The Customer Driven Company (Hindi)


अरे यार, वो कस्टमर फिर आ गया! 🤦‍♂️ आज उसका मुँह कैसे बंद करूँ? 🤐 अगर आप भी अपने बिज़नेस या जॉब में यही सोचते हैं, तो एक बात कान खोलकर सुन लो: आप राजा की कुर्सी पर बैठकर फ़क़ीर जैसा व्यवहार कर रहे हो। 👑 ये कहानी सिर्फ बिज़नेस की नहीं है, ये कहानी उस ईंट-पत्थर के ढेर को एक जीते-जागते, साँस लेते रिश्ते में बदलने की है, जिसे आप 'कंपनी' कहते हैं। क्या आप जानना चाहते हैं कि वो कौन सी एक चीज़ है जिसने दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों को रातोंरात नहीं, बल्कि हर दिन, हर पल बदल दिया? 👇

आज से कुछ साल पहले की बात है। मेरी मुलाकात एक छोटे से ढाबे के मालिक से हुई, नाम था परमजीत पाजी। दिल्ली की सर्दी में, रात के 12 बजे भी उनके ढाबे पर लाइन लगी रहती थी। बड़े-बड़े रेस्टोरेंट्स फ्लॉप हो जाते थे, पर पाजी का ढाबा चलता था, दौड़ता था। मैंने एक रात उनसे पूछ ही लिया, "पाजी, आपके पास न तो AC है, न फ़ैन्सी मेन्यू, फिर भी ये जादू कैसे?" ✨ पाजी मुस्कुराए और बोले, "बेटा, ढाबा मेरा नहीं, ग्राहक का है।"

मैंने कहा, "ये क्या फिलॉसफी है?" 🙄 पाजी ने बताया, "दो साल पहले की बात है। मेरा एक रेगुलर कस्टमर था, जिसका नाम था राजू। राजू रात में ड्यूटी करके आता था और हमेशा पनीर टिक्का मसाला और दो रोटी खाता था। एक रात वो आया, खाना ऑर्डर किया, लेकिन उदास लग रहा था। उसने दो की जगह सिर्फ एक रोटी खाई। बिल देते समय उसने कहा, 'पाजी, आज मज़ा नहीं आया।' मैंने कहा, 'क्या हुआ राजू?' उसने कहा, 'पाजी, रोटी थोड़ी ठंडी थी।' उस रात मुझे नींद नहीं आई। मैंने सोचा, ये आदमी अपना आखिरी पैसा खर्च करके मेरे पास आया है और मैं उसे ठंडी रोटी खिला रहा हूँ?"

अगले दिन पाजी ने एक कमाल का काम किया। उन्होंने अपने सबसे भरोसेमंद वेटर को राजू के आने के समय से ठीक दस मिनट पहले सिर्फ राजू की रोटी बनाने के लिए अलर्ट कर दिया। जब राजू आया, तो रोटी तवे से सीधे उसकी थाली में आई। गर्म, नरम और एकदम ताज़ा। राजू ने पहली बाइट ली और उसकी आँखों में चमक आ गई। उसने पाजी से कहा, "पाजी, आज मज़ा आ गया! क्या जादू कर दिया?" 🪄

पाजी ने मुझसे कहा, "उस दिन मैंने सिर्फ एक रोटी नहीं सुधारी थी, मैंने अपना पूरा बिज़नेस सुधार लिया था।" उन्होंने रिचर्ड सी. व्हाइटली की किताब 'The Customer Driven Company' के सार को बिना पढ़े ही जी लिया था। ये किताब यही तो सिखाती है – ग्राहक-केंद्रित संस्कृति (Grahak-Kendrit Sanskriti) सिर्फ मीटिंग रूम का फैंसी शब्द नहीं है; ये आपकी सोच है, आपकी आत्मा है।

हम लोग अक्सर बात करते हैं 'कस्टमर सर्विस' की, है न? जैसे कोई इमरजेंसी आ गई हो, और हमें उसे 'सर्विस' देनी है। 🛠️ लेकिन व्हाइटली कहते हैं, आपको 'कस्टमर सर्विस' से हटकर 'कस्टमर ड्राइविंग' की तरफ जाना होगा। इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि कस्टमर सिर्फ आपके बिज़नेस का हिस्सा नहीं है, वो आपका पूरा बिज़नेस है। वो इंजन है, वो स्टीयरिंग व्हील है, और वो डेस्टिनेशन भी है।

सोचिए, राजू को ठंडी रोटी मिली। पाजी क्या कर सकते थे? वह कह सकते थे, 'भाई, रात के 12 बज रहे हैं, एडजस्ट कर लो।' या 'कल ध्यान रखूँगा।' 😒 लेकिन पाजी ने क्या किया? उन्होंने समस्या को परमानेंटली सॉल्व कर दिया, और वो भी सिर्फ राजू के लिए नहीं, बल्कि हर कस्टमर के लिए। उन्होंने अपने सिस्टम को, अपने एम्प्लॉई को, अपने ढाबे के तापमान को भी कस्टमर की ज़रूरत के हिसाब से ढाल दिया। यही है कस्टमर-ड्रिवन कंपनी (Customer-Driven Company) बनने का मूल मंत्र।

व्हाइटली अपनी किताब में एक बहुत बड़ी बात कहते हैं: "Talk is cheap, Action is everything." (बातें सस्ती हैं, काम सब कुछ है)। हम सब अपने बिज़नेस कार्ड पर लिखते हैं, "वी वैल्यू आवर कस्टमर्स" (हम अपने ग्राहकों को महत्व देते हैं)। लेकिन असलियत में, जब कस्टमर शिकायत करता है, तो हमारा पहला रिएक्शन क्या होता है? 'ये तो फालतू की शिकायत है' या 'इसे फ्री में कुछ चाहिए'। 😤

जब आप कस्टमर को एक प्रॉब्लम या एक ट्रांज़ेक्शन की तरह देखते हैं, तो आप उसे खो देते हैं। लेकिन जब आप उसे एक इंसान की तरह, एक रिश्ते की तरह देखते हैं, तब आप सिर्फ उसका आज का बिज़नेस नहीं, बल्कि उसकी पूरी लॉयल्टी जीत लेते हैं।

मैंने कई कंपनियों को देखा है जो करोड़ों रुपए मार्केटिंग पर खर्च करती हैं, नए ग्राहक लाने के लिए। 💸 लेकिन अगर उनका मौजूदा ग्राहक दुखी है, तो वो नए ग्राहक को भी भगा देगा। क्यों? क्योंकि एक नाखुश कस्टमर दस खुश कस्टमर्स से ज़्यादा खतरनाक होता है। वो आपका फ्री का नेगेटिव मार्केटर है। 📢

व्हाइटली बताते हैं कि कस्टमर-ड्रिवन बनने के लिए आपको तीन चीज़ें करनी होंगी:

पहला: अपनी कंपनी का 'दिल' कस्टमर को बनाओ। ❤️ इसका मतलब है कि टॉप मैनेजमेंट से लेकर नीचे के चपरासी तक, हर किसी को ये मालूम होना चाहिए कि उनका काम सीधे कस्टमर की ज़िंदगी को छूता है। अगर आपका डिलीवरी बॉय कस्टमर से बदतमीज़ी से बात करता है, तो आपकी करोड़ों की मार्केटिंग धरी की धरी रह जाएगी। पाजी की तरह, हर एम्प्लॉई को 'राजू की रोटी' की कहानी पता होनी चाहिए।

दूसरा: कस्टमर को सिर्फ सुनो नहीं, उनकी 'अनकही बातों' को भी सुनो। 🤫 राजू ने सिर्फ 'रोटी ठंडी है' कहा था। लेकिन पाजी ने सुना: 'पाजी, मैं आज थका हुआ हूँ, और इस ठंडी रोटी से मेरा दिन और खराब हो गया।' कस्टमर हमेशा वो नहीं बोलता जो वो महसूस करता है। आपको डिटेक्टिव बनना पड़ेगा। आपको देखना पड़ेगा कि वो कहाँ रुक रहा है, कहाँ उदास हो रहा है, कहाँ वो चुपचाप कुछ एडजस्ट कर रहा है। ये छोटी-छोटी बातें ही सबसे बड़ी इनोवेशन की जड़ होती हैं। 💡

तीसरा: हर गलती को एक 'गोल्डन चांस' समझो। 🌟 जब कस्टमर शिकायत करता है, तो वो आपको फ़्री में कंसल्टेंसी दे रहा होता है। वो बता रहा होता है कि आपका सिस्टम कहाँ फेल हुआ। अगर आप उस शिकायत को तुरंत और ईमानदारी से ठीक कर देते हैं, तो वो कस्टमर सिर्फ वापस नहीं आएगा, वो आपका सबसे बड़ा फैन बन जाएगा। इसे कहते हैं सर्विस रिकवरी पैराडॉक्स। कई बार, आपकी शिकायत ठीक करने की स्पीड और ईमानदारी आपकी परफेक्ट सर्विस से भी ज़्यादा इम्पैक्ट डालती है।

सोचिए, जब आप किसी ऑनलाइन कंपनी से कुछ मंगवाते हैं और वो ख़राब निकल जाता है। अगर कंपनी तुरंत आपसे माफ़ी माँगे, आपको रिफंड करे और एक छोटा-सा गिफ्ट भी भेजे, तो क्या आप अगली बार उसी से खरीदेंगे या किसी और से? बेशक, उसी से! यही है कस्टमर-ड्रिवन एक्शन (Customer-Driven Action)।

ये सब सुनने में आसान लगता है, पर करने में मुश्किल है। क्यों? क्योंकि ये 'Talk to Action' का सफर है। हम बड़ी-बड़ी मीटिंग्स में कस्टमर फर्स्ट के नारे लगाते हैं, लेकिन जब कोई एम्प्लॉई कस्टमर के लिए थोड़ा एक्स्ट्रा टाइम लेता है, तो हम पूछते हैं, "तुम्हारे आज के टारगेट का क्या हुआ?" 🎯 यहीं पर हम फेल हो जाते हैं।

सच्ची कस्टमर-ड्रिवन कंपनी वो है जहाँ कस्टमर की खुशी को एम्प्लॉई के प्रदर्शन से जोड़ा जाता है। जहाँ अगर एक वेटर ने राजू को गर्म रोटी खिलाई, तो उसे सिर्फ 'थैंक यू' नहीं बोला जाता, बल्कि उसे इनाम दिया जाता है।

रिचर्ड व्हाइटली हमें एक सिस्टम बनाने को कहते हैं। एक ऐसा सिस्टम, जहाँ हर प्रोसेस, हर नियम, हर टूल सिर्फ एक ही सवाल पूछे: "क्या इससे हमारे ग्राहक की ज़िंदगी आसान होगी?" अगर जवाब 'हाँ' है, तो करो। अगर 'ना' है, तो उस नियम को कचरे के डिब्बे में फेंक दो। 🗑️

परमजीत पाजी ने अपने ढाबे में कोई सॉफ्टवेयर नहीं लगाया था, लेकिन उनके पास एक सॉफ़्टवेयर से भी बेहतर सिस्टम था: मानवीय भावना। empathy। उन्होंने महसूस किया कि राजू की एक ठंडी रोटी सिर्फ एक रोटी नहीं थी, वो एक उम्मीद थी जो टूट गई थी। और उन्होंने उस उम्मीद को फिर से जोड़ दिया।

अगर आप आज अपनी कंपनी या अपने काम को सच में बदलना चाहते हैं, तो एक छोटा-सा 'कस्टमर पाजी' एक्सपेरिमेंट करके देखिए। अपने किसी भी रेगुलर कस्टमर को फ़ोन लगाइए या मिलिए, और सिर्फ एक सवाल पूछिए: "हम आपके लिए ऐसा क्या कर रहे हैं जो आपको खुशी दे रहा है, और ऐसा क्या है जिसे हम तुरंत बदल सकते हैं?" 📞 उनकी बात सुनिए, बिना किसी डिफेन्स के। और फिर, एक्शन लीजिए।

याद रखिए, ये बिज़नेस की दौड़ है। हर कोई वही सामान बेच रहा है, वही सर्विस दे रहा है। तो फिर आप अलग कैसे बनोगे? आप अलग बनोगे अपने ग्राहक के लिए आपकी चिंता से। आप तब कामयाब होंगे जब आपका कस्टमर कहेगा, "यार, इनके पास मज़ा आता है।" पाजी के ढाबे पर हर रात एक नया 'राजू' आता था, और वो सभी गर्म रोटी की उम्मीद लेकर आते थे। आपकी कंपनी को भी रोज़ वही उम्मीद पूरी करनी है।

अब फैसला आपका है। क्या आप सिर्फ Talk करना चाहते हैं, या Action लेना चाहते हैं?

अगर आप आज ये आर्टिकल यहाँ तक पढ़ चुके हैं, तो बधाई हो! आपने कस्टमर-ड्रिवन बनने का पहला कदम उठा लिया है – सीखना। अब बस इसे अपनी आदत बनाना है। अपनी कुर्सी से उठिए, अपने कस्टमर को देखिए। क्या वो 'गर्म रोटी' खा रहे हैं या 'ठंडी'? 🥶 इस बात को मत भूलिए कि आपका सबसे बड़ा मार्केटर आपका सबसे खुश कस्टमर है, और सबसे बड़ा दुश्मन आपका सबसे नाराज़ कस्टमर है। आज ही अपने बिज़नेस का 'राजू' ढूंढिए और उसकी 'रोटी' को गर्म कर दीजिए! 🔥 सिर्फ एक एक्शन, और देखिए, कैसे आपका बिज़नेस रॉकेट बन जाता है! 🚀 इस विचार को अपने दोस्तों, बॉस, या टीम के साथ शेयर कीजिए, ताकि सब मिलकर अपने कस्टमर को 'पाजी' वाली फीलिंग दे सकें! कमेंट में बताइए, आप आज कौन-सा एक 'कस्टमर एक्शन' लेने वाले हैं? 👇



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