The Discipline of Market Leaders (Hindi)


💔 क्या आप भी हर रोज़ १०० काम करते हैं और फिर भी ० परिणाम पाते हैं? 🤯 क्या आपका बिज़नेस या आपकी ज़िंदगी बस 'एवरेज' बनकर रह गई है, जबकि आप 'एक्सीलेंस' चाहते हैं? अगर हाँ, तो ज़रा रुकिए। ये कहानी सिर्फ एक बिज़नेस स्ट्रेटेजी की नहीं है, ये आपके फोकस की शक्ति को समझने की कहानी है। 👇

अहमदाबाद की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में अर्जुन नाम का एक युवा उद्यमी (entrepreneur) था। अर्जुन की कहानी आज हर उस व्यक्ति की कहानी है जो एक साथ दस नावों में पैर रखकर समंदर पार करना चाहता है। अर्जुन ने एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर खोला था। उसका सपना था कि उसका स्टोर वॉलमार्ट (Walmart) जैसा बड़ा बने, लेकिन उसकी स्ट्रैटेजी बिल्कुल उल्टी थी।

वह सोचता था कि अगर वह सब कुछ बेचेगा, तो हर कस्टमर उसके पास आएगा। उसने स्टोर में सबसे सस्ती ईयरफोन भी रखे, सबसे महंगी होम थिएटर सिस्टम भी रखी, और साथ ही बेहतरीन कस्टमर सर्विस देने की भी कोशिश करता रहा। वह सुबह से रात तक बस भागता रहता था। एक कस्टमर को सस्ते हेडफ़ोन चाहिए तो वह कहता, “सर, ये बेस्ट डील है!” दूसरे को प्रीमियम स्पीकर चाहिए तो वह उन्हें घंटों डेमो देता। वह अपनी दुकान को 'वन-स्टॉप-शॉप' बनाना चाहता था, लेकिन नतीजा क्या हुआ?

न तो वह सबसे सस्ता बन पाया, क्योंकि विजय सेल्स (Vijay Sales) जैसी बड़ी चेन हमेशा उससे बेहतर डील दे सकती थी। न ही वह प्रीमियम प्रोडक्ट में Croma जितना ब्रांड ट्रस्ट बना पाया। और सबसे बड़ी बात, सर्विस देने के चक्कर में उसका स्टाफ इतना overworked हो गया कि अच्छी सर्विस भी सिर्फ दिखावा रह गई। तीन साल बाद, अर्जुन का स्टोर ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन न तो उसमें ग्रोथ थी, न कोई पहचान। वह बस भीड़ में खोया हुआ था, एक 'एवरेज परफॉर्मर' बनकर।

एक दिन, अर्जुन को लगा कि वह जिस रेस में है, उसे जीतने के लिए वह हर रोज़ बस तेज़ भाग रहा है, लेकिन उसे पता ही नहीं कि सही दिशा क्या है।

यहीं पर एंट्री होती है उस गुप्त मंत्र की, जो दुनिया के सबसे सफल मार्केट लीडर्स ने इस्तेमाल किया है। यह वो मंत्र है जो माइकल ट्रेसी और फ़्रेड वियरसेमा ने अपनी कमाल की किताब 'द डिसिप्लिन ऑफ मार्केट लीडर्स' में बताया है।

उन्होंने कहा: "सफल कंपनियाँ सब कुछ नहीं करतीं। वे एक चीज़ को चुनती हैं, उस पर फ़ोकस करती हैं, और उसमें बाकियों को धूल चटा देती हैं।" 🎯

सोचिए, क्या आप सच में हर कस्टमर को ख़ुश कर सकते हैं? नहीं! अगर आप सबसे सस्ता प्रोडक्ट बेचेंगे, तो आपके प्रोडक्ट की क्वालिटी कम हो जाएगी। अगर आप सबसे बेहतरीन क्वालिटी देंगे, तो वह सबसे सस्ता नहीं हो सकता। और अगर आप दोनों देने की कोशिश करेंगे, तो आप ख़ुद ही बाज़ार से आउट हो जाएंगे।

इस किताब ने हमें सिखाया कि मार्केट में लीड करने के सिर्फ तीन रास्ते हैं, जिन्हें वैल्यू डिसिप्लिन कहते हैं। और आपको इन तीन में से सिर्फ एक को चुनना है और उसमें बेताज बादशाह बनना है। बाकी दो में बस इतना अच्छा होना है कि आप रेस में बने रहें, पर आपका सारा फ़ोकस आपके चुने हुए एक रास्ते पर होना चाहिए।

ये तीन जादुई रास्ते क्या हैं? 👇

१. ऑपरेशनल एक्सीलेंस (Operational Excellence): सस्ते और तेज़ बनो 🚀
इसका मतलब है चीज़ों को सबसे जल्दी और सबसे कम ख़र्च में कस्टमर तक पहुँचाना। अगर आप इस रास्ते को चुनते हैं, तो आपका पूरा फ़ोकस सिस्टम, स्पीड और कॉस्ट पर होना चाहिए।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण है वॉलमार्ट (Walmart)। वॉलमार्ट का लक्ष्य कभी यह नहीं रहा कि वह आपको दुनिया का सबसे फैंसी स्टोर अनुभव दे। उनका लक्ष्य सीधा है: हर दिन सबसे कम दाम (Every Day Low Prices)। यह कैसे होता है? सिर्फ़ इसलिए क्योंकि उनका सप्लाई चेन, उनका इन्वेंट्री मैनेजमेंट, और उनका बिज़नेस प्रोसेस दुनिया में सबसे एफिशिएंट है। वे जानते हैं कि उनके कस्टमर को क्वालिटी से ज़्यादा दाम की परवाह है।

अर्जुन की दुकान में, अगर उसने इस रास्ते को चुना होता, तो वह सिर्फ़ उन सस्ते इयरबड्स पर फ़ोकस करता, उनका स्टॉक बहुत तेज़ी से मैनेज करता, ऑनलाइन डिलीवरी की स्पीड बढ़ाता, और बाक़ी सारे फैंसी प्रोडक्ट्स को हटा देता।

२. प्रोडक्ट लीडरशिप (Product Leadership): नया, बेस्ट और सबसे आगे 💡
इस रास्ते पर चलने वाली कंपनियाँ कभी भी सस्ते पर ध्यान नहीं देतीं। उनका मक़सद होता है सबसे नया, सबसे अनोखा और सबसे बेहतरीन प्रोडक्ट बाज़ार में लाना। ये कंपनियाँ इनोवेशन और क्रिएटिविटी पर बेतहाशा ख़र्च करती हैं।

उदाहरण के लिए, एप्पल (Apple)। जब आप आईफोन ख़रीदते हैं, तो आप कभी नहीं सोचते कि यह सस्ता है। आप उसकी डिज़ाइन, टेक्नोलॉजी और स्टेटस के लिए पैसे देते हैं। एप्पल सबसे बेहतरीन कस्टमर सर्विस या सबसे सस्ता प्रोडक्ट देने का वादा नहीं करता; वे सिर्फ़ एक वादा करते हैं: हर साल एक ऐसा प्रोडक्ट, जो दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा होगा। वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि उनके प्रोडक्ट हर किसी के लिए नहीं हैं।

अगर अर्जुन ने यह रास्ता चुना होता, तो वह सस्ते हेडफ़ोन हटा देता। वह सिर्फ़ नॉइज़ कैंसलेशन या वायरलेस टेक्नोलॉजी के सबसे लेटेस्ट और प्रीमियम प्रोडक्ट्स बेचता। उसकी दुकान सिर्फ़ उन शौकीन कस्टमर्स के लिए होती, जिन्हें टेक्नोलॉजी का लेटेस्ट क्रेज़ हो।

३. कस्टमर इंटिमेसी (Customer Intimacy): कस्टमर को अंदर से जानो 🤗
इस रास्ते पर चलने वाली कंपनियाँ न तो सबसे सस्ती होती हैं और न ही हमेशा सबसे इनोवेटिव। उनका फ़ोकस होता है कस्टमर को व्यक्तिगत रूप से जानना और उनकी समस्या को उन्हीं के हिसाब से हल करना। यहाँ पर कस्टमर के साथ रिश्ता (relationship) बनाना सबसे ज़रूरी होता है।

इसका बेहतरीन उदाहरण है लोकल किराना स्टोर या एक प्राइवेट बैंक मैनेजर। आपका किराना वाला जानता है कि आप क्या ख़रीदते हैं, आपको क्या पसंद है, और आपका बजट क्या है। वे आपके बच्चों के जन्मदिन पर आपको याद करके बधाई देते हैं। यह छोटी चीज़ें कस्टमर को इतना कम्फर्ट देती हैं कि वे थोड़ा ज़्यादा दाम देने को भी तैयार रहते हैं।

अर्जुन को अगर ये रास्ता चुनना था, तो उसे अपने इलाक़े के सिर्फ ५० सबसे अमीर कस्टमर्स को चुनना चाहिए था, जिनके घर वह जाकर उनके होम थिएटर सिस्टम को ख़ुद सेट करता, उनकी समस्या तुरंत हल करता, और उनके बच्चों को नए गैजेट्स के बारे में सिखाता। उसकी दुकान का दरवाज़ा हर किसी के लिए नहीं, बल्कि उसके चुने हुए वीआईपी कस्टमर्स के लिए खुलता।

क्या आपको फ़र्क़ समझ में आ रहा है? तीनों ही रास्ते सफलता की ओर जाते हैं, पर आपको एक चुनना होगा।

अर्जुन ने इस किताब को पढ़ा और उसने अपनी दुकान के बाहर बड़ा सा बोर्ड लगा दिया: "अर्जुन इलेक्ट्रॉनिक्स: सिर्फ़ ऑपरेशनल एक्सीलेंस! सबसे कम दाम और तेज़ डिलीवरी की गारंटी।" उसने सारे फैंसी प्रोडक्ट्स हटा दिए और सिर्फ़ वही चीज़ें बेचना शुरू किया जो सबसे ज़्यादा बिकती थीं और जिनकी क़ीमत वह बाज़ार में सबसे कम रख सकता था। उसने महंगी कस्टमर सर्विस बंद कर दी। अब उसका फ़ोकस सिर्फ़ एक ही चीज़ पर था: दाम और स्पीड।

और अंदाज़ा लगाइए क्या हुआ? पहले कुछ हफ़्तों में कुछ पुराने कस्टमर्स नाराज़ हुए, जिन्हें अच्छी सर्विस चाहिए थी। लेकिन धीरे-धीरे, जब लोगों को पता चला कि अर्जुन की दुकान पर कोई चीज़ हमेशा सबसे सस्ती मिलती है और डिलीवरी तेज़ी से होती है, तो उसका बिज़नेस उन नए कस्टमर्स से भर गया जो सिर्फ़ 'सबसे अच्छी डील' चाहते थे।

यह कहानी सिर्फ़ अर्जुन की नहीं, हमारी ज़िंदगी की है। क्या आप एक साथ फिटनेस, करियर, रिलेशनशिप और हॉबी में एक्सीलेंस चाहते हैं? यह असंभव है! आपको चुनना होगा।

अगर आप फिटनेस (ऑपरेशनल एक्सीलेंस) चाहते हैं, तो आपको अपने रूटीन को सबसे एफिशिएंट बनाना होगा, खाने को सबसे सस्ता फ्यूल मानना होगा, और बाक़ी चीज़ों को कुछ समय के लिए बैकसीट देनी होगी।

अगर आप करियर में नई स्किल (प्रोडक्ट लीडरशिप) चाहते हैं, तो आपको सबसे नया कोर्स करना होगा, सबसे इनोवेटिव प्रोजेक्ट पर काम करना होगा, भले ही उसमें ख़र्च ज़्यादा आए और वह थोड़ा रिस्की हो।

और अगर आप रिलेशनशिप में गहरा जुड़ाव (कस्टमर इंटिमेसी) चाहते हैं, तो आपको कम लोगों को चुनना होगा, उन्हें व्यक्तिगत समय देना होगा, और उनकी छोटी से छोटी ज़रूरतों को समझना होगा, भले ही यह थोड़ा समय लेने वाला हो।

ज़िंदगी या बिज़नेस में, मास्टरपीस बनने के लिए आपको एक चीज़ में मास्टर बनना पड़ता है। जिस दिन आप तय कर लेते हैं कि आपकी यूनीक वैल्यू क्या है, उस दिन आप भीड़ से बाहर निकलकर लीडर बन जाते हैं।

तो, आपने अपनी ज़िंदगी या बिज़नेस के लिए कौन सी वैल्यू डिसिप्लिन चुनी है? क्या आप सबसे तेज़ और सस्ते (Operational Excellence) बनना चाहते हैं, या सबसे अनोखे और नए (Product Leadership), या फिर सबसे कनेक्टेड और व्यक्तिगत (Customer Intimacy)? इस सवाल का जवाब ही आपकी अगली सफलता की कुंजी है। इसे टालिए मत। 🗝️

यही वह नया और स्पष्ट फ़ोकस है जो आपको कल की मार्केट लीडर बनाएगा। अभी फ़ैसला करें! ⚡



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