अगर मैं आपसे कहूँ कि आप सालों से अपनी मार्केटिंग पर जो पैसा और दिमाग़ लगा रहे हैं, वो सब बेकार है? 🤔 आपको कैसा लगेगा? मैं जानता हूँ, यह बात सुनकर गुस्सा आता है। आप कहेंगे, "भाई, मैंने सोशल मीडिया पर अच्छे फ़ॉलोअर्स बनाए, मैंने अवॉर्ड-विनिंग ऐड कैम्पेन चलाया, मेरी कंपनी की ब्रांड इमेज आज टॉप पर है!" पर क्या मैं आपको एक छोटा सच दिखाऊँ? क्या ये सब करने के बाद, आपकी सेल्स सच में बढ़ी? क्या आपका प्रॉफ़िट पहले से दूगुना हुआ? 📈
अगर जवाब "नहीं" है... अगर आपकी मेहनत का फल सिर्फ़ आँकड़ों की बाज़ीगरी में दिख रहा है, लेकिन आपकी जेब ख़ाली है, तो एक गहरी साँस लीजिए। क्योंकि आज मैं आपको वो कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसने बताया कि पुरानी मार्केटिंग मर चुकी है। यह कहानी है उस जीनियस की जिसने दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी कोका-कोला के CMO बनकर आते ही कहा: "मार्केटिंग का एक ही मक़सद है: ज़्यादा चीज़ें बेचना।" यह बात सुनने में जितनी सीधी है, उतनी ही ख़तरनाक भी है उन लोगों के लिए जो मार्केटिंग को बस ख़ूबसूरती या इमेज-बिल्डिंग समझते हैं। आइए, ज़ायमन की दुनिया में चलें, जहाँ जादू नहीं, सिर्फ़ नतीजा बोलता है! 🚀
मैं आज भी याद करता हूँ जब मैं एक छोटे स्टार्टअप के साथ काम कर रहा था। उनके फाउंडर हमेशा क्रिएटिविटी के पीछे भागते थे। उनका मानना था कि अगर लोग तारीफ़ करेंगे तो सेल्स ख़ुद-ब-ख़ुद बढ़ जाएगी। हमने एक ऐड फ़िल्म बनाई जो बेहद इमोशनल थी, जिसने कई अवॉर्ड्स जीते, और हज़ारों लाइक्स बटोरे। फाउंडर बहुत ख़ुश थे, रोज़ मीटिंग में उस ऐड की तारीफ़ करते थे। पर जब मैंने सेल डेटा निकाला, तो पता चला कि ऐड देखने वाले दस हज़ार लोगों में से सिर्फ़ दो लोगों ने प्रोडक्ट ख़रीदा। 99.98% लोग बस देखकर आगे बढ़ गए। 💔 मैंने उनसे कहा, "सर, हम कंटेंट क्रिएटर नहीं हैं। हम एक बिज़नेस हैं। और बिज़नेस का धर्म है प्रॉफ़िट कमाना।"
यही सरगियो ज़ायमन का पहला और सबसे कड़ा सबक है जो उन्होंने अपनी किताब द एंड ऑफ़ मार्केटिंग ऐज़ वी नो इट में सिखाया है। वो कहते हैं, "स्ट्रैटेजी इज़ द बॉस"। मार्केटिंग में सबसे बड़ी ग़लती ये है कि हम क्रिएटिविटी को स्ट्रैटेजी से ऊपर रख देते हैं। आपकी ऐड फ़िल्म कितनी भी ख़ूबसूरत क्यों न हो, अगर वो आपके सेल के मक़सद को पूरा नहीं करती, तो वो सिर्फ़ एक महँगा शौक है। क्या आपका कलर सिलेक्शन या ब्रांड एंबेसडर आपकी सेल्स बढ़ा रहा है? अगर नहीं, तो तुरंत रुक जाइए। 🛑
कोका-कोला का वो मशहूर न्यू कोक फ़ेलियर याद है? ज़ायमन उस वक़्त कंपनी में थे, और उन्होंने देखा कि कैसे मार्केट रिसर्च और प्रोडक्ट की क्वालिटी पर बहुत ज़्यादा फ़ोकस करने से कंपनी सबसे बड़ी गलती कर बैठी। उन्होंने सीखा कि कंज्यूमर हमेशा ये नहीं बता सकता कि उसे क्या चाहिए, लेकिन वो ये ज़रूर जानता है कि उसे क्या नहीं चाहिए। ज़ायमन ने बाद में वापस आकर, कोका-कोला को उस गड्ढे से निकाला, और उनका तरीक़ा बहुत सीधा था: मार्केटिंग को जादू समझना बंद करो, उसे विज्ञान बनाओ!
मार्केटिंग को विज्ञान क्यों मानते हैं? 🧪 क्योंकि विज्ञान में आप अंदाज़ा (guesswork) नहीं लगाते। आप प्रयोग (experiment) करते हैं, डेटा जमा करते हैं, नतीजों का विश्लेषण (analyze) करते हैं, और फिर अपने फ़ॉर्मूले को बेहतर बनाते हैं। ज़ायमन कहते हैं, अगर आप ये नहीं माप सकते कि आपकी मार्केटिंग पर ख़र्च किया गया हर रुपया आपको कितना रिटर्न दे रहा है, तो आप मार्केटिंग नहीं, बल्कि जुए (gambling) में पैसा लगा रहे हैं।
आज के भारतीय बिज़नेस मालिकों को ये समझने की सख़्त ज़रूरत है। आप अपनी वेबसाइट पर ट्रैफ़िक ला रहे हैं, पर क्या आप जानते हैं कि वो ट्रैफ़िक कहाँ से आ रहा है और कौन-सा कीवर्ड (keyword) आपको सबसे ज़्यादा ग्राहक दे रहा है? आप ब्लॉग पोस्ट लिख रहे हैं, पर क्या आप जानते हैं कि कौन-सी पोस्ट पढ़ने के बाद लोग प्रोडक्ट ख़रीदते हैं? मार्केटिंग का ROI कैसे नापें हिंदी में—ये अब कोई टेक्निकल सवाल नहीं है, ये आपके बिज़नेस की लाइफ़लाइन है। आपको हर चीज़ को नतीजों से जोड़ना होगा, चाहे वो सोशल मीडिया इंगेजमेंट हो या ईमेल कैम्पेन। अकाउंटबिलिटी ही नई मार्केटिंग का पहला नियम है।
एक और बड़ी समस्या जिससे हम जूझते हैं, वह है भीड़ का हिस्सा बनना। पुराने मार्केटिंग फंडे जो अब बेकार हैं उनमें से एक है "कॉपी कैट स्ट्रैटेजी"। हमने देखा कि एक कॉम्पिटिटर ने कोई ऑफ़र चलाया, और हम भी वही करने लगे। ज़ायमन कहते हैं, "सेमनेस डज़न्ट सेल" (sameness doesn't sell)। अगर आप अपने कॉम्पिटिटर से अलग नहीं दिखते, तो आप क्यों बिकेंगे?
सोचिए, बाज़ार में दस साबुन हैं। सब कहते हैं कि हम बेहतरीन हैं, हम जर्म्स को मारते हैं। अब आपको यूनीक कैसे दिखना है? ज़ायमन ने कहा, आपको अपने प्रोडक्ट को डाइमेंशनलाइज़ करना होगा। इसका मतलब है: आपको अपने ग्राहक को ख़रीदने के ज़्यादा से ज़्यादा कारण देने होंगे, जो आपके कॉम्पिटिटर नहीं दे रहे।
जैसे, एक साबुन हो सकता है जो कहता है, "जर्म्स को मारे।" पर आपका साबुन कह सकता है, "जर्म्स को मारे, और आपके हाथ पाँच मिनट में सुपर-सॉफ़्ट कर दे, क्योंकि इसमें शिया बटर है।" आपने सिर्फ़ प्रॉब्लम सॉल्विंग नहीं की, आपने उसमें एक इमोशनल बेनिफ़िट और लग्ज़री का डाइमेंशन जोड़ दिया। अब ग्राहक के पास दो कारण हैं: सफ़ाई और स्किन केयर। बिज़नेस में सेल्स बढ़ाने का सही तरीक़ा क्या है? यही है—अपने प्रोडक्ट को सिर्फ़ एक चीज़ के लिए नहीं, बल्कि कई सारी अच्छी चीज़ों के लिए बेचना!
आज के ज़माने की मार्केटिंग स्ट्रेटेजी में एक और सबसे ज़रूरी बात है कंज्यूमर पर फ़ोकस। पर ज़ायमन का फ़ोकस थोड़ा अलग है। वह कहते हैं, "फ़िश वहीं पकड़ो, जहाँ फ़िश हैं।" (Fish Wahi Pakdo, Jahan Fish Hain.)
हम अक्सर उन लोगों पर मार्केटिंग का पैसा ख़र्च करते हैं जो न तो ख़रीदना चाहते हैं, और न ख़रीदने की ताक़त रखते हैं। यह पैसे की बर्बादी है। आपको सेगमेंटेशन करना होगा। आपको अपनी सबसे प्रोफ़िटेबल ऑडियंस को पहचानना होगा।
अगर आप प्रीमियम स्पोर्ट्स कार बेच रहे हैं, तो आप स्कूल के बच्चों को ऐड नहीं दिखाएँगे। आप उन सफ़ल उद्यमियों (successful entrepreneurs) को टारगेट करेंगे जिनकी आय और दिलचस्पी दोनों है। यह बात सुनने में बहुत सीधी लगती है, पर हम अक्सर ज़्यादा रीच (reach) के चक्कर में टारगेट को भूल जाते हैं।
ज़ायमन कहते हैं, आपको बिहेवियर बदलना नहीं है, आपको बिहेवियर बढ़ाना है (इंक्रिमेंटल बिहेवियर)। नया ग्राहक लाने की जद्दोजहद से ज़्यादा आसान है पुराने ग्राहक को वापस लाना। अपनी मार्केटिंग का एक हिस्सा पुराने ग्राहकों को बेहतर और नया कुछ देने पर लगाओ। उन्हें और ज़्यादा ख़रीदने का एक ठोस कारण दो। इससे सेल्स इंक्रीमेंट होती है और मार्केटिंग ख़र्च कम होता है।
चलिए, कहानी को ख़त्म करते हुए, उस सीएमओ (CMO) के गुस्से को याद करते हैं जिसने कहा था कि उसकी मेहनत ख़ाली संदूक़ है। उसने अपने ऑफ़िस के दरवाज़े पर ज़ायमन का सबसे बड़ा सबक लिखवाया: "इस डिपार्टमेंट का एकमात्र लक्ष्य ज़्यादा बेचना है।" उसने सारे अवॉर्ड्स के पोस्टर्स हटा दिए। उसने अपनी टीम को क्रिएटिविटी पर नहीं, बल्कि कन्वर्ज़न रेट पर बात करने को कहा। उसने हर हफ़्ते ये मापना शुरू किया कि कौन-सी स्ट्रैटेजी उसके बिज़नेस में सीधा प्रॉफ़िट ला रही है।
नतीजा? एक साल में उसकी कंपनी की सेल्स ने बीस फ़ीसदी की छलांग लगाई। क्यों? क्योंकि उन्होंने अंदाज़ा लगाना बंद कर दिया, और विज्ञान को अपना लिया। उन्होंने अपनी ईगो को नहीं, बल्कि प्रॉफ़िट को बॉस बनाया।
कोका कोला मार्केटिंग फेलियर से क्या सीखें? यही कि आपकी सबसे बड़ी असफलता भी आपको सबसे बड़ी स्ट्रैटेजी सिखा सकती है। शर्त बस इतनी है कि आप सच को स्वीकार करने को तैयार हों, और नतीजे के लिए काम करें, न कि तारीफ़ के लिए। मार्केटिंग की नई दुनिया में, सच्चाई ही सबसे बड़ी क्रिएटिविटी है। 🌟
दोस्तों, अगर आप अभी भी सोच रहे हैं कि आपका ऐड लोगों को पसंद क्यों नहीं आ रहा, तो आप पुरानी दुनिया में जी रहे हैं। 😔 वेक अप! जागिए! समय आ गया है कि आप अपने बिज़नेस की रीढ़ को सीधा करें। कल से नहीं, अभी से!
कसम खाइए कि आज के बाद आप मार्केटिंग पर ख़र्च किए गए हर पैसे का जवाब माँगेंगे। अपनी स्ट्रैटेजी को अंकों (numbers) में ढालिए, न कि भावनात्मक कहानियों में।
अगर आपको ज़ायमन की यह रिज़ल्ट-ओरिएंटेड सोच सही लगी है, तो इस आर्टिकल को अपने उन बिज़नेस दोस्तों के साथ शेयर कीजिए जो अभी भी "ब्रांडिंग ही सब कुछ है" के झाँसे में जी रहे हैं। इस सच्चाई को हर उद्यमी (entrepreneur) तक पहुँचना चाहिए!
चैलेंज स्वीकार करें! 👇 कमेंट्स में हमें बताइए: आप अपनी मार्केटिंग के किस सबसे बड़े तुक्के (guesswork) को आज ही ख़त्म करके, रिजल्ट-ड्रिवन स्ट्रैटेजी शुरू कर रहे हैं? 👇 #रिज़ल्टड्रिवनमार्केटिंग लिखिए और हमें बताइए! आपकी सफलता ही DY Books का असली मक़सद है! 🎯🔥
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