क्या कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी मुश्किल में फँसे हों, सब कुछ रुक सा गया हो, और आप आसमान की तरफ़ देखकर सोच रहे हों, “यार, कोई बड़ा आईडिया क्यों नहीं आ रहा?” 🤯 जिस बड़े आईडिया की हमें तलाश होती है, वो कोई तूफ़ान नहीं है जो अचानक आएगा। वो तो उस शांत तालाब में बैठी एक मछली की तरह है, जिसे पकड़ने के लिए सही चारा (bait) और सही सब्र (patience) चाहिए।
यकीन मानिए, मैं भी उस दौर से गुज़रा हूँ जहाँ हर सुबह एक ही काम को करते-करते दिमाग़ ख़ाली हो जाता था। मैं एक छोटे से बिज़नेस में काम करता था, जहाँ हम रोज़ वही प्रोडक्ट, वही मार्केटिंग और वही घिसा-पिटा तरीक़ा अपना रहे थे। हमारी ग्रोथ रुक गई थी। बॉस हमेशा मीटिंग में एक ही बात कहते थे, “हमें कुछ बड़ा चाहिए, कुछ ऐसा जो बाज़ार को हिला दे!” पर वो ‘बड़ा’ क्या था, किसी को नहीं पता था। हर कोई एक-दूसरे का मुँह देखता था, जैसे किसी को ट्रेज़र हंट का नक़्शा मिल जाएगा। 🗺️
एक शाम, जब मैं हार मानकर अपनी टेबल पर बस यूँ ही बैठा था, तो मेरे हाथ में मार्श फिशर की किताब ‘द आईडियाफ़िशर’ लगी। नाम सुनकर लगा, “आईडिया फिशर? क्या यह कोई मछुआरा है?” पर जैसे-जैसे मैं इस आईडियाफ़िशर बुक समरी हिंदी को पढ़ने लगा, मेरी आँखें खुलती चली गईं। मुझे समझ आया कि बड़े आईडिया सोचने की तकनीक किसी जीनियस के पास नहीं होती, बल्कि यह एक प्रक्रिया है, एक तरीक़ा है जो कोई भी सीख सकता है।💡
मार्श फिशर कहते हैं कि हमारा दिमाग़ एक फ़िशिंग ग्राउंड की तरह है। अगर आप उसमें केवल पुरानी और बासी चीज़ें ही डालते रहेंगे, तो आपको वही घिसी-पिटी मछलियाँ मिलेंगी। लेकिन अगर आप सही टूल, सही अप्रोच और एक ‘हिलने-डुलने’ की सोच के साथ जाएँ, तो आप सचमुच में वह बिग आईडिया पकड़ सकते हैं जो आपकी लाइफ़ और आपके बिज़नेस में क्रिएटिविटी बढ़ाने के तरीके को बदल देगा।
असल में, आईडिया न आने की सबसे बड़ी वजह क्या है? ‘जजमेंट’। हम आईडिया को आने से पहले ही मार देते हैं। जब कोई छोटा सा, बेतुका आईडिया दिमाग़ में आता है, तो हम तुरंत कह देते हैं, “अरे नहीं, ये तो बेवकूफ़ी है।” फ़िशर कहते हैं, जब आप फ़िशिंग करते हैं, तो क्या आप पहली छोटी मछली को देखकर तुरंत कहते हैं कि आज कुछ नहीं मिलेगा? नहीं! आप जाल डालते रहते हैं। आपका पहला काम क्वांटिटी पर ध्यान देना होना चाहिए, क्वालिटी पर नहीं। जितने ज़्यादा बेवकूफ़ी भरे आईडिया, उतनी ज़्यादा संभावना कि उनमें से एक हीरा निकल जाए। 💎
यह बात सुनकर मैंने अपने दफ़्तर के एक प्रोजेक्ट पर इसे आज़माना शुरू किया। हम एक नया प्रोडक्ट लॉन्च करने वाले थे, पर उसका नाम नहीं सोच पा रहे थे। हमेशा की तरह, सबने 3-4 ‘सेफ़’ नाम सुझाए। इस बार, मैंने सबको एक गेम खेलने को कहा: “अगले 15 मिनट में, आप सब कम से कम 50 नाम लिखेंगे, चाहे वो कितने ही मज़ेदार या ऊटपटांग क्यों न हों।” 😂 पहले तो सब हँसे, पर 15 मिनट बाद, हमारे पास लगभग 300 नाम थे। उन 300 नामों के ढेर में, एक नाम ऐसा था जो किसी ने मज़ाक में लिखा था। वह नाम सुनने में अजीब था, पर उसका साउंड और उसका मतलब, हमारे प्रोडक्ट के फ़्यूचर को परफेक्टली कैप्चर कर रहा था। हमें हमारा बिग आईडिया मिल चुका था, और वो भी उस जगह से जहाँ हमने उसे सबसे कम उम्मीद की थी: ‘मूर्खतापूर्ण’ आईडिया की सूची से।
फ़िशर इसे "आईडियाफ़िशर" प्रोसेस कहते हैं। यह 5 हिस्सों में बँटी है:
पहला चरण: 'द हंट’ (The Hunt): आपको शिकार करना सीखना होगा। इसका मतलब है, लगातार सवाल पूछना। क्यों? क्या? कब? कैसे? क्या हो अगर...? अपने आसपास की हर चीज़ को एक सवाल की नज़र से देखिए। जैसे, आप ट्रेन में हैं, तो पूछिए, “यात्री इतने बोर क्यों हैं?” और जवाब ढूंढिए। सवाल पूछने से आपका दिमाग़ एक नया जाल बुनना शुरू कर देता है। क्यूरिऑसिटी वह चारा है जो आईडिया मछली को खींचता है। 🎣
दूसरा चरण: 'द कैच’ (The Catch): यह वो स्टेज है जहाँ आप केवल आईडिया इकट्ठा करते हैं, उन्हें जज नहीं करते। एक छोटी नोटबुक हमेशा अपने पास रखें – आईडिया नोटबुक। फ़िशर कहते हैं, आपका दिमाग़ हर मिनट हज़ारों विचार पैदा करता है। अगर आप उन्हें तुरंत नहीं पकड़ेंगे, तो वे उड़ जाएँगे। रात के 3 बजे हो या दफ़्तर की मीटिंग में, जो भी आईडिया आए, बस लिख डालो! बाद में देखेंगे कि काम का है या नहीं।
तीसरा चरण: 'द फ़िल्टर’ (The Filter): अब बारी आती है छँटाई की। एक बार जब आपके पास 100 आईडिया हों, तो उन्हें तीन कैटेगरी में बाँटिए: गो (Go), स्लो (Slow), और नो (No)। 'गो' वो हैं जो तुरंत लागू किए जा सकते हैं। 'स्लो' वो हैं जिन पर काम करने की ज़रूरत है। और 'नो' वो हैं जिन्हें फ़िलहाल हटा देना है। लेकिन फ़िल्टर करते समय यह याद रखें, जो आईडिया आपको सबसे ज़्यादा डरा रहा है, हो सकता है कि वही आपका सबसे बड़ा आईडिया हो! डर अक्सर बड़े बदलाव का संकेत होता है। ⚡
चौथा चरण: 'द फीड’ (The Feed): आईडिया को अकेले बड़ा नहीं किया जा सकता। उन्हें पोषित करने की ज़रूरत है। इसके लिए आपको तीन तरह के लोगों की ज़रूरत है: (1) मेंटर्स (जो आपको रास्ता दिखाएँगे), (2) पार्टनर्स (जो आपके साथ काम करेंगे), और (3) चीयरलीडर्स (जो आपको प्रेरित करेंगे)। अपने आईडिया को दूसरों के सामने रखने से डरिए मत। जब आप किसी को अपना आईडिया बताते हैं, तो आपको एक नया नज़रिया मिलता है, और आपका आईडिया 10 गुना ज़्यादा मज़बूत हो जाता है।
पाँचवाँ चरण: 'द लिफ़्ट’ (The Lift): यह आईडिया को हकीक़त में बदलने का समय है। बहुत से लोग आईडिया सोचते तो हैं, पर उसे लागू नहीं करते। वह डरते हैं कि क्या होगा अगर फ़ेल हो गए तो? मार्श फिशर कहते हैं, परफ़ेक्शन की तलाश में कभी भी प्रोग्रेस को मत रोकिए। अपने आईडिया को बाज़ार में उतारिए, भले ही वह 80% तैयार हो। बाक़ी के 20% आपको ग्राहक बता देंगे। इंप्लीमेंटेशन ही वह पुल है जो एक अच्छे विचार को एक सफल बिज़नेस में बदलता है। 🚀
मैंने यह सब पढ़कर अगले कुछ महीनों में अपनी टीम के साथ यही तरीक़ा अपनाया। हम लगातार सवाल पूछने लगे, छोटी से छोटी चीज़ों पर भी। हम 'आईडिया नोटबुक' में हर रात 10 आईडिया लिखते थे। शुरू में मज़ाक लगा, पर एक महीने बाद, हमने अपनी कंपनी के लिए एक ऐसा नया, बड़ा आईडिया खोज निकाला जिसने हमारी बिक्री को पिछले साल के मुक़ाबले 40% बढ़ा दिया। वह आईडिया कोई अचानक आई हुई बिजली नहीं थी, बल्कि एक छोटे से 'मूर्खतापूर्ण' आईडिया का, बहुत सारे सवालों और बहुत सारी फ़िल्टरिंग के बाद का, एक विकसित रूप था।
आज, जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो समझ आता है कि क्रिएटिविटी कोई जादुई शक्ति नहीं है। यह तो एक मांसपेशी है जिसे हमें रोज़ कसरत कराके मज़बूत करना पड़ता है। यह इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आप कितने स्मार्ट हैं, बल्कि इस बात पर कि आप कितना ज़्यादा खेलने को तैयार हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी बार जाल डालते हैं, भले ही हर बार खाली आए।
बड़ा आईडिया कहीं बाहर नहीं है। वह आपके ही दिमाग़ के शांत तालाब में बैठा है। आपको बस आईडियाफ़िशर बनना है, सही चारा (क्यूरिऑसिटी) डालना है, और धैर्य से इंतज़ार करना है। आज से ही शुरू करो। अपनी नोटबुक खोलो, और पहला अजीबोगरीब आईडिया लिखो। ✍️
तो, क्या आप अब भी उस ‘बड़े आईडिया’ का इंतज़ार कर रहे हैं जो आसमान से टपकेगा? 🤨 इंतज़ार करना बंद करो! मार्श फिशर आइडिया कैसे खोजें, इसका नक़्शा दे चुके हैं। सफलता के लिए आईडिया कैसे ढूंढें—इसका जवाब आपके एक्शन में है। यह आर्टिकल पढ़ने के बाद इसे सिर्फ़ बंद मत कर देना। आज रात, बिस्तर पर जाने से पहले, कम से कम 5 नए, बेवकूफ़ी भरे आईडिया अपनी नोटबुक में लिखो। इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वे क्या हैं, बस लिखो। फिर कल उन्हें गो, स्लो, नो में बाँटना।
अगर यह आईडियाफ़िशर बुक समरी आपकी सोच को ज़रा सा भी हिला पाई हो, तो इसे उन दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करो जो अभी भी अपने बिग आईडिया का इंतज़ार कर रहे हैं! 👇 नीचे कमेंट करके बताओ: आपका आज का सबसे बेवकूफ़ी भरा पर मज़ेदार आईडिया क्या है? आइए, अपनी क्रिएटिविटी को जगाएँ! 🔥 शेयर करो! 📢
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