्टर माइंड, यानी मास्टर माइंड की शक्ति। नेपोलियन हिल कहते हैं कि मास्टर माइंड एक ऐसा ग्रुप होता है जिसमें दो या दो से ज़्यादा लोग एक कॉमन गोल के लिए एक साथ काम करते हैं। ये एक ‘थर्ड माइंड’ क्रिएट करता है, एक कलेक्टिव इंटेलिजेंस जो इंडिविजुअल इंटेलिजेंस से कहीं ज़्यादा पावरफुल होती है। अब ये मास्टर माइंड एक्चुअली है क्या? ये है एक हार्मोनियस अलायंस, एक ऐसा ग्रुप जो एक-दूसरे को सपोर्ट करता है, एक-दूसरे को इंस्पायर करता है और एक-दूसरे को मोटिवेट करता है। इस ग्रुप में हर मेंबर अपनी यूनिक स्किल्स, नॉलेज और एक्सपीरियंसेस शेयर करता है, जिससे एक सिनर्जी क्रिएट होती है जो इंडिविजुअली अचीव नहीं की जा सकती। हिल कहते हैं कि एक इफेक्टिव मास्टर माइंड ग्रुप में कुछ क्वालिटीज़ होनी चाहिए। सबसे पहले, एक डेफिनिट पर्पस होना चाहिए। ग्रुप का एक क्लियर गोल होना चाहिए जिसके लिए सब मिलकर काम करें। दूसरा, हार्मोनियस रिलेशनशिप होनी चाहिए। ग्रुप मेंबर्स के बीच ट्रस्ट, रेस्पेक्ट और कोऑपरेशन होना चाहिए। तीसरा, रेगुलर मीटिंग्स होनी चाहिए। ग्रुप को रेगुलरली मिलना चाहिए ताकि आइडियाज़ शेयर किए जा सकें, प्रॉब्लम्स डिस्कस किए जा सकें और प्रोग्रेस ट्रैक की जा सके। चौथा, म्यूचुअल बेनिफिट होना चाहिए। ग्रुप मेंबर्स को एक-दूसरे की हेल्प करनी चाहिए और एक-दूसरे से सीखना चाहिए। हिल एक और इम्पोर्टेन्ट पॉइंट पर ज़ोर देते हैं – मास्टर माइंड सिर्फ़ बिज़नेस या करियर के लिए ही नहीं, पर्सनल लाइफ के लिए भी बहुत इम्पोर्टेन्ट है। आप अपनी फैमिली, फ्रेंड्स या कम्युनिटी के साथ एक मास्टर माइंड ग्रुप बना सकते हैं और एक-दूसरे को सपोर्ट कर सकते हैं। याद रखिए, दोस्तों, दो सिर एक से बेहतर होते हैं। एक मास्टर माइंड ग्रुप आपको नए आइडियाज़, नए पर्सपेक्टिव्स और नए सॉल्यूशन्स प्रोवाइड कर सकता है जो आप अकेले नहीं सोच सकते। ये आपको मोटिवेटेड रखता है, आपको अकाउंटेबल रखता है और आपको सक्सेस के रास्ते पर आगे बढ़ाता है। जैसे एक ऑर्केस्ट्रा अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट्स के साथ मिलकर एक ब्यूटीफुल मेलोडी क्रिएट करता है, वैसे ही एक मास्टर माइंड ग्रुप अलग-अलग इंडिविजुअल्स के साथ मिलकर एक पावरफुल फ़ोर्स क्रिएट करता है। "Two heads are better than one." इसलिए एक मास्टर माइंड ग्रुप बनाना बहुत ज़रूरी है।
लेसन 10 : द मिस्ट्री ऑफ़ सेक्स ट्रांसम्यूटेशन – द ट्रांसम्यूटेशन ऑफ़ एनर्जी इंटू क्रिएटिव एफर्ट
दोस्तों, अब हम बात करेंगे एक ऐसे टॉपिक की जो थोड़ा सेंसिटिव है, लेकिन उतना ही इम्पोर्टेन्ट भी है – द मिस्ट्री ऑफ़ सेक्स ट्रांसम्यूटेशन, यानी यौन ऊर्जा का रहस्य। नेपोलियन हिल कहते हैं कि सेक्सुअल एनर्जी एक बहुत ही पावरफुल फ़ोर्स है, और इसे क्रिएटिव एफर्ट में ट्रांसम्यूट किया जा सकता है। इसका मतलब ये नहीं है कि आपको अपनी सेक्सुअल डिज़ायर्स को सप्रेस करना है, बल्कि ये है कि आपको इस एनर्जी को एक हायर पर्पस के लिए चैनलाइज़ करना है। अब ये सेक्स ट्रांसम्यूटेशन एक्चुअली है क्या? ये है अपनी सेक्सुअल एनर्जी को कन्वर्ट करना, उसे ट्रांसफॉर्म करना, उसे क्रिएटिविटी, इंस्पिरेशन और अचीवमेंट की तरफ़ मोड़ना। हिल कहते हैं कि ये एनर्जी एक रॉ मटेरियल की तरह है, जिसे आप अलग-अलग चीज़ों में मोल्ड कर सकते हैं। इसे आप आर्ट, लिटरेचर, बिज़नेस, साइंस या किसी भी और फील्ड में यूज़ कर सकते हैं। जब आप अपनी सेक्सुअल एनर्जी को ट्रांसम्यूट करते हैं, तो आप एक नई लेवल की क्रिएटिविटी और इंस्पिरेशन एक्सपीरियंस करते हैं। आपको नए आइडियाज़ आते हैं, नई एनर्जी मिलती है और आप अपने गोल्स को अचीव करने के लिए ज़्यादा मोटिवेटेड होते हैं। हिल कहते हैं कि सेक्स ट्रांसम्यूटेशन के लिए कुछ चीज़ें ज़रूरी हैं। सबसे पहले, आपको अपनी थॉट्स को कंट्रोल करना होगा। नेगेटिव और डिस्ट्रक्टिव थॉट्स से बचिए और पॉज़िटिव और क्रिएटिव थॉट्स पर फोकस कीजिए। दूसरा, आपको अपनी एनर्जी को चैनलाइज़ करने के लिए एक डेफिनिट पर्पस होना चाहिए। जब आपके पास एक क्लियर गोल होगा, तो आप अपनी एनर्जी को सही डायरेक्शन में मोड़ पाएँगे। तीसरा, आपको सब्लिमेशन की प्रैक्टिस करनी चाहिए। सब्लिमेशन का मतलब है अपनी एनर्जी को एक हायर पर्पस में कन्वर्ट करना। आप इसे आर्ट, म्यूजिक, स्पोर्ट्स या किसी और क्रिएटिव एक्टिविटी के थ्रू कर सकते हैं। हिल एक और इम्पोर्टेन्ट पॉइंट पर ज़ोर देते हैं – सेक्स ट्रांसम्यूटेशन सिर्फ़ सेक्सुअल एनर्जी तक ही लिमिटेड नहीं है। ये किसी भी टाइप की स्ट्रांग इमोशनल एनर्जी पर अप्लाई होता है, जैसे लव, फियर या एंगर। इन इमोशन्स को भी क्रिएटिव एफर्ट में ट्रांसम्यूट किया जा सकता है। याद रखिए, दोस्तों, एनर्जी न्यूट्रल होती है। ये डिपेंड करता है आप पर कि आप उसे कैसे यूज़ करते हैं। सेक्स ट्रांसम्यूटेशन आपको अपनी एनर्जी को मैक्सिमाइज़ करने और अपने पोटेंशियल को अनलॉक करने में हेल्प करता है। जैसे एक डैम पानी की एनर्जी को इलेक्ट्रिसिटी में कन्वर्ट करता है, वैसे ही आप सेक्स ट्रांसम्यूटेशन से अपनी एनर्जी को क्रिएटिव अचीवमेंट में कन्वर्ट कर सकते हैं। "Energy in motion stays in motion." इसलिए अपनी एनर्जी को पॉज़िटिव डायरेक्शन में मोड़ना बहुत ज़रूरी है।
तो दोस्तों, ये थे “थिंक एंड ग्रो रिच” के दस पावरफुल लेसन्स। हमने देखा कि कैसे डिज़ायर, फेथ, प्लानिंग, डिसीजन, पर्सिस्टेंस और मास्टर माइंड जैसे प्रिंसिपल्स आपको सक्सेस की ओर ले जा सकते हैं। याद रखिए, ये सिर्फ़ थ्योरी नहीं है, ये प्रैक्टिकल प्रिंसिपल्स हैं जिन्हें अपनी लाइफ में अप्लाई करके आप भी रिच बन सकते हैं, सिर्फ़ फाइनेंशियली नहीं, बल्कि हर तरह से – मेंटली, इमोशनली और स्पिरिचुअली भी। उम्मीद है कि आपको ये समरी पसंद आयी होगी और आपको कुछ नया सीखने को मिला होगा। अगर आपको ये समरी अच्छी लगी तो इसे लाइक और शेयर करें। मिलते हैं अगले समरी में, तब तक के लिए, थिंक एंड ग्रो रिच!
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